31.3.21

अलविदा प्रमोद, पहले प्रमाद फिर ऐसा विषाद, उम्मीद न थी

Rizwan Chanchal-
 
पत्रकार साथी प्रमोद कुमार श्रीवास्तव को भी कोरोना ने आखिरकार डस ही लिया अभी ही वे राज्य मुख्यालय संवाददाता समिति कार्यकारिणी का  चुनाव भी जीते थे, कोरोना के संक्रमण का शिकार होकर उनका अचानक यूँ हम सबका साथ छोड़ जाना जहां उनके आश्रितों,परिजनों को असहनीय दर्द दे गया वहीं हम जैसे न जाने कितने पत्रकार साथियों को बेहद ग़मगीन कर गया,आंखों के सामने उनका वो चेहरा अभी भी घूम रहा हैं,जो चंद दिन पहले ही राज्य मुख्यालय संवाददाता समिति का कार्यकारिणी सदस्य चुने जाने के बाद साथी पत्रकारों के बीच फूलमालाओं का वरण कर मुस्कुरा रहा था,उनके स्नेह के एवज में पत्रकार साथियों का स्नेह ही तो था जो उन्हें उनकी जीत के रूप में मिला था जिसकी खुशी से वो मुस्कराते हुए सभी का आभार व्यक्त कर रहे थे किंतु किसी को क्या पता था कि ये मुस्कुराहट हम सभी के दिलों को झकझोर देगी,आंखों को जलन दे देगी सभी को हतप्रभ करते हुए अलविदा कह देगी।



साथी प्रमोद के यूँ चले जाने की जानकारी मुझे राज्य मुख्यालय संवाददाता समिति संयुक्त सचिव भाई सुरेश यादव जी से हुई एकबारगी विश्वाश ही नही आया लेकिन हर ओर से आई इस दुखद खबर ने दिल झकझोर कर रख दिया,तत्क्षण कुछ लिखने का माद्दा खो सा गया,शब्द बनने से कतराते रहे और कलम भी रो पड़ी,दिल सवाल करने लगा विधि विधाता से कि हाय ये मनहूस घड़ी ही क्यों आई, यकीन जानिए लिखते वक्त तक खुद को ही यकीन दिला रहा हूं.... अभी भी विधान भवन में विनम्र भाव से साथियों के साथ दी गई प्रमोद जी की प्रमाद पूर्ण आवाज कानों में गूंज रही है,कैसे कह दूं,कैसे मान लूं,कि आप हमेसा के लिए हम सबसे दूर कही दूर लौटकर न आने वाली यात्रा पर निकल गए हम सबको अलविदा कहते हुए .....याद बहुत आओगे

लखनऊ से रिज़वान चंचल....


 

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