16.11.23

बीएचयू की मुस्लिम छात्रा ने पीएम मोदी पर की पीएचडी

अजय कुमार,लखनऊ

उत्तर प्रदेश की धार्मिक नगरी और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का संसदीय क्षेत्र वाराणसी एक बार फिर चर्चा में है,अबकी से चर्चा का विषय न तो राजनैतिक है, न ही कोई धार्मिक वजह है.इस बार वाराणसी ‘बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय’ की एक मुस्लिम  छात्रा की वजह से सुर्खियों में है. दरअसल, राजनीति विज्ञान की मुस्लिम शोध छात्रा नजमा परवीन ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर पीएचडी  की है.उन्होंने अपने अध्ययन में मोदी को राजनीति का महानायक बताया है.परवीन ने कहा है कि वह(मोदी) देश के भरोसेमंद नेता हैं. वह मुसलमानों के विरोधी नहीं, बल्कि हितैषी हैं. आध्यात्मिक चिंतक व समाज सुधारक भी हैं. वर्ष 2014 का चुनाव वंशवाद की समाप्ति और एक पार्टी के अधिनायकवाद को खत्म करने वाला रहा. शाही रक्त पर साधारण रक्त की विजय हुई थी।



वाराणसी के लल्लापुरा के बुनकर परिवार से संबंध रखने वाली छात्रा का शोध शीर्षक नरेन्द्र मोदी का राजनीतिक नेतृत्व रू एक विश्लेषनात्मक अध्ययन (2014 के लोकसभा चुनाव के विशेष संदर्भ में) है. नरेन्द्र मोदी पर यह अध्ययन देश में मुस्लिम महिला द्वारा किया गया पहला प्रयास है.नजमा ने अपनी पीएचडी पूरी करने में 8 साल लगाये. नजमा के मुताबिक पीएम मोदी ने कहा था कि 2014 के परिवर्तन पर शोध होना चाहिए.नजमा का कहना था उसने संघर्ष प्रबंधन में अध्ययन के लिए जब प्रवेश लिया था, उस समय लोगों ने हतोत्साहित किया कि वह मोदी पर पीएचडी न करें. मुस्लिम होने से भी कई लोग यह नहीं चाहते थे. नजमा ने बताया कि शोध पूर्ण करने के लिए हिंदी की 20 व अंग्रेजी की 79 पुस्तकों का अध्ययन किया. 37 पत्र-पत्रिकाओं के साथ पीएम के भाई पंकज मोदी व आरएसएस पदाधिकारी इन्द्रेश कुमार से बातचीत कर साक्ष्य जुटाए हैं। नजमा की पीएचडी में  बनारस के साथ-साथ तीन तलाक आंदोलन, मुस्लिम महिलाओं द्वारा पीएम को राखी भेजने और भारतीय अवाम पार्टी के मोदी समर्थन को प्रमुखता मिली है. मुरली मनोहर जोशी से काशीवासियों की नाराजगी और मोदी को बनारस से चुनाव लड़ाने का भी वर्णन है।

नजमा ने अपने अध्ययन में कहा कि नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के सहयोगी कर्नल निजामुद्दीन 114 वर्ष के थे, तब मंच पर पहुंचने पर मोदी ने उनका पैर छूकर आशीर्वाद लिया। इस घटना ने करोड़ों भारतीयों के दिल में उनके लिए जगह बनाई. नजमा के माता-पिता की मृत्यु हो चुकी है.राजनीति शास्त्र विभाग के प्रोफेसर संजय श्रीवास्तव के निर्देशन में शोध पूरा हुआ है।


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