31.8.10
गरीबों की भूख कोर्ट की फिक्र,लेकिन मंत्री बेफिक्र
दो अखबार, दो बाइलाइन, खबर लगभग एक
यह मामला लखनऊ का है. उपर की खबर डेली न्यूज एक्टीविस्ट अखबार में प्रकाशित हुई. उसके कुछ दिन बाद हिंदुस्तान, लखनऊ में वही खबर प्रकाशित हुई, बाईलाइन. चर्चा है कि डीएनए से सारा मैटर व तथ्य उड़ाकर रिपोर्टर ने हिंदुस्तान में टेबल स्टोरी फाइल कर दी और उसे वरिष्ठों ने पहले पन्ने पर प्रकाशित कर उस दिन की सबसे अच्छी स्टोरी का खिताब दे डाला. आप दोनों रिपोर्टों को पढ़िए और फिर फैसला करिये. पढ़ने के लिए उपरोक्त रिपोर्टों पर क्लिक करें.
लापरवाह कर्मियों के विरूद्ध सख्त कदम उठाये जायेंगे। निशंक
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30.8.10
main......भूत बोल रहा हूँ..........!!!
अहमदाबाद, जागरण संवाददाता : भले ही गुजरात में हिंदू हितों की दुहाई देने वाली भाजपा की सरकार है, बावजूद इसके आजकल राज्य के पुलिस विभाग में आस्था और कानून की जंग छिड़ी हुई है। दरअसल राज्य के कई पुलिसकर्मी गुजराती श्रावण मास का उपवास रख रहे हैं, जिसके चलते उनकी दाढ़ी बढ़ गई है। पुलिस आयुक्त के निर्देश पर उपवासी पुलिसकर्मियों को दाढ़ी कटवाने का फरमान सुनाया गया है। संयुक्त पुलिस आयुक्त अतुल करवल ने अहमदाबाद के सभी पुलिस थानों, चौकी, पीसीआर वैन, मोबाइल वैन को आदेश जारी किया है, जिसके अनुसार राज्य के किसी भी पुलिसकर्मी को श्रावण मास में दाढ़ी रखने की छूट नहीं है। उपवास कर रहे जिन पुलिसकर्मियों की दाढ़ी बढ़ गई है उसे तुरंत कटवा लेने के निर्देश दिए गए हैं। करवल ने बताया कि समुदाय विशेष को छोड़कर दाढ़ी रखने वाले पुलिसकर्मियों के खिलाफ विभागीय कार्यवाही की जाएगी। उपवास रखने वाले पुलिसकर्मियों ने दाढ़ी रखने की छूट मांगी थी जिसे खारिज कर दिया गया था। इसके बावजूद पुलिसकर्मियों ने उपवास शुरू कर दिया और दाढ़ी नहीं कटवाई। इससे चिंतित आला अधिकारी अब दाढ़ी कटवाने का दबाव डाल रहे हैं।
Courtesy: Dainik Jagran 30.08.2010
अलोक एम इन्दोरिया के मार्गदर्शन मैं परिवार टुडे हुआ बेहतर
परिवार टुडे के पूर्व संपादक बालेन्दु मिश्र के जाने के बाद ऐसा लग रहा था की परिवार टुडे की टीम शायद ही किशी नए संपादक को सहयोग करेगी। लेकिन अब लगता है की aलोक इन्दोरिया ने टीम की पूरी बागडोर अपने कुशल हाथों मैं ले ली है। जिस कारन परिवार टुडे मियन पहले से सुधर हुआ है। अन्यथा लोग तो ये कहने लगे थे की परिवार टुडे का हश्र भी आदित्यज की तरह ही होगा। लेकिन आलोक इन्दोरिया ने इन सभी बातों को गलत साबित कर दिखाया। उन्होंने दुनिया को बता दिया की हिम्मते मर्दन ते मदद ऐ खुदा।
इन्दोरिया जी आपको और आपकी टीम को हमारी शुभकामनायें । लगे रहो मुन्ना भाई.
26 GENTLEMEN CADETS OF PC (SL) COURSE-23
आखिर बदमाशों की अय्याशी का कहां था ठिकाना...?
