28.12.20

उपज का सही दाम न मिलने के कारण किसान आत्महत्या करते हैं : अन्ना हजारे


किसानों को खर्चें पर आधारित सही दाम ना मिलने का क्या कारण है?

हर राज्य में कृषि मूल्य आयोग होता हैं। इस कृषि मूल्य आयोग में, राज्य के सभी कृषि विद्यापीठ के विभिन्न कृषि उपज के वैज्ञानिक खेती की जुताई, बुवाई, बीज, उर्वरक, पानी, फसल कटाई, उत्पादन के लिए मजदुरी का दाम, बैल तथा कृषि यांत्रिक मुआवजा और कृषिउपज को मंडी तक ले जाने का खर्चा ऐसा कूल मिल कर लागत की रिपोर्ट बना कर राज्य कृषिआयोग द्वारा केंद्रीय कृषि आयोग को भेजा जाता हैं। केंद्रिय कृषि मूल्य आयोग केंद्रीय कृषि मंत्री के दायरे में कार्य करता है। इसलिए केंद्रिय कृषि मंत्री के प्रभाव में केंद्रिय कृषि आयोग राज्य कृषि मूल्य आयोग की रिपोर्ट में दिए हुए दाम में बिना वजह 10 प्रतिशत से 50 प्रतिशत तक कटौती कर देता है। परिणास्वरुप, किसानों को खर्चे पर आधारित सही दाम नहीं मिलता। एक तरफ किसानों के जीवनावश्यक जरुरतों में कपड़ा, बर्तन जैसे आवश्यक वस्तुओं के दाम बढते जा रहे है। और कृषि उपज से मिल रहें दाम बहुत ही कम मिल रहें हैं। इस कारण किसान मुसिबत में हैं।


राज्य कृषि मूल्य आयोग द्वारा केंद्रीय कृषिमूल्य आयोग को भेजी रिपोर्ट में की गई कटौति के साथ सम्पूर्ण तालिका संलग्न है। वह देखतें ही पता चलेगा की, राज्य कृषिमूल्य आयोग द्वारा भेजी रिपोर्ट में केंद्रीय कृषिमूल्य आयोग द्वारा कितनी बड़ी कटौती की जाती हैं। इसलिए किसानों को खर्चे पर आधारित सही दाम नहीं मिलता। इसलिए किसान आत्महत्या करता हैं।

एक तरफ केंद्र सरकार ने घोषणा की है कि, स्वामिनाथन आयोग की रिपोर्ट के अनुसार हम किसानों को C2 + 50 प्रतिशत यानें की, कृषि उपज पर शुरू से लेकर मंडी में आने तक जो खर्चा आता हें उसमें 50 प्रतिशत मिला कर एमएसपी (किमान निर्धारित मूल्य) देते हैं। सरकार ने यह भी कहां हैं की, 2018-19 के रब्बी के मौसम से हम इस प्रकार बढ़ाकर दाम किसानों को देना शुरू किया हैं। हालांकि, साथ में जोडी तालिका वास्तविकता का उदाहरण है कि, इसमें कितनी कटौती की जाती है।

स्वामिनाथन आयोग की रिफारिशें केंद्र सरकारने स्विकार करने के कारण, राज्य कृषि मूल्य आयोग द्वारा की गई शिफारिशें मूल रूप में स्विकार कर के किसानों के हर उपाज पर हुए खर्चें में 50 प्रतिशत अधिक दाम मिला कर देना चाहिए। अगर ऐसा हुआ तो किसानों की समस्याएं समाप्त होगी और वह आत्महत्या नहीं करेगा।

