23.10.20

किताबें पढ़ने और योग्य गुरु से विमर्श से ही अच्छा शोध सम्भव:डॉ सन्दीप अवस्थी



आगरा। एम आई टी विश्वविद्यालय, पुणे, हिन्दी यूनिवर्स फाउंडेशन, नीदरलैंड्स और शासकीय महाकौशल महाविद्यालय, जबलपुर के संयुक्त तत्ववधान में पांच दिवसीय अंतरराष्ट्रीय कार्यशाला संगोष्ठी (20-24अक्टूबर 2020) के आभासीय मंच पर वेदांत मर्मज्ञ, पटकथा लेखक, आलोचक डॉ संदीप अवस्थी जी के नेतृत्व में आज से 5 दिवसीय कार्यशाला का तृतीय दिन  के पंचम सत्र का शुभारंभ हुआ।


प्रथम सत्र के मुख्य विशिष्ठ अतिथि के रूप में डा. भीमराव आंबेडकर विश्व विद्यालय आगरा के डा.अवनीश कुमार जी ने करने के लिए आवश्यक है समस्या का होना चाहिए शोध के बारे में सामान्य जानकारी होना अति आवश्यक है। उन्होंने अपनी अपने वक्तव्य में एनसीईआरटी की पुस्तकों का महत्व लाइब्रेरी का महत्व विषय से संबंधित चार्ट तैयार करने पर बल जिस विषय पर आप सोच करने जा रहे हैं उस पर इतने शोध कार्य हुए हैं क्या-क्या हुए हैं क्या नहीं हुए हैं उसकी जानकारी और ग्राहक चार्ट टेबल तुलनात्मक काम करने पर बल दिया।

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे हैं डॉ  सन्दीप अवस्थी, अध्यक्ष भारतीय विद्या अध्ययन केंद्र ,राजस्थान, भारतीय लेखक संघ, उपाध्यक्ष आचार्यकुल, भारत हिंदी यूनिवर्स फाउंडेशन, नीदरलैंड्स जी ने अपने प्रमुख बातों में वेबीनार पर कितने अंक दिए जाते हैं शोध पत्र की अनिवार्यता, भाषा की पारदर्शिता शुद्धता से आपका प्रभाव अधिक पड़ता है और शोध पत्र की गुणवत्ता पर अपने महत्वपूर्ण जानकारी दिए।

सष्टम सत्र की शुरुआत मुख्य वक्ता के तौर पर उपस्थित प्रोफेसर राम जयसवाल जी जो कला मर्मज्ञ हैं संवेदनशील कथाकार और कवि हैं उन्होंने अपने मुख्य बातों में भारतीय संस्कृति को जोड़ते हुए बताया कि पूरे विश्व की तुलना अगर भारत से की जाए  तो भारत कहीं आगे हैं मानवीय रिश्तो में। भारत में जो पर्व, त्यौहार, तीज मनाएं जाते हैं वह स्त्री पुरुष के विभिन्न प्रकार के संबंधों को मजबूत करते हैं और यह सिर्फ भारत में ही मिलता है कहीं और, किसी देश में नहीं।  कला समाज को प्रभावित करती है।

 चित्रण मूर्त कविता है

 कविता बोलता हुआ चित्र।

साहित्य भावनाओं विचारों और संवेदना को परिष्कृत करता है। वही आज चित्र में संवेदनाएं समाप्त हो गई है और शिल्प सिर्फ मुखर हो गया है।

विशेष वक्ता के तौर पर प्रसिद्ध नाट्यशिल्प प्रोफेसर दर्शन पुरोहित जी जो कला संगीत पत्रकारिता और योग पर अपने वक्तव्य में नई शिक्षा नीति पर प्रकाश डालते हुए यूजीसी की गाइडलाइन पर महत्वपूर्ण बातें कही, वहीं शोध जो तरह-तरह के हो रहे हैं उस पर उन्होंने कहा कि उन शोधों पर अनुवाद भी होना जरूरी है तभी हम अपने समाज के साथ-साथ दूसरे राज्य के लोग और  अन्य देश भी हमारी शोध के जरिए लाभान्वित हो वो सिर्फ अनुवाद से हो सकता है उन्होंने इसके साक्ष्य के रूप में कई सारे उदाहरण दिएं।

 कार्यक्रम में 6 शोध सार पढ़े गए।

 1. डॉ आरती शर्मा - मृदुला गर्ग के उपन्यासों में स्त्री आत्मनिर्भरता का गौरव

 2. प्रियंका गुप्ता - आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी जी के उपन्यासों में सांस्कृतिक परिवेश और लोक चेतना

 3. रेखा गुप्ता- नरसी मेहता की सामाजिक चेतना

 4. रजनी राठौड़ हरीश धामी की कविता राष्ट्रीय एवं सांस्कृतिक मूल्य

 5. डॉक्टर क्रांति कुशवाहा - कोराना काल में मीडिया की भूमिका

 6. अनिता कुमारी ठाकुर - स्त्री पुरुष के बदलते संबंधों का स्वरूप मोहन राकेश के नाटकों के संदर्भ में

संचालिका का कार्य अनीता कुमारी ठाकुर और डॉ जूही शुक्ला जी ने किया।

अंत में संचालिका  डॉक्टर जूही शुक्ला जी ने सभी विद्वतजनों और कार्यक्रम से जुड़े श्रोतागणों को धन्यवाद ज्ञापन किया।

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