मशीनी युग में इस प्रकार के प्रयासों से ही मानवता को बचाया जा सकता है। निशंक
मुख्यमंत्री डॉ. निशंक ने कहा कि चिकित्सा एवं स्वास्थ्य के क्षेत्र में उत्तराखण्ड सरकार नये मेडिकल कॉलेजो की शुरूआत सहित कई प्रभावी योजनाएं लागू कर रही है। उन्होंने कहा कि 108 एंम्बूलेंस सेवा की सफलता सर्वविदित है। इसी प्रकार हाल ही में कोरोनेशन अस्पताल में लोक निजी सहभागिता के आधार पर नेफ्रोलॉजी सेंटर की स्थापना की गई है। रोटरी इंटरनेशनल द्वारा पोलियो उन्मूलन अभियान में दिये जा रहे योगदान की सराहना करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि रोटरी इंटरनेशनल के सदस्य न केवल आर्थिक रूप से सक्षम है वरन वे वैचारिक एवं सांस्कृतिक रूप से भी समृद्ध है। उन्होंने कहा कि आज के इस मशीनी युग में इस प्रकार के प्रयासों से ही मानवता को बचाया जा सकता है। उन्होंने रोटरी इंटरनेशनल से प्रदेश के विकास में और अधिक योगदान करने की अपील की।
प्रदेश के स्वास्थ्य सचिव डॉ. उमाकान्त पंवार ने कार्यक्रम में पल्स पोलियो कार्यक्रम में प्रदेश सरकार द्वारा दिये जा रहे योगदान की जानकारी देने के साथ ही आगामी नीतियों पर चर्चा की। स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ. एचसी भट्ट ने स्वयंसेवियों द्वारा दिये जा रहे योगदान के साथ ही लोगों में जागरूकता का प्रसार करने वाली विधियों पर चर्चा की।
रोटरी इंटरनेशनल के डिस्ट्रिक्ट गवर्नर मधुकर मल्होत्रा ने बताया कि 1985 में पोलियो की बीमारी 125 से अधिक देशों में फैली थी। और आज यह केवल चार देशों अफगानिस्तान, पाकिस्तान, नाईजिरिया और भारत में मौजूद है। उन्होंने कहा कि भारत से इस बीमारी का समूल नाश ही सभी का लक्ष्य होना चाहिए।
कार्यक्रम में प्रदेश मीडिया सलाहकार समिति के अजेन्द्र अजय, डॉ. नितिन बिष्ट, पियूष मित्तल, प्रेम भल्ला, जागृति नवानी आदि उपस्थित थे।
गौ, गंगा और हिमालय भारतीय संस्कृति की पहचान .निशंक
इस अवसर पर मुख्यमंत्री डॉ. निशंक ने धेनु मानस को अद्वितीय गं्रथ बताया। उन्होंने कहा कि इस ग्रंथ के प्रकाशन हेतु स्वामी गोपालमणि जी को भारतीय संस्कृति के ध्वजवाहक व उत्तराखण्ड की जनता की ओर से साधुवाद व्यक्त करते है। उन्होंने कहा कि इस देवभूमि में इस गं्रथ के माध्यम से पूरे देश में एकता एवं त्याग का प्रभावी संदेश जायेगा, जो आज के युग में प्रासंगिक है। मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड देवभूमि की संस्कृति में गौ सहित दुर्गा, सरस्वती आदि को मां के रिश्ते से जोड़कर सम्मान करने की परम्परा है। उन्होंने कहा कि ग्रंथ से यह निष्कर्ष निकलता है, कि गाय मां ही उत्पत्ति का मूल स्रोत है। उन्होंने भारतीय इतिहास व संस्कृति के पुनर्रूत्थान में ग्रंथ को मील का पत्थर बताया।
मुख्यमंत्री डॉ. निशंक ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा गौ संरक्षण की दिशा में ठोस कदम उठाये जा रहे है। इसके लिए ऋषिकेश में गौे विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी अनुसंधान की स्थापना की जा रही है। गोवंश संरक्षण के लिए राज्य में गोवध पर प्रतिबंध लगाया है। देहरादून के कालसी क्षेत्र में गौ नस्ल सुधार हेतु भ्रूण प्रत्यारोपण केन्द्र विकसित किया गया है तथा गो मूत्र अर्क को आर्थिकी से जोड़ा जा रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि गाय भारतीय संस्कृति को एकता में पिरोती है। उत्तराखण्ड सरकार द्वारा स्पर्श गंगा अभियान द्वारा गंगा की अविरलता, स्वच्छता के लिए स्पर्श गंगा अभियान की शुरूआत की गई है, जिससे प्रभावित होकर विश्व के अनेक देशों ने इसे सराहा है।
इस अवसर पर गं्र्रथ के रचियता गोपालमणि जी महाराज ने कहा कि दैवीय प्रेरणा से उन्होंने इस ग्रंथ की रचना की है। उन्होंने कहा कि गौ माता में दिव्य शक्ति है, जिसे पहचाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार गौ संरक्षण की दिशा में किये जा रहे कार्य सराहनीय है।
उपाध्यक्ष खादी ग्रामोद्योग बोर्ड प्रेम बुढाकोटी ने कहा कि गंगा, गाय, और हिमालय पर केन्द्रित इस ग्रंथ को एक साहित्यकार के रूप में डॉ. निशंक द्वारा लोकर्पित करने से इसका महत्वपूर्ण और भी बढ़ गया है।
कार्यक्रम में ग्राम्य विकास राज्यमंत्री श्रीमती विजया बड़थ्वाल, महिला आयोग की अध्यक्षा श्रीमती सुशाील बलूनी, खेल परिषद के अध्यक्ष नारायण सिंह राणा, उपाध्यक्ष प्रांतीय रक्षक दल सुभाष बड़थ्वाल, अध्यक्ष मीडियाल सलाहकार समिति डॉ. देवेन्द्र भसीन, समिति के अध्यक्ष बलबीर सिंह पंवार आदि उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन कलाकार जे.पी.ममंगाई ने किया। 09837261570
सरकार खेल एवं खिलाड़ियों की तरक्की के लिए प्रतिबद्ध ..निशंक.
उल्लेखनीय है कि श्री प्रेम कुमार ने हाल ही में राष्ट्रीय पैरा औलंपिक खेलों में बैंटमिंटन प्रतियोगिता में राज्य के लिए दो कांस्य पदक जीते थे। श्री कुमार बैंटमिंटन और तैराकी में अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर भी प्रतिभाग कर चुके हैं।
09837261570
महिला पत्राकार के एमएमएस से मची सनसनी
जब सेल्स टेक्स अधिकारिओ को बंधक बनाया
अखिलेश उपाध्याय / कटनी
स्लीमनाबाद. शनिवार रात स्वील माईन्स प्रबंधक कर्मिओ ने कर अपवंचन की छापामार कार्यवाही करने पहुची वाणिज्यकर विभाग की टीम को रात में बंधक बना लिया गया.
