31.12.11

नये साल की शुभकामनाएं

जाने कितने दंश दे गया, बीत गया जो साल ।



सत्ता उदासीन लगती है, जनता खस्ताहाल ।।


जनता खस्ताहाल सभी हैं अनाचार से त्रस्त ।


सदाचार का सूरज तो जैसे होने को है अस्त ।।


ऐसे में खुशियों के कुछ पल हमको हैं पाने ।


नये साल में क्या होगा, बस ये राम ही जाने ।।


दुख-दैन्य और निराशा गये साल में पाये ।


ईश करे नया साल तो सुखद सवेरा लाये।।

इसी कामना के साथ आपको सपरिवार नये साल की शुभकामनाएं

राजेश त्रिपाठी और परिवार, कोलकाता, प. बंगाल, भारत





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