अगर कोई बात गले में अटक गई हो तो उगल दीजिये, मन हल्का हो जाएगा...
8.8.11
तुम्हीं बताओ धरती खातिर दिल बादल का कब तरसा है
मत कहना मुझको कि बादल आज शहर में फिर बरसा है
मत कहना मुझको प्रीतम का आज नहाकर दिल हरसा है
सुखी धरती तेज तपिश में, रोती-गाती रही महीनों
तुम्हीं बताओ धरती खातिर दिल बादल का कब तरसा है
कुंवर प्रीतम
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