6.7.08

निंदनीय है

कुछ समय से लगातार मीडिया पर हमला देखने को मिल रहा है। कुछ दिन पहले सतना के मीडिया कर्मियों पर पुलिस द्वारा लाठी बरसी गई। जिस को लेकर सतना का मीडिया पुलिस के खिलाफ लामबंद हुआ। आलम यह था की नाराज मीडिया कर्मियों ने सीएम का प्रोगाम कवर नही किया। अब मेरठ में टीवी पत्रकार के साथ मर- पिट। वाकई एसी घटनायों की जीतनी निंदा की जाय उतना कम है।
भारत भूषण श्रीवास्तव
satna

3 comments:

  1. निंदा करने की बजाये अगर मीडिया के रोल और जनता की मीडिया के बारे में राय पर सोच-विचार करें तो ज्यादा उपयुक्त होगा. हिंसा निंदनीय है, कोई भी करे. पर हिंसा केवल शारीरिक नहीं होती, वह सोच और वचन में भी होती है. मीडिया में जितनी हिंसा होती है उसके मुकाबले में मीडिया पर हो रही हिंसा कुछ भी नहीं है.

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  2. भारत भाई,आप तो सतना में ही होंगे अब तक बच्चों को पढ़ाते हुए तो जरा उन बहादुर पुलिस वालों की तस्वीरें और करी गयी बहादुरी का विवरण तो भड़ास पर भेजिये ताकि उन्हें भड़ास की तरफ से इस सुअरपन के लिये "हरामी शिरोमणि" पुरस्कार के लिये नामांकित करा जा सके........

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  3. AGAR KOI VYAKTI MEDIA SE JURHA HAI TO USE KHUDAA NAHEEN MAAN LENAA CHAAHIE. ISKAA MATLAB YE NAHEEN KI POLICE YAA SARKAAR KISEE PATRKAAR KO JAB CHAAHE RAUND DE. UTPEERHAN KARE LEKIN MEERUT KE JO PATRKAAR PITE HAIN UNKAA PURAANAA ITIHAAS HAI. AB SE PAHLE BHEE WO 6 BAAR PIT CHUKEN HAIN. SHARAAB PEEKAR HANGAAMAA KARNAA, ROKNE PAR APNE KO PATRKAAR KAHKAR RAUB DIKHAANAA BHEE KAHAAN TAK JAAYAJ HAI. YE JANAAB SHARAAB PEEKAR KISEE BHEE POLICE BAALE SE BHIRH JAATE HAIN. ASANSADIYA BHAASHAA KAA PRAYOG KARTE HAIN. ESE MEIN KISKEE NINDAA KEE JAAYE.

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