30.5.08

कमीने कालिया की नई करतूत उर्फ नई भड़काऊ चिट्ठी

अविनाश, तुम साले चुप क्यों हो, मुझे बलात्कारी साबित करो वरना मैं तुम्हारी फाड़ूंगा।

तुम साले, एनडीटीवी के बल पर, एनडीटीवी का बैनर इस्तेमाल कर अपने को सबसे प्रभुत्वशाली पत्रकार और बौद्धिक साबित करना चाहते हो।

भले एनडीटीवी की आंखो में तुम्हारी हरकतें नागवार न गुजरे, पर मैं तुम्हें न छोड़ूंगा।

तुम कितने कमीने हो, तुम किस तरह हम भड़ासियों को उकसा रहे हो, उसकी प्रतीक तुम्हारी चिट्ठियां हैं जो कभी तुम हृदयेंद्र को भेज रहे हो, कभी मुझे.....


तुम्हारी नवीनत चिट्ठी, तुम्हारी बीमार मानसिकता और तुम्हारे अंदर के दैत्य को साक्षात दिखा रही है.....


On 29/05/2008,

avinash das avinashonly@gmail.com wrote:
moorkh ho... aur kya kahoon... mitrata mein sabko le doobege... jaari rakho apna abiyan... log tumhare baare mein raay bana rahe hain, mere baare mein nahi...

aur moorkh, rahta ghaziabad mein hoon... dilli ka address NDTV ka hai- dilli mein maamla darj karwaya hai... wo saare links mere nahi, tumhare charitra ki kahani kah rahe hain...



और हां, नई खबर ये है कि भडा़स के देश के कोने कोने से साथी दिल्ली आने लगे हैं, पहली खेप में अपने भड़ास के मुख्य प्रवक्ता मनीष राज आ चुके हैं।

ये कल से मेरे साथ पूरे दिन और पूरी रात रहेंगे, इसलिए मैं अब डबल ऊर्जा से भर चुका हूं।

दोस्तों, कालिया के खिलाफ प्रणय राय और राधिका राय को मेल भेजना जारी रखें। इसकी जल्द ही कटने वाली है।

जय भड़ास
यशवंत

2 comments:

  1. सच तो ये है कि अविनाश कलुआ अभी तक तुम्हें तुम्हारे कमीनेपन और नीचता के कारण कोई मित्र मिला ही नहीं और न मिलेगा जिसे तुम संग में लेकर डूब सको या वो तुम्हारे संग सहर्ष डूबने को नहीं बल्कि हजारो बार मरने को तैयार हो,मित्रों के डूबने की बात से तो तुमने अपनी भयंकर मूर्खता दिखाई है,एक बार तुमसे फिर कह रहा हूं कि जरा एक बार पलट कर देख लेना कि तुम्हें जो भ्रम है कि कुछ तुम्हारी ही फितरत के लोग तुम्हारे साथ हमेशा हर मुसीबत में रहेंगे तो जब आपत्ति आती है सच्चे मित्रों की आजमाइश का मौका लाती है,तुम जरा अपने किसी मित्र को आजमाओ जिसके मित्र होने का तुम्हें भ्रम हो और फिर जरा आंखे फाड़ कर भड़ास की ओर देखना मैं वेबपेज से निकल कर तुम्हारा सबसे बुरा सपना बनने वाला हूं लेकिन एक बार फिर चेतावनी दे रहा हूं कि मेरे पास खोने के लिये कुछ नहीं है और तुम्हारे पास तुम्हारा स्टेटस और परिवार है जरा विचारविमर्श कर लो और फिर बात को अंतिम परिणाम तक तो हम ही ले जाने वाले हैं मुझे तुम्हारे परिवार से हमदर्दी है तुम्हारा कमीनापन उन्हें भारी पड़ने वाला है... इस बात का अफ़सोस रहेगा लेकिन यही तो बुरा पहलू है किसी भी लड़ाई का.......

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  2. दादा,

    इस ससुरे कलुआ को मित्रता का भान तक नही है, वैसै भी हमारे यहां देवान जी से कोइ मित्रता करता ही नहि है कयौंकि इन की जात ही तेल लगाउ होती है, अपना काज साधने के लिये ये गधे से भी गांड मरा सकते हैं अपने बाप की मार भी सकते हैं।

    बेपेंदी के इस लोटे को एन डी टी वी मे मरवाने दो जिस दिन हाथ चढ गया अगारी पिछारी सब बराबर हो जायेगी।

    जै जै भडास

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