अधिकारिओ ने उपायुक्त एम् एस चौहान को फोन किया और उन्होंने एस पी कटनी से लगातार संपर्क बनाकर रखा तो टीम को रात सवाग्यारह बजे बमुशिकिल मुक्त कराया जा सका. एंटी इवेजन ब्यूरो श्री चौहान को स्वयं स्लीमनाबाद आना पड़ा.
पुलिस ने वाणिज्य कर अधिकारी जबलपुर पी एन तिवारी की रिपोर्ट स्वील माईन्स मेनेजर पुष्पराज सिंह, जयंत गोस्वामी, पोतेदार, सिक्योरिटी हेड , मिश्र, अनिल गुप्ता के विरुद्ध धारा 147 , 352 , 342 , 506 भादवि के तहत अपराध पंजीबद्ध किया है हालाकि अभी तक किसी आरोपी की गिरफ्तारी नहीं हो सकी है.
पुलिस के मुताबिक मार्बल का खनन करने वाली स्वील माईन्स प्रबंधन के विरुद्ध वाणिज्यकर अपवंचन की शिकायतों को लेकर वाणिज्यकर विभाग जबलपुर डिप्टी कमिश्नर एम् एस चौहान ने नेतृत्व में डिप्टी कमिश्नर भोपाल पी के सिंह, वाणिज्यकर अधिकारी नरसिंहपुर बी पी दुबे, आर एन मिश्र, आर जी स्वर्णकार जबलपुर, ऐ के श्रीवास्तव, सी एन तिवारी आदि लगभग पच्चीस अधिकारिओ की टीम ने स्वील माईन्स के गुदरी, पिपरोध, छपरा व कटनी स्थित ठिकानो पर एक साथ छापा मार कर कार्यवाही की.
बताया जाता है की जाँच के दौरान ग्यारह करोड़ रूपये के वाणिज्यकर अपवंचन का मामला सामने आया है. वाणिज्यकर टीम ने शनिवार रात की जाँच कार्यवाही में कर अपवंचन से सम्बंधित दस्तावेजो को सील करने के साथ-साथ दो कमरे व 8-10 कंप्यूटर
भी सील कर दिए थे. अपनी जाँच कार्यवाही पूर्ण करने के बाद सीलबंद किये संदिग्ध दस्तावेजो को लेकर जब वाणिज्यकर टीम रवाना होने लगी तभी माईन्स मैनेजर पुष्पराज सिंह, जयंत गोस्वामी, पोतेदार, सिक्योरिटी हेड मिश्र, अनिल गुप्ता सहित अन्य लोगो ने दस्तावेजो और अभिलेखों को ले जाने से रोकने का प्रयास किया तथा सुरक्षा गार्ड से सभी गेट बंद करवा दिए. वाणिज्यकर अधिकारिओ की टीम को दो घंटे तक फेक्ट्री के अन्दर जबरिया ढंग से अनेक सशत्र गार्डो ने बंधक बना लिया और बाहर निकलने नही किया.
इस पर वाणिज्यकर अधिकारिओ ने आई जी एम् आर कृष्ण व एस पी मनोज शर्मा को मोबाईल पर सम्पूर्ण घटनाक्रम से अवगत
कराया. इसके बाद टी आई एम् पी पौराणिक, कुठला टी आई राजपूत, एस आई बाजपेई,अवध दुबे, केशव दुबे, दीनदयाल दुबे आदि बल सहित फेक्ट्री पहुचे और वाणिज्यकर अधिकारिओ को मुक्त कराकर फेक्ट्री से रात 11 .45 बजे बाहर निकला सभी वाणिज्यकर अधिकारी स्लीमनाबाद पुलिस थाने पहुचे जहा चार घंटे की जद्दो जहद के बाद अंततः माईन्स प्रबंधन के विरुद्ध रिपोर्ट दर्ज की जा सकी. सुबह पांच बजे वाणिज्यकर टीम अपने गंतव्य की ओर रवाना हो सकी.
थाने में लगा रहा जमघट
रात में ही गुदरी में मीदिअकर्मी पहुचे तो माईन्स प्रबंधको ने उन्हें गेट के बाहर रोक दिया और उनसे भी अभद्रता की गई. मौके पर पीली बत्ती गाडी में पहुचे राजस्व व पुलिस अधिकारिओ को भी गेट के बाहर एक घंटे तक रोक दिया गया.
जिला प्रशासन को कमजोर पकड़ते देख जबलपुर से एंटी इवेजन ब्यूरो के डिप्टी कमिश्नर एम् एस चौहान रात बारह बजे तक स्लीमनाबाद पहुचे. उस समय कामर्सिअल टेक्स की टीम, राजस्व अधिकारी सभी थाने में मौजूद थे. माईन्स प्रबंधन ने गुदरी में स्लीमनाबाद टी आई को एक आवेदन किया की वाणिज्यकर टीम ने अभद्र व्यवहार किया. इनके खिलाफ रिपोर्ट की जाए. कंपनी प्रबंधन का कोई भी प्रतिनिधि रिपोर्ट कराने थाने नहीं आया. स्लीमनाबाद पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज करने की कार्यवाही में सबेरा कर दिया. सुबह पांच बजे अधिकारी अपने घर लौट सके.
