के. सत्येंद्र-
सबको मिले थे पंद्रह लाख याद करो जब एक जनसभा में मोदीजी ने कहा भाईयों और बहनों...अयोध्या में दीपावली पर एक साल में 3 लाख दिए जलाए, तो बोलो 5 साल में कितने दिए ?
जनता ने कहा - 15 लाख दिए !
मोदीजी ने कहा फिर से बोलो कितने लाख दिए ?
जनता ने कहा - 15 लाख दिए !
मोदीजी ने फिर कहा तो ज़ोर से बोलो 15 लाख दिए कि नहीं ?
जनता ने ज़ोर से कहा "हाँ 15 लाख दिए"
"तो मतलब 15 लाख दिए" चलो यह काम और वादा भी पूरा हुआ ।
ठीक इसी तरह सिस्टम को न समझने वाले घंटाघर के घड़ियालों को यह समझने में वक्त लगेगा कि हमारी सरकार हमसे कितनी मोहब्बत करती है । नही हो रहा यकीन तो सुनो ! एक बनिया था । वो पांच रुपए की रोटी बेचता था। उसे रोटी की कीमत बढ़ानी थी लेकिन बिना राजा की अनुमति कोई भी अपने दाम नहीं बढ़ा सकता था। लिहाजा राजा के पास बनिया पहुंचा, बोला राजा जी मुझे रोटी का दाम दस रुपये करना है।
राजा बोला तुम दस नहीं तीस रुपए करो । बनिया बोला महाराज इससे तो हाहाकार मच जाएगा ।राजा बोला इसकी चिंता तुम मत करो, तुम दस रुपए दाम कर दोगे तो मेरे राजा होने का क्या फायदा, तुम अपना फायदा देखो और तीस रुपए दाम कर दो, ।
अगले दिन बनिये ने रोटी का दाम बढ़ाकर तीस रुपए कर दिया । शहर में हाहाकार मच गया । सभी राजा के पास पहुंचे । बोले महाराज यह बनिया अत्याचार कर रहा है । पांच की रोटी तीस में बेच रहा है । राजा ने अपने सिपाहियों को बोला उस गुस्ताख बनिए को मेरे दरबार में पेश करो । बनिया जैसे ही दरबार में पहुंचा । राजा ने गुस्से में कहा गुस्ताख तेरी यह मजाल तूने बिना मुझसे पूछे कैसे दाम बढ़ा दिया । यह जनता मेरी है तू इन्हें भूखा मारना चाहता है ।
राजा ने बनिए को आदेश दिया तुम रोटी कल से आधे दाम में बेचोगे, नहीं तो तुम्हारा सर कलम कर दिया जाएगा । राजा का आदेश सुनते ही पूरी जनता ने जोर से बोला.... महाराज की जय हो , महाराज की जय हो, महाराज की जय हो।
नतीजा यह रहा कि अगले दिन से पांच की रोटी पंद्रह रुपये में बिकने लगी। जनता खुश... बनिया खुश... और राजा भी खुश
नोट - इस लेख का किसी व्यक्ति, व्यक्ति विशेष या राजनैतिक दल से कोई संबंध नहीं है ।
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