5.5.21

हॉस्पिटल में एडमिट के समय का एक डरावना किस्सा जिसे मैंने सकारात्मकता में बदला


Mohit Shukla-
    
 मैं कोरोना के समय नोएडा सेक्टर - 39 के कोविड हॉस्पिटल में एडमिट था, जिसमें मेरे रूम के ठीक सामने दीवार पर साफ - साफ लिखा था , कोरोना मरीज के शव को ले जाने का रास्ता, और जब कोई बॉडी जाती तो ऐसा लगता कि मानो हम सब कैदी की तरह बंद हैँ और आज फलां व्यक्ति को फांसी के लिए ले जा रहे हैँ , हर मरीज अंदर से सहमा हुआ , डरा हुआ और घबराया हुआ , कि ना जाने अब किसका नंबर आयेगा , सबकी हिम्मत जबाब दे रही थी , ये पहली मरतफ़ा था जब सब मौत को इतने पास से देख रहे थे , और ये मेरे तो एक दम सामने वाली दीवार पर ही लिखा था , और मैं सिंगल प्राइवेट रूम में एडमिट था , तो साथ में कोई दूसरा कोई नहीं.


यकीन मानिये कुछ दिन काफ़ी डर लगा , क्यूंकि कोविड में शुरू के 5 दिन काटने बहुत भारी होते हैँ , अगर आप इसे काट लेते हैँ तो आप जरूर जीतेंगे , इसी सोच के साथ आगे की लड़ाई शुरू की , और इसमें मेरा पूरा साथ दिया हॉस्पिटल के स्टॉफ ने , इतनी पॉजिटिव बातें , इतनी पॉजिटिव सोच , इतना जिम्मेदार व्यवहार कि उन्होंने मुझे अंदर से मजबूत बना दिया और यही वजह थी कि मैं ठीक हो सका ..  इसलिए मेरा मानना है कि सकारात्मकता बहुत जरूरी है , और मैं ये उन लोगों के लिए लिख रहा हूँ जो हॉस्पिटल में फेसबुक पर दुनिया भर की पोस्ट्स देखकर घबरा रहे हैँ , डर रहे हैँ ,

मेरा यही मानना है कि covid से पीड़ित कोई भी व्यक्ति शुरू के दिनों में फ़ोन यूज़ कर नहीं पाता और तब तक ये पांच दिन निकल जाते हैँ , बाकी की जिम्मेदारी बनती है हमारी सबकी की कैसे हमें सामने वाले को सकारात्मकता से भरना है ... इसलिए कोशिश कीजिये फेसबुक पर ज्यादा से ज्यादा स्वस्थ हुए लोगों की पोस्ट डालें , कैसे कोविड को हराया ये लिखें , क्यूंकि जिसे प्रभु ने बुलाया उसका जाना तो तय है , और आपका श्रद्धांजलि देना भी सही है ,लेकिन कोशिश कीजिये कि श्रद्धांजलि फेसबुक पर ना देकर फ़ोन पर सीधे दीजिये, क्यूंकि मृतक परिवार का कोई फेसबुक चलाएगा नहीं और रही बात मृतक को कंधा देने की तो वो आप जा नहीं सकते, फिर भले ही मैं PPE किट ही ना पहना दूँ आपको ..  

अब ऐसे में हर वो व्यक्ति जो ठीक होकर घर जाने की उम्मीद में बैठा है , उसका मनोबल टूटता है ऐसी पोस्ट्स को पढ़कर ...इसलिए सकारात्मक पोस्ट्स कीजिये जिंदगी बचाइए

इसलिए सहज़ बनें, सरल बनें , संबल बनें

बाकी आपकी मर्जी

मोहित शुक्ला
निजी सहायक
राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग, भारत सरकार.

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