3.10.21

शराब असली है तो नोट जलेंगे नहीं!

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शराब पीना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है। हिंदू रीति रिवाज में शराब को अपवित्र माना जाता है। शराब पीकर भगवान के दर पर या पूजा पाठ में जाना भी अपने आप में पाप की श्रेणी में रखा गया है। लेकिन अगर हम आपको कहें कि एक ऐसी भी शराब है जिसे शादी समारोह, पूजा-पाठ और औषधि के रूप में भी इस्तेमाल किया जाता है, तो आप क्या कहेंगे। आप कुछ भी कहिए लेकिन ये सत्य है और आज हम आपको किन्नौरी शराब के बारे में बताएंगे।


वैसे शराब को किन्नौरी बोली में शराब को  राक, आराक , फासूर और कहते हैं। सदियों पुरानी शराब की प्रथा किन्नौर में नशे के लिए इस्तेमाल नहीं होती, बल्कि ये शराब किन्नौर की संस्कृति सभ्यता रीति रिवाज को दर्शाती है।

किन्नौरी शराब के बारे में और ज्यादा बताने से पहले आपको एक अनोखा तरीका बताते हैं, जिससे आप प्राकृतिक और प्योर शराब की पहचान कर पाएंगे।।
 
आप वीडियो में देखते जाइए और सुनिए ...10, 20, 50, 200, या कोई भी नोट ले लीजिए....शराब में पूरा भिगोकर उसे आग लगा दीजिए।।।। अगर शराब प्योर और प्राकृतिक हैं तो नोट में लगी शराब जल जाएगी, लेकिन नोट वैसे का वैसे रहेगा।

यह शराब काफी पवित्र मानी जाती है। कहा जाता है जिस बर्तन में ऐसे रख दें, उसे परिवार के सभी सदस्य छू नहीं सकते। सिर्फ एक ही शख्स शराब को दूसरे बर्तन में निकाल कर देता है। बाकी कोई उसे नहीं छू सकता।।

यहां के बुजुर्ग कहते हैं कि बच्चों को सर्दी खांसी या पेट दर्द हो तो इस शराब के सेवन से तुरंत लाभ मिलता है। किन्नौर में शराब की उत्पत्ति सैकड़ों साल पहले जिले के बुजुर्गों ने ही की थी। इसका इतिहास सैकडो बरस पुराना है।

https://youtu.be/StDf33hhnFE

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