जब छोटा था तब माँ की शैया गीली करता था।
अब बड़ा हुआ तो माँ की आँखें गीली करता हूँ ॥
माँ पहले जब आंसू आते थे तब तुम याद आती थी।
आज तुम याद आती हो....... तो पलकों से आंसू छलकते है....... ॥
जिन बेटो के जन्म पर माँ -बाप ने हँसी खुशी मिठाई बांटी ।
वही बेटे जवान होकर आज माँ-बाप को बांटे ...... ॥
लड़की घर छोडे और अब लड़का मुहँ मोडे ........... ।
माँ-बाप की करुण आँखों में बिखरे हुए ख्वाबो की माला टूटे ॥
चार वर्ष का तेर लाडला ,रखे तेरे प्रेम की आस।
साथ साल के तेरे माँ-बाप क्यों न रखे प्रेम की प्यास ?
जिस मुन्ने को माँ-बाप बोलना सिखाएं ......... ।
वही मुन्ना माँ-बाप को बड़ा होकर चुप कराए ॥
पत्नी पसंद से मिल सकती है .......... माँ पुण्य से ही मिलती है ।
पसंद से मिलने वाली के लिए,पुण्य से मिलने वाली माँ को मत ठुकराना....... ॥
अपने पाँच बेटे जिसे लगे नही भारी ......... वह है माँ ।
बेटो की पाँच थालियों में क्यों अपने लिए ढूंढें दाना ॥
माँ-बाप की आँखों से आए आंसू गवाह है।
एक दिन तुझे भी ये सब सहना है॥
घर की देवी को छोड़ मूर्ख ।
पत्थर पर चुनरी ओढ़ने क्यों जन है.... ॥
जीवन की संध्या में आज तू उसके साथ रह ले ।
जाते हुए साए का तू आज आशीष ले ले ॥
उसके अंधेरे पथ में सूरज बनकर रौशनी कर।
चार दिन और जीने की चाह की चाह उसमें निर्माण कर ....... ॥
तू ने माँ का दूध पिया है .............. ।
उसका फर्ज अदा कर .................. ।
उसका कर्ज अदा कर ................... ।-अनूप गोयल
लेबल: गोयल जी की कविता
maa kya hai ye to shayad bhagwan bhi na bata paye .....
ReplyDeletemaine bhi apne blog www.mideabahes.blogspot.com par ek post maa ke liye likhi hai zaroor padhiyega