प्रबंधको के हाथो की कठपुतली बनी कटनी पुलिस
इस सम्बन्ध में एम् एस चोहान एंटीविजन ब्यूरो ( उपायुक्त) ने कहा- हमने तीन पेटी कागजात जब्त किये है, सम्भावना है एक बड़ी कर चोरी जाँच में सामने आयेगी. आवश्यकता होने पर आयकर व एक्साइज विभाग को भी जाँच के लिए कागजात उपलब्द्ध करायेगे. यहाँ की पुलिस ने शासकीय कार्य कर रही सर्वे टीम को सहयोग नहीं दिया. इनकी भी शिकायत उच्चाधिकारियो को दी जायेगी.
क्यों बने आक्रांता का मकबरा?
बलराज मधोक ने अपनी पुस्तक 'जिन्दगी का सफर-२, स्वतंत्र भारत की राजनीति का संक्रमण काल' में उल्लेख किया है कि वह अगस्त १९६४ में काबुल यात्रा पर गए। वहां उन्होंने ऐतिहासिक महत्व के स्थान देखे। संग्रहालयों में शिव-पार्वती, राम, बुद्ध आदि हिन्दू देवी-देवताओं और महापुरुषों की पुरानी पत्थर की मूर्तियां देखीं। इसके अलावा उन्होंने काबुल स्थित बाबर का मकबरा देखा। मकबरा ऊंची दीवार से घिरे एक बड़े आहते में स्थित था। परन्तु दीवार और मकबरा की हालत खस्ता थी। इसके ईदगिर्द न सुन्दर मैदान था और न फूलों की क्यारियां। यह देख बलराज मधोक ने मकबरा की देखभाल करने वाले एक अफगान कर्मचारी से पूछा कि इसके रखरखाव पर विशेष ध्यान क्यों नहीं दिया जाता? उसका उत्तर सुनकर बलराज मधोक अवाक् रह गए और शायद आप भी सोचने पर मजबूर हो जाएं। उसने मधोक को अंग्रेजी में जवाब दिया था - “Damned foreigner why should we maintain his mausaleum.” अर्थात् कुत्सित विदेशी विदेशी के मकबरे का रखरखाव हम क्यों करें?
काबुल में वह वास्तव में विदेशी ही था। उसने फरगना से आकर काबुल पर अधिकार कर लिया था। परन्तु कैसी विडम्बना है कि जिसे काबुल वाले विदेशी मानते हैं उसे हिन्दुस्तानी के सत्ताधारी और कुछ पथभ्रष्ट बुद्धिजीवी हीरो मानत हैं और उसके द्वारा श्रीराम जन्मभूमि पर मंदिर तोड़कर बनाई गई कथित बाबरी मस्जिद को बनाए रखने में अपना बड़प्पन मानते हैं। इसका मूल कारण उनमें इतिहास-बोध और राष्ट्रभावना का अभाव होना है।
लगातार बाबर के वंशजों के निशाने पर रही जन्मभूमि : पाकिस्तान समर्थित आतंकवादी गुट लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद ने पिछले कुछ वर्षों में करीब आठ बार रामलला के अस्थाई मंदिर पर हमले की योजना बनाई, जिन्हें नाकाम कर दिया गया। ५ जुलाई २००५ को तो छह आतंकवादी मंदिर के गर्भगृह तक पहुंच गए थे। जिन्हें सुरक्षा बलों ने मार गिराया।
कामन वेल्थ खेलो का गीत उसके भावार्थ सहित…
पेश है कामन वेल्थ खेलो का गीत उसके भावार्थ सहित..
प्रसंग : ये पद्य हमने कामन वेल्थ खेलो के गीत से लिया है.. यहां पर नेता अपनी कमाई की खुशी मे जोर जोर से गीत गा रहा है.. गीत का भावार्थ निम्न है..
भावार्थः नेता अपने साथ के ठेकेदारो को यारो कह कर सम्बोधित करता है और कह्ता है कि यारो मैने इंडिया बुला लिया.. अर्थात कि नेता ने पूरे देश से जितने भी ठेकेदार और कम्पनियां थी उनको दिल्ली बुला लिया है.. इसके आगे वो अपने द्वारा किये गये झोल झाल की प्रशंसा करते हुए कह्ते हैं कि ये खेल है और इस से बडा ही मेल है.. अर्थात इस झोल झाल मे बहुत लोग मिले हुए हैं.. और जो नही मिले उन्हे भी मिला लिया.. मिला लिया. (अतिरेक मे नेता इसे दो बार गाता है) इसके बाद वो फिर ठेकेदारो को संबोधित करते हुए कहता है कि तुम लोग रुकना नही, क्यों कि अगर केवल इतना ही खा कर रुक गये तो फिर आगे मौका ना जाने मिले ना मिले.. इसलिये अभी हारना नही .. जुनून से या फिर कानून से.. किसी से भी नही रुकना.. बस मैदान मार लो.. पैसे मार लो.. झपट्टा मार लो..
