6.9.20

एक 'हैंडसम' चेहरे का फीका पड़ता नूर !

-निरंजन परिहार-

सचिन पायलट नायक थे। खलनायक हो गए हैं। राजस्थान कांग्रेस का अध्यक्ष पद छिन गया। उपमुख्यमंत्री पद से भी पैदल हो गए। सत्ता और संगठन दोनों गंवाने के दौर में 7 सितंबर को जन्मदिन है। सो, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘आपदा को अवसर में बदलने’ के मंत्र को अपनाते हुए जन्मदिन पर जलसा जमाने की जुगत में हैं। 


 

वफादार उनके लिए भीड़ जुटाकर भूतपूर्व होने के बावजूद अभूतपूर्व पराक्रम के प्रदर्शन का प्रयोजन कर रहे है। लेकिन अब काहे की ताकत और काहे के तेवर। मजबूती तो मानेसर के होटल में हवा हो गई। इसीलिए लौट के घर को आना पड़ा। सीधे रहते, तो दोनों पदों पर बने रहते। लेकिन पद भी खो दिए, कद भी खो दिया।

अतिमहत्वाकांक्षा आत्मघाती साबित हुई। अपना मानना है कि राजनीति में व्यक्ति जब पद से जाता है, तो उसके आस पास का और भी बहुत कुछ छिन जाता है। सो, पद से उतरते ही पायलट के पास से भी बहुत कुछ उड़ गया है, उजड़ गया है और उखड़ भी गया है। भरोसा न हो तो, इस बार जब आप पायलट को देखें, तो गौर से उनका चेहरा जरूर देख लेना। पद पर थे, तो जिस ‘हैंडसम’ चेहरे पर चमक भी बेचारगी से अपने लिए जगह तलाशा करती थी, उस चेहरे का नूर फीका - फीका सा लगेगा। ना लगे, तो कहना!

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