19.3.22

बीजेपी की जीत में मायावती की गुप्त मदद

Unmesh Gujarathi-
    
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के उम्मीदवारों ने 403 सीटों में से 273 सीटों पर जीत हासिल की है। हालांकि 2017 के विधानसभा चुनाव के मुकाबले इस बार बीजेपी को 52 सीटों का नुकसान हुआ है। बीजेपी के लिए ये जीत इतनी आसान नहीं थी। इसलिए बीजेपी ने भी दलित और जातिगत आधारित राजनीति का कार्ड खुल कर खेला। भाजपा ने भी अपनी एक समय की दुश्मन बहुजन समाजवादी पार्टी के साथ अंदरखाने में गठबंधन बनाकर, समाजवादी पार्टी के मुस्लिम वोटों में सेंध लगा कर किसी तरह सत्ता हथिया ली है।

कभी उत्तर प्रदेश की ताकतवर नेता रहीं मायावती ने अपने कार्यकाल में काली कमाई से बेहिसाब संपत्ति बना ली है। इसलिए बीजेपी ने उन्हें ईडी, सीबीआई, इनकम टैक्स जैसी केंद्रीय जांच एजेंसी का डर दिखलाकर अपनी ओर कर लिया।
 
▪︎ यही वजह है कि इस बार के विधानसभा चुनाव में मायावती के नेतृत्व में बहुजन विकास पार्टी ने बीजेपी के साथ अंदर ही अंदर गुप्त गठबंधन किया था। और यहीं से समाजवादी पार्टी के घोड़े की लगाम कसने की रणनीति तैयार की गई थी।
 
▪︎ उत्तर प्रदेश की राजनीति में जाति सबसे बड़ा मुद्दा होता है। उत्तर प्रदेश में 20% यानी कि 4 करोड़ मुस्लिम मतदाता हैं। इनमें 143 सीटों पर मुसलमान वोटों का बहुमत है। 107 सीटों पर मुस्लिम मतदाता निर्णायक साबित हुए। और इन सभी सीटों पर समाजवादी पार्टी का दबदबा था। सपा के इस किले में सेंध लगाने के लिए बीजेपी ने मायावती की मदद ली थी।
 
▪︎ बीजेपी ने अपने टिकट पर राज्य में एक भी मुस्लिम उम्मीदवार को मैदान में नहीं उतारा। बसपा ने 88 और समाजवादी पार्टी ने 61 मुस्लिम उम्मीदवार उतारे थे। जोकि स्वाभाविक रूप से मुस्लिम वोटों में विभाजन का कारण बना। समाजवादी पार्टी के मुस्लिम वोट बंट गए,  इस कारण भाजपा की  जीत का आंकड़ा बढ़ गया।
 
▪︎ बसपा ने 28 विशेष सीटों पर मजबूत मुस्लिम उम्मीदवारों को मैदान में उतारने की भी कोशिश की, जिन्हें समाजवादी पार्टी का गढ़ माना जाता है और वहां मुस्लिम मतदाताओं का वर्चस्व है। इतना ही नहीं, उन्हें भाजपा द्वारा आर्थिक मदद भी दी गई। यही कारण रहा कि सपा के उम्मीदवारों को वहां हार का मुंह देखना पड़ा।
 
▪︎ बसपा-भाजपा के इस गठजोड़ के चलते जहां भाजपा के दमदार उम्मीदवार खड़े थे वहां मायावती ने कमजोर उम्मीदवार उतारे और भाजपा की जीत की राह आसान बनाई। खास बात यह कि इस चुनाव में एमआईएम ही ऐसी अकेली पार्टी थी जो बिना किसी गठबंधन के अकेले चुनाव मैदान में खड़ी थी। वैसे भी, देश भर में उनका बीजेपी के साथ गुप्त गठबंधन है। बेशक, उत्तर प्रदेश में उनकी ताकत न के बराबर है मगर उन्होंने इस बार 103 सीटों पर चुनाव लड़ा था। उन्हें ज्यादा वोट नहीं मिले लेकिन उन्होंने समाजवादी पार्टी के लिए शत्रुतापूर्ण माहौल बनाने और सपा उम्मीदवारों के वोट काटने का काम किया।

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