अपने दूसरे अन्तरे मे नेता कह्ता है कि अगर मै ये माल खा कर पर्वत से भी ऊपर उठ जाऊं तो फिर ये दुनिया सलामी देगी..और मेरे इरादे कहीं सर् दिल ना हो जायें इसलिये तुम सभी ठेकेदार मुझे सूरज जैसी गरमी दो.. अपनी देश की माटी देखो कैसी सजी है. तुम इसे और ज्यादा सजाने के लिये ठेके उठाओ.. कई स्टेडियम हैं, सडकें हैं, पुल हैं मगर समय बहुत कम है.. क्यों कि खेल सिर्फ अभी हैं और सारा माल यहीं समाया हुआ है.. इसिलिये मुझे आजकल लगन लगी हुई है.. (अतिरेक मे नेता इस लगन वाली लाईन को कई बार बोलता है) बीच बीच मे नेता ठेकेदारो का उत्साह बढाने के लिये अंग्रेजी मे लेट्स गो लेट्स गो भी बोलता है.. जिसे अंग्रेजी समझ्ने वाले बडे नेता समझ लेते हैं..
29.8.10
आओ न कुछ बात करें
किसका घूंसा - किसकी लात, आओ न कुछ बात करें...
होती रहती है बरसात, आओ न कुछ बात करें।
छोड़ो भी भी ये जज्बात, आओ न कुछ बात करें।
गांव के देखे हैं हालात, आओ न कुछ बात करें।
पैसे देंगे कुछ दिन बाद, आओ न कुछ बात करें।
बांटे जीवन की सौगात, आओ न कुछ बात करें।
कौन रहा जीवन भर साथ, आओ न कुछ बात करें।
फिर आई वैसी ही रात, आओ न कुछ बात करें।
कैसा फूल और किसका हाथ, आओ न कुछ बात करे।
हरिद्वार जिला युवा कांग्रेस ने कराया ताकत का अहसास
* युवा जोड़ो अभियान में उमड़े हजारो युवा
* मिसन २०१२ फ़तेह करने का लिया संकल्प
* ५५० नए युवाओ ने ली युवा कांग्रेस की सदस्यता
दिनांक २९/०८/२०१० को रोड धर्मशाला में युवा कांग्रेस के
जिलाद्ध्यक्ष राजीव चौधरी के नेत्रत्व में युवा जोड़ो अभियान सम्मलेन में
हजारो युवाओ ने शिरकत की | कार्यक्रम की अद्ध्यक्ष्ता शहर अद्ध्यक्ष ओ.
पी. चौहान ने की सञ्चालन युवा कांग्रेस जिला महासचिव राम विशाल देव ने
किया | कार्यक्रम में बतौर मुख्या अतिथि युंका प्रदेश अद्ध्यक्ष राजपाल
खरोला व् विशिष्ठ अतिथि पूर्व राजमंत्री संजय पालीवाल, नगर पालिका सभासद
अशोक शर्मा व् युंका शहर अद्ध्यक्ष रविश भटीजा उपस्थित हुए |
युवा कांग्रेसियों को संबोधित करते हुए युंका प्रदेश अद्ध्यक्ष राजपाल
खरोला ने कहा कि कांग्रेस महासचिव राहुल गाँधी के नेत्रत्व में पुरे देश
के अन्दर युवाओ में युवा कांग्रेस का सदस्य बनने की एक होड़ मची है | आज
पुरे देश का युवा कांग्रस व् राहुल गाँधी के साथ खड़ा है | उन्होंने युंका
जिलाद्ध्यक्ष राजीव चौधरी को बधाई देते हुए कहा कि जिस तरह उन्होंने अपने
जिलाद्ध्यक्ष कार्यकाल में युवा कांग्रेस को हरिद्वार जनपद में युवा
कांग्रेस की एक मजबूत टीम खड़ी कर पुरे उत्तराखंड के अन्दर हरिद्वार जिला
युवा कांग्रेस को एक पहचान दी है | उसकी जितनी प्रसंशा की जाये कम है |
उन्होंने आज युवा कांग्रेस में शामिल हुए युवाओ का स्वागत करते हुए कहा
कि उनके हर सुख दुःख में युवा कांग्रेस व् कांग्रेस हमेशा उनके साथ खड़ी
रहेगी |
डॉ. संजय पालीवाल ने कहा कि आज कई वर्षो बाद युवा कांग्रेस के इस
कार्यक्रम में उमड़ी युवाओ की भीड़ ने साबित कर दिया है कि आने वाले
पंचायत व् विधानसभा चुनाव में कांग्रेस अपने लक्ष्य को प्राप्त करते हुए
सभी पार्टियों का सफाया करने में कामयाब होगी | उन्होंने कहा कि भाजपा के
शासनकाल में युवाओ को रोजगार के लिए दर दर भटकना पद रहा है और ये ही
युवा २०१२ में भाजपा को जड़ से उखड कर कांग्रेस की सर्कार बनाने का काम
करेंगे |
युंका जिलाद्ध्यक्ष राजीव चौधरी ने कहा की जिस तरह जनपद के युवाओ ने
उन्हें प्यार और सम्मान दिया है उसके लिए वह हमेशा उनके आभारी रहेंगे और
उनके साथ कंधे से कन्धा मिलकर उनकी आवाज को बुलंद करने का काम करेंगे |
उन्होंने सभी युवाओ से अपील करते हुए कहा कि वे युवा कांग्रेस के सदस्यता
अभियान में बढचढ कर हिस्सा ले ताकि आने वाले चुनावो में युवा कांग्रेस
धुरी बनने का कम करे |
