30.9.21

कानपुर के प्रॉपर्टी डीलर की हत्या : योगी पीड़ित परिवार से मिलने का कार्यक्रम बनाते ही रह गए, अखिलेश मिल भी आए

अजय कुमार,लखनऊ

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में चुनाव की बहार है। हर दल का नेता चुनावी रंग में रंगा हुआ है,जिसके चलते नेताओं का असली रंग जनता देख ही नहीं पा रही है। चुनावी रंग में करीब-करीब सभी दलों के नेता विरोधियों पर ‘कीचड़’ उछालने का कोई मौका नहीं छोड़ रहे हैं। तमाम नेताओं ने तो इस ‘कीचड’ को अपनी सियासत चमकाने का जरिया ही समझ लिया है। इसी लिए तो इन नेताओं को आम आदमी की रगों से बहता हुआ खून में भी राजनीति दिखाई देती है। इसकी बानगी तब देखने को मिली जब सीएम योगी आदित्यनाथ ने कानपुर निवासी प्रापर्टी डीलर मनीष गुप्ता की हत्या के मामले को गंभीरता से लेते हुए मनीष गुप्ता के परिवार से मिलने का कार्यक्रम बनाया।


मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पीड़ित परिवार से मिलने पहुंचता इससे पहले ही आनन-फानन में समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव लखनऊ से कानपुर आ धमके। अखिलेश ने इतनी तेजी दिखाई कि कानपुर प्रशासन भी भौचक रह गया। समाजवादी पार्टी के नेताओं ने पीड़ित परिवार से अखिलेश यादव की मुलाकात कराने के लिए जिस तरह से अराजकता का माहौल बना दिया,उससे यह साफ हो जाता है कि हमारे नेताओं को लाशों पर भी सियासत करने से गुरेज नहीं है। इसी लिए तो सीएम योगी आदित्यनाथ के आज गुरुवार को कानपुर दौरे पर रवाना होने से पहले ही समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव लखनऊ से कानपुर के लिए सड़क मार्ग से रवाना होकर मनीष के आवास पर पहुंच गए।  

गौरतलब हो, सीएम योगी आदित्यनाथ का कानपुर दौरे पर दिन में करीब दो बजे मनीष गुप्ता की पत्नी तथा परिवार के अन्य लोगों से भेंट करने के बाद उनको सांत्वना देने का कार्यक्रम पहले से ही तय था। पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के आने से पहले पुलिस स्वजन को सीएम योगी आदित्यनाथ से मिलवाने के लिए ले जाने की तैयारी में जुटी थी, पर सपा विधायक अमिताभ बाजपेयी, सुरेंद्र मोहन अग्रवाल सहित तमाम सपा कार्यकर्ताओं के विरोध के कारण उन्हें नहीं ले जा सकी। सपाइयों की पुलिस से झड़प भी हुई। सपा नेता सम्राट यादव का आरोप था कि मृतक की पत्नी व अन्य स्वजन को दवा दिलवाने के बहाने पुलिस ले जा रही थी। इसका विरोध किया गया।

गौरतलब है कि काम के सिलसिले में कानपुर से गोरखपुर गए प्रॉपर्टी डीलर मनीष की वहां के एक होटल में 27 सितंबर की देर रात पुलिस की दबिश के दौरान संदिग्ध तरीके से मौत हो गई थी। मनीष के परिवार वाले इसे मौत नहीं,पुलिस द्वारा मनीष की हत्या बता रहे थे। मनीष गुप्ता की पत्नी मीनाक्षी ने आरोप लगाया था कि डीएम-एसएसपी ने उन्हें एफआईआर कराने से रोका। एफआईआर तभी दर्ज हुई, जब सीएम योगी आदित्यनाथ ने हस्तक्षेप किया। पुलिस ने 29 सितंबर को तीन पुलिसवालों के खिलाफ नामजद और तीन अज्ञात के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली।

उधर, गोरखपुर में प्रॉपर्टी डीलर की हत्या के मामले की जांच कराई गई तो पता चला है कि प्रॉपर्टी डीलर मनीष गुप्ता की पीट-पीटकर हत्या की गई थी। मनीष के लगभग पूरे शरीर पर गंभीर चोट के निशान मिले थे और कोहनी, सिर और मांसपेशियों में गहरी चोट लगी थीं। इसके बाद मनीष की पत्नी मुख्यमंत्री से भेंट करने तथा इस केस की एसआईटी जांच का आश्वासन मिलने के बाद वह मनीष की अंत्येष्टि के लिए राजी हुई थी।

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