केंद्र सरकार का कहना है कि, MSP निर्धारित करते समय, हमने स्वामिनाथन आयोग की सिफारिश अनुसार C2+50 याने की, किए हुए कूल खर्चे पर 50 प्रतिशत जादा दाम देने का निर्णय लिया हैं। वास्तव में, किसानों को इस प्रकार दाम नहीं मिलते है। इसलिए किसान मुश्किल में है। अनाज के साथ फल, फूल, सब्जियां और दूध इन कृषि उपज के लिए सरकारने अब तक कोई MSP नहीं दिया हैं। इसलिए किसान को टमाटर, आलू, दूध सड़क पर फेंकना पड़ता हैं। इसलिए हम चार साल से, बारबार आन्दोलन कर के (2017 से) यह माँग कर रहे हैं कि, सब्जियां, फल, फूल और दूध को भी MSP  लागू करों। फिर किसान को परेशानी नहीं होगी और वह आत्महत्या नहीं करेगा। इस लिए चुनाव आयोग की तरह केंद्रीय कृषि मूल्य आयोग को स्वतंत्र और संवैधानिक दर्जा मिलना चाहिए। फिर राज्य कृषि मूल्य आयोग की रिपोर्ट में दिए हुए दाम में केंद्र द्वारा कटौती नहीं की जाएगी। केंद्रीय कृषि मूल्य आयोग के कार्य में केंद्र सरकार का हस्तक्षेप नहीं होगा।

इसके लिए मेरा पहला अनशन 23 मार्च 2018 को दिल्ली के रामलीला मैदान पर हुआ था। तब देश के अलग अलग प्रदेश से कार्यकर्ता इस आन्दोलन में शामिल हुए थे। अनशन के 7 वें दिन प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा तत्कालीन कृषि राज्यमंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को भेजा गया था। उस वक्त हमारी माँगे पुरी करने का लिखित आश्वासन दिया था। प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा दिया गया लिखित आश्वासन पत्र की प्रती संलग्न हैं। लेकिन प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा आश्वासन का अनुपालन नहीं किया गया। इसलिए 30 जनवरी 2019 से मैं फिर अपने गाँव रालेगणसिद्धि में अनशन पर बैठ गया। फिर अनशन के 7 वें दिन, तत्कालीन केंद्रीय कृषिमंत्री राधमोहन सिंह, केंद्रीय रक्षा राज्य मंत्री डॉ. सुभाष भामरे और महाराष्ट्र के तत्कालीन मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस रालेगणसिद्धी में आए थे।  उस वक्त छह घंटे लगातार चर्चा हुई। फिर से केंद्रीय कृषिमंत्री और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री ने लिखित आश्वासन पत्र दे दिया। वह आश्वासन पत्र भी साथ में संलग्न है। लेकिन फिर एक बार लिखित आश्वासन देने के बावजूद, इसका अनुपालन नहीं किया गया।

इसलिए अब जनवरी 2021 में दिल्ली में फिर से आन्दोलन करने का निर्णय लिया है। स्वामिनाथन आयोग की रिपोर्ट के अनुसार, किसानों को C2 + 50% MSP याने खर्चें पर आधारित 50 प्रतिशत जादा दाम मिलना चाहिए। अगर ऐसा हुआ तो ही किसानों की समस्याएं छूट सकती हैं। इसी तरह सभी प्रकार के अनाज, सब्जियां, फूल, फल, आलू, दूध का MSP निर्धारित करना चाहिए। तभी ही किसानों की आत्महत्या रुक सकती है।

राज्य कृषिमूल्य आयोग द्वारा भेजें गए दामों मे केंद्र ने कटौती नहीं करनी चाहिए, इसलिए केंद्रीय कृषि मूल्य आयोग को चुनाव आयोग के तहत स्वतंत्र और संवैधानिक दर्जा और स्वायत्तता दे दिया तो कृषि उपज में कटौती नहीं होगी। प्रधानमंत्री कार्यालय, केंद्रीय कृषि मंत्री ने लिखित आश्वासन दे कर सभी माँगे मान ली हैं। जो लिखित आश्वासन दिया है, उसका पालन करों। इस माँग को ले कर पिछले तीन साल से चल रहा आन्दोलन फिर एक बार दिल्ली में जनवरी से शुरू कर रहाँ हूँ। इस विषय पर 21 दिसंबर 2020 को महाराष्ट्र के पूर्व विधानसभा अध्यक्ष हरिभाऊ बागडे और सांसद डॉ. भागवत कराड चर्चा करने के लिए आए थे। उस के बाद महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री गिरीश महाजन ने भी आ कर चर्चा की है। हमारा कहना है की, तीन साल में काफी चर्चा हुई है। अब तुरन्त और सही निर्णय नहीं हआ तो मैं आन्दोलन करने पर मजबूर हूँ।

 

भवदीय,
अन्ना हजारे
annahazareoffice@gmail.com

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