नगर पालिका सभासद अशोक शर्मा ने कहा कि युवा कांग्रेस पार्टी की रीढ़ है
और वह हमेशा युवा कांग्रेस के साथ खड़े होकर युवाओ की आवाज को मजबूत करने
का काम करेंगे |उन्होंने सभी युवाओ से मिसन २०१२ को फतह करने के लिए आज
ही से जुट जाने का आह्वान किया |
कार्यक्रम की अद्द्याक्ष्ता कर रहे शहर अद्ध्यक्ष ओ.पी. चौहान ने सभी
युवो को इसी तरह से एकजुट रहकर भाजपा सरकार की जनविरोधी नीतियों को जन जन
तक पहुँचाने का आह्वान किया व् उपस्थित युवाओ धन्यवाद् किया|युवा जोड़ो
अभियान कार्यक्रम में ५५० नए युवाओ ने युवा कांग्रेस की सदस्यता ली|सभी
युवाओ ने राजपाल खरोला, राजीव चौधरी, रविश भटीजाका जोरदार स्वागत किया |
ठाकुर रतन सिंह व् राम विशाल देव ने कहा कि सांसद हरीश रावत द्वारा युवाओ
को दिए जा रहे सम्मान से भी युवाओ में जोश है और वह कांग्रेस के साथ जुड़
रहे है |उन्होंने कहा कि हरीश रावत युवाओ की हर समस्या में उनके साथ खड़े
है जिससे युवाओ का कांग्रेस पर भरोशा बढ़ रहा है |
कार्यक्रम में मुख्य रूप से संजय पाल, मोनू राणा, शरद सैनी, शीतल
तोमर,मनजीत, विकाश सिंह, मनीष जोशी, मनोज मालिक, पंकज कश्यप, राजू टीबरी,
तेलूराम, मनोज धनगर , राहुल चौहान, विश्रांत शर्मा, नितिन त्यागी, अक्षत
शर्मा, अशोक कुमार, दिनेश पुंडीर संदीप गौड़, रितेश शर्मा, नईम खान, गौरव
शर्मा, आशु, गौरव मेहता, पंकज कुमार, राजेन्दर जाटव, विनोद चौहान,
चंदरपाल, गुलसन अंसारी, मुस्तफा, अरसद, आशीष चौधरी, लवली, कुर्बान अली,
नितिन सैनी , रवि तोमर, हरेंदर मलिक, रोहित बालियान, भरत, भूपेंदर, विवेक
भूसन , बिट्टू सैनी, मोनू, विजय खंडूजा, प्रवेश धीमान, अरुण शर्मा ,
कमलकांत, सौरभ दत्ता, प्रवीण, नितिन शर्मा, मानसिंह, सुन्दर, आदि
उपस्थित रहे |
संस्कृतलेखनप्रशिक्षणकक्ष्या - प्रथमो अभ्यास:
प्रिय मित्रों
जैसा कि मैने आप सब से वादा किया था संस्कृत में लिखने का प्रशिक्षण प्रारम्भ करने का
तो आपके समक्ष प्रस्तुत कर रहा हूँ इस कक्ष्या का प्रथम संस्करण ।
इस पाठ्यक्रम को पूरी मेहनत से और इस तरीके से बनाया गया है जिससे आप संस्कृत लेखन में शीघ्र ही सफल हो सकें ।
मेरा दावा है कि इसके पूरे संस्करण पढने व याद कर लेने के बाद आप बहुत ही आराम से संस्कृत में लिख सकेंगे और अधिकाधिक समझ भी सकेंगे ।
संस्कृतलेखनप्रशिक्षण्कक्ष्या - प्रथम: अभ्यास:
उपरोक्त लिंक पर बलाघात करें ।
एक बात और कहनी थी आप सब से , इस ब्लागजगत में कई लोग ऐसे भी हैं जो संस्कृत में लिखना जानते हैं । उन्हे इस ब्लाग पर लिखने के लिये आमन्त्रित कर रहा हूँ, इच्छुक लोग मुझे ईमेल करें ।
और कई सारे लोग ऐसे भी हैं जो संस्कृत सीखने के इच्छुक हैं पर इस कक्ष्या की जानकारी न होने के कारण लाभ नहीं उठा पा रहे हैं । इसके लिये आप लोगों से अनुरोध है कि आप अपने ब्लाग के साइड में संस्कृतं-भारतस्य जीवनम् ब्लाग का लोगो लगा लें जिसका कोड आप इस ब्लाग के साइडबार से प्राप्त कर सकते हैं ।
इतने सब के बाद अब थोडी कमाई की बात कर ली जाए ।
हमने अपने ब्लाग पर एक बैनर लगाया है, कमाई करने वाला । ये ब्लाग में सबसे उपर ही है, बस आपको करना ये है कि जाते जाते एक बार इस पर क्लिक कर दीजियेगा ।
इससे शायद मेरी कुछ कमाई हो जाए । और अगर आप भी कमाई करना चाहें तो इसपर रजिस्टर कर सकते हैं ।
अब अगर आप का कुछ घाटा भी न हो और हमारी कुछ कमाई हो जाए तो मुझे नहीं लगता आपको कोई ऐतराज होगा ।
।। धन्यवाद ।।
भवदीय: - आनन्द:
लोक-संस्कृति का मजाक उड़ा रहे है-लोक-संस्कृतिकर्मी
22 अगस्त 2010 को उत्तराखंड के प्रसिद्ध रंगकर्मी और जनकवि गिरीश तिवारी ‘गिर्दा’ हमारे बीच नहीं रहे। लंबी बीमारी के बाद उनका निधन हो गया। निश्चित तौर पर उत्तराखंड लोक-संस्कृति के लिए यह बहुत बड़ी छती है। जिससे जल्द भर पाना शायद बहुत मुश्किल होगा। गिर्दा से मेरी कई बार मुलाकात हुई थी। लेकिन इस बार जब मैं उनसे मिलने उनके नैनीताल स्थित उनके निवास कैलाखान में मिला था तो,वह काफी थके हुए थे। जब मैने इसकी वजय पूछि तो बोले,बूढा हो गया हूं ना...और जोर से ठाहका लगाते हुए। मुझसे कुर्सी पर बैठने का आग्रह किया। इसके बाद गिर्दा से मेरी काफी लंबी बातचीत हुई। कई ऐसी बातें भी सामने आई,जो शायद गिर्दा को परेशान कर रही थी। हां...उन्हें खुशी थी,उत्तराखंड लोक-साहित्य और लोक-संस्कृति के क्षेत्र में कुछ लोग व्यक्तिगत और सरकारी तौर पर बहुत अच्छा काम कर रहे है। गिर्दा हमेशा पुरस्कार और सरकारी अनुदान से दूर रहे। उन्होंने कभी भी खुद को इनके मायने में नहीं आने दिया।
लेकिन गिर्दा के निधन के बाद कुछ लोगों ने जिस तरह से उनके नाम पर सियासत करना शुरू कर दिया है। यह बहुत शर्म की बात है। इसके लिए हमें,हम सब को शर्म आनी चाहिए। क्योंकि हम एक ऐसे व्यक्ति विशेष के नाम पर भाषण-बाजी कर रहे है। जो अब इस दुनिया में नहीं। जिसने अपने जीवन को कभी भी राजनीति और भाषणबाजी को औदा नहीं ओढने दिया। वह ताउम्र लोक-संस्कृति को खुद को में विस्थापित करता रहा। लेकिन आज कुछ मठाधिश उनके नाम पर जिस तरह से पुरस्कार और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक को निशान बना रहे है। यह कहां तक उचित है,यह ये मठाधिश अच्छी तरह जानते है।
यह कौन नहीं जानता हैं कि उत्तराखंड बनने के बाद अभी तक वर्तमान सरकार के अलावा किसी और सरकार ने लोक-साहित्य और लोक-संस्कृति के लिए कितने काम किए,या लेखक-पत्रकारों के बारे में किसने सोचा है। निश्चित तौर पर डॉ.निशंक को अभी सत्ता में आए कुछ ही दिन हुए हो,लेकिन यह उनकी सोच का परिणाम हैं कि,उत्तराखंड के साहित्यकारों-पत्रकारों के लेखन को पहली बार प्रकाशित करने का निर्णय लिया गया। वरिष्ठ लेखको-पत्रकारों को पेंशन देने,प्रदेश में भाषा संस्थान,हिन्दी अकादमी तथा संस्कृति-कला परिषद का गठन उन्हीं के प्रयास का प्रतिफल हैं। प्रदेश के साहित्यकारों,कवियों,कलाकारों को विविध स्तर पर सुविधाओं का प्राविधान,साथ ही उनकी कृतियों का प्रकाशन,दुर्लभ पांडुलिपियों,छाया चित्रों का संरक्षण,लोक-कलाकारों के मानदेय एवं दैनिक भत्तों की दरों को पहले से दुगना किया गया है। ऋषिकेश में हिमालयन म्यूजियम स्थापित किया जाना प्रस्तावित है। रेंजर्स कॉलेज परिसर देहरादून में ललित कला अकादमी की स्थापना के लिए किए गए प्रयास महत्वपूर्ण हैं। इसी दिशा में डॉ.निशंक ने एक कदम और बढ़ाते हुए उत्तराखंड में साहित्य के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाले लेखकों के लिए नकद पुरस्कार की घोषणा कर करी है। साहित्य सृजन के लिए मिलने वाले इन पुरस्कारों को स्वर्ण,रजत और कांस्य तीन वर्ग में बांटा गया हैं,जिसमें तीन,दो और एक लाख का नकद पुरस्कार दिया जाएगा।
इसके बावजूद उत्तराखंड में इन दिनों कुछ साहित्य-संस्कृतिकर्मी डॉ.निशंक के नाम पर लोक-संस्कृति का मजाक उड़ा रहे है। इनका कहना हैं कि सरकार उनकी मदद नहीं कर रही है। उन्हें सहयोग नहीं कर रही है। क्या यहां यह देखना उचित नहीं होगा की कई वर्षों तक राज्य में राज करने वाली कांग्रेस सरकार ने क्या कभी राज्य के लेखक-पत्रकारों के बारे में कुछ सोचा था? क्या इस सरकार से पहले कभी किसी सरकार ने इतने बड़े स्तर पर लेखक-पत्रकारों के लिए काम किया था? कौन नहीं जानता कि कांग्रेस के राज में लोक-साहित्य-लोक-संस्कृति के नाम पर जो करोड़ो रूपाया बांटा गया था। उसका आज तक किसी ने हिसाब नहीं दिया है। कौन नहीं जानता कि कुछ लोक-संस्कृति के ठेकेदारों ने जिस तरह से कांग्रेस के राज में अपनी झोलिया भरी और लोक-संस्कृति का बंटाधार किया। और आज यही लोक-संस्कृति के ठेकेदार डॉ.निशंक से भी इसी तरह की आशा लगाए बैठे हैं,लेकिन डॉ.निशंक के दरबार में जब इनका यह पैंतरा नहीं चला तो,लोक-संस्कृति के नाम पर इन्होंने डॉ.निशंक के ऊपर ही किचड़ उछालना शुरू कर दिया। शर्म आनी चाहिए इन लोगों को,जो पूरे दिन पहले तो उत्तराखंड सचिवालय में खुद के लिए और खुद के रिश्ते-दारों के लिए सहयोग लेने के लिए बैठे रहते है। मैं खुद कई बार ऐसे लोक-संस्कृतिकर्मियों को मुख्यमंत्री के दरबार में हाजरी लगाते देखा है। कभी लोक-साहित्य के नाम पर कभी लोक-संस्कृति के नाम पर यह आज भी लूट मचाना चाहते है। लेकिन जब इनकी दाल नहीं गली तो,मुख्यमंत्री पर किचड़ उछाल रहे है। राज्य के मुख्यमंत्री डॉ.निशंक ने कई बार इन लोगों और इनके रिश्तेदारों को भरसक मदद करने की कोशिश की है। ताकि लोक का विकास हो सकें,हमारी संस्कृति को जीवित रखने वाले लोगो आगे बढ़ सकें। लेकिन इसके बावजूद कुछ लोक-सेवी जिस थाली में खा रहे है। उसी में छेद भी कर रहे हैं,साथ ही जो व्यक्ति ईमानदारी के साथ लोक-सेवा के लिए आगे बढ़ना चाहता है। लेखक-पत्रकारों की मदद करना चाहता है,उसके ऊपर आरोप पर आरोप लगाए जा रहे है। इसके बावजूद उम्मीद कर रहे हैं कि लोक साहित्य के हित में जल्दी काम हो लोक-कलाकारों को आर्थिक सहायता मिले। यहां सवाल यह उठता हैं कि जब इस तरह के लोग मुख्यमंत्री के ऊपर आरोप लगाते रहेगें...तो ऐसे में वह काम कैसे करें। आप खुद ही तो उनकी राहों में कांटे बो रहे है,और उम्मीद कर रहे है...वह हमें फूल दें..।
निश्चित तौर भाषा-परिषद और लोक-संस्कृति के तमाम मुददों पर सरकार को अभी थोडा़ समय लगा रहा है। लेकिन ऐसा नहीं कि यह सब कागजी घोषणाएं है। डॉ.निशंक समय-समय इस बारे में बातते आ रहे हैं कि 'हम बहुत जल्द इस दिशा में आगे बढ़ रहे है। और आने वाले समय में हमारे लोक-कलाकारों और साहित्यकार-पत्रकारों सीधा इसका फायदा पहूंचेगा। बस मैं चाहता हूं कि आप लोग मुझे पर विश्वास करें। मेरे साथ खड़े रहे,तो हम निश्चित तौर पर अपने लोक परिवेश को विश्व के श्रेष्ठ मंच तक लेकर जाएगें। जहां हमारी पहचान सबसे अलग होगी'। लेकिन इसके बावजूद हमारे कुछ लोककर्मी निरंतर डॉ.निशंक पर निशाना साध रहे हैं,कभी पुरस्कारों के नाम पर तो कभी लोक-संस्कृति के नाम पर। और इस सब में सबसे आर्चय की बात तो यह हैं कि इसमें वह लोग भी शामिल है। जो आज खुद मुख्यमंत्री की आर्दश सोच के कारण ही,कई वर्षों से ऐसे पदों पर आसीन है। जिसकी गरीमा की सीमा भी अब पार हो चुकी है। उन्हें तो एक साहित्यकार मुख्यमंत्री देखना ही पंसद नहीं है। इसकी वजह शायद यह भी हो कि अब ऐसे लोगों जिनको डॉ.निशंक ने अपनी आर्दश सोच और अपने से बड़ा होने का सम्मान दिया था। इनकी पापों की सीमा अब पूरी हो चुकी है,ये लोग जो उत्तराखंड की कई संस्थाओं और सम्मानित पदों को खुद की थाती समझने लगे थे। इन्हें आभास हो चुका हैं कि अब इनकी बेमानी ज्याद दिनों तक नहीं चलने वाली है। इसी घबराहट में अब ये लोगों खुद को पाक-साफ रखने के लिए मुख्यमंत्री पर किचड़ उछाल रहे है। लेकिन इन्हें यह नहीं बुलना चाहिए कि ईमानदारी के हाथ बहुत लंबे होते है। वह एक ना एक दिन झूठ के गिरेबान तक अवश्य पहूंच जाते है। इन्हें यह भी नहीं भूलना चाहिए कि आज उत्तराखंड का मुख्यमंत्री एक साहित्यकार है। यदि उसके ऊपर किसी ने झूठ आरोप लगाए तो,मुझे नहीं लगता इन आरोप लगाने वाले और मुख्यमंत्री की कार्यप्रणाली पर किचड़ उछाने वाला का भविष्य कभी कोई और संवारने के लिए आगे आएगा।
मेरा तो यही कहना हैं कि डॉ.निशंक को लोक-साहित्य और लोक-संस्कृति के लिए काम करने के लिए मौका दें। यदि हम उनके साथ नहीं खड़े हो सकते तो,कम से कम उन्हें गिराने की कोशिश तो ना करें। उन्हें काम करने दें,आरोप-प्रत्यारोप की सीमाओं में उन्हें ना उलझाएं। कहीं ऐसा ना हो की कलम चलने से पहले ही टूट जाएं और इसके लिए दोषी कोई और नहीं बल्कि हम सब ही हो।
जगमोहन 'आज़ाद'