27.2.23

लचर क़ानून व्यवस्था का प्रमाण है अपराध

 

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डॉ. शंकर सुवन सिंह


भारत जैसे देश में आए दिन अपराध जैसे हत्या,लूट,छिनैती,बलात्कार,धार्मिक उन्माद आदि होते रहते हैं। अपराध के मामलों में उत्तर प्रदेश भी शिखर पर है। प्रयागराज के नैनी स्थित हुक्का बार में 14 फरवरी 2023 को एक बालू कारोबारी की हत्या कर दी जाती है। अभी हाल ही में 24 फरवरी 2023 को राजू पाल हत्याकांड में मुख्य गवाह उमेश पाल को दिनदहाड़े सरेआम गोलियाँ और बम से भून दिया जाता है। इस हत्याकांड में उमेश पाल के गनर को भी अपराधी दौड़ाकर गोलियों से भून देते हैं। इस घटना से उत्तर प्रदेश के पुलिस प्रशासन और क़ानून व्यवस्था पर प्रश्न चिन्ह उठना स्वाभाविक  है। इस घटना का मुख्य कारण न्याय मिलने में विलम्ब होना और क़ानून व्यवस्था का लचर होना है। उधर पंजाब में भारत के अमृतकाल के लिए अमृतपाल कहर बनता जा रहा है। पंजाब में खालिस्तानी संगठन (वारिस पंजाब दे) का मुखिया अमृतपाल सिंह और उसके गुंडों ने अमृतसर के अजनाला थाने को घेर कर अपने कब्जे में कर लिया था। अमृतपाल सिंह ने अमृतसर के एस एस पी (जेष्ठ पुलिस अधीक्षक) को भी धमकी दे डाली " हिम्मत हो तो गिरफ्तार करके दिखाओ"। वो दिन दूर नहीं जब भारत की क़ानून व्यवस्था अपराधियों की गुलाम हो जाएगी। जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में भारत विरोधी नारे लगते है तो वहीं पंजाब में खालिस्तानियों के सामने पुलिस आत्मसमर्पण कर देती है। इधर उत्तर प्रदेश में अपराध अपने चरम सीमा पर है। इस प्रकार की घटनाएं प्रत्येक दिन भारत के प्रत्येक राज्य से सुनने को मिल जाती है। अपराध पर अनियंत्रण पुलिस के कार्य प्रणाली पर भी प्रश्न चिन्ह उठता है। पुलिस की अकर्मण्यता से अपराध का जन्म होता है। न्याय विभाग द्वारा ऐसे दोषी पुलिस कर्मियों को सख्त से सख्त सजा देनी चाहिए। दुनिया में सबसे अधिक अपराध दक्षिण अमेरिका के वेनेजुएला में होता है। अपराध के मामलों में भारत विश्व में 68 वें नम्बर पर आता है। भारत की आबादी लगभग 140 करोड़ पहुँच गई है। जिन अपराधों के केस दर्ज होते हैं वे आंकड़े बन जाते हैं और जो दर्ज नहीं होते वो आंकड़ों से बहार हो जाते हैं। न्याय, पीड़ित व्यक्ति को बल प्रदान करता है। वहीं देश विरोधी ताकतों के सामने पुलिस नतमस्तक है। पीड़ित व्यक्ति न्याय व्यवस्था का लाभ लेने के लिए दर दर की ठोकरें खाता है। वहीं गुंडे मवाली थानों का घेराव करके पुलिस को अपने पक्ष में कर लेते हैं। यहां न्याय अनीति से चल रहा है जबकि न्याय नीति से चलता है। न्यायिक प्रक्रिया सुगम और सरल होनी चाहिए। न्यायिक अधिकारियों की जिम्मेदारी है कि वो न्याय को सुगम और सरल बनाएं। प्रदेश की लचर कानून-व्यवस्था के कारण प्रदेश में अपराध बढ़ रहा है। अतएव हम कह सकते हैं कि अपराध लचर क़ानून व्यवस्था प्रमाण है।


लेखक

डॉ. शंकर सुवन सिंह

वरिष्ठ स्तम्भकार एवं शिक्षाविद

प्रयागराज (उत्तर प्रदेश)








सुशासन बाबू के गृह जिले के रिश्वतखोर अफसरों पर लगाम लगाए कौन?

 




नालंदा से संजय कुमार की रिपोर्ट
 
नालंदा में सरकारी विकास योजनाओं की राशि का भुगतान अच्छे कार्य के आधार पर नहीं ,बल्कि 22% कमीशन पर होता है

बिहारशरीफ। बिहार में जंगलराज तथा भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई लड़ कर सत्ता में आए नीतीश कुमार के राज्य में अब फिर एक बार बिहार को जंगलराज कि वापसी हो चुकी है। वही, सरकारी मुलाजिम बिना भय के निडर होकर  आकूत संपत्ति बनाने में लगे हुए हैं।

मंजरी फाउंडेशन के संजय कुमार सम्मानित

मुंबई में बीती रात सामाजिक क्षेत्र में बेहतरीन कार्य करने के लिए CSR JOURNAL EXCELLENCE AWARDS 2022 दिए गए. एक भव्य कार्यक्रम के दौरान महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने विजेताओं को ट्रॉफी देकर सम्मानित किया.

19.2.23

हुक्का बार की आड़ में अपराध

डॉ. शंकर सुवन सिंह

हीनता दरिद्रता को जन्म देती है और दरिद्रता अपराध को। हीन भावनाओं से ग्रसित व्यक्ति कभी आनंदित नहीं हो सकता। आत्मीयता आनंद की जननी है। आत्मीय सुख ही असली आनंद देता है। अकेलापन ही आनंद देता है। भीड़ भ्रमित करती है। आनंद का सम्बन्ध भीड़ से नहीं है। अकेलापन व्यक्ति के आत्म साक्षात्कार का स्रोत है। आत्म साक्षात्कार ही हमको प्रकृति से जोड़ती है। हवा पानी आकाश पृथ्वी और अग्नि हमको जीवन देती हैं जो कि प्रकृति का हिस्सा हैं। इन्ही पांच तत्वों से मिलकर शरीर भी बना है। यही जीवन दायनी तत्व हमको असली आंनद देते हैं। 

13.2.23

विवाद की दिवार कब टूटेगी ?


'भईयां यह दीवार टूटती क्यों नहीं '  ?   ‘’टूटेगी भला कैसे अंबुजा सीमेंट से जो बनी है’’  हम  में  से बहुत लोगों ने टीवी पर  अंबुजा सीमेंट का यह विज्ञापन  बचपन में  देखा होगा  जहां दो भाई अलग होने के बाद घर के बीच एक दीवार बना देते हैं और बाद में उसे तोड़ने का प्रयास करते हैं I  कुछ ऐसी ही  दीवार इस वक्त हिमाचल प्रदेश प्रदेश में खड़ी हो गई है जहाँ  एक और अडानी  व्यापार समूह और दूसरी ओर स्थानीय ट्रक यूनियन खड़े हैं I हिमाचल प्रदेश  के  जिला सोलन के दाड़लाघाट एसीसी और बिलासपुर के बरमाणा  में बने अम्बुजा सीमेंट सयंत्र  की बात हो रही हैं I झगड़े की जड़  माल भाड़ा है, ट्रक यूनियन 10. 58  रूपए प्रति किलोमीटर प्रति क्विंटल  की मांग कर रहे हैं और दूसरी तरफ अडानी समूह  6 रूपए  प्रतिकिलोमीटर प्रति  क्विंटल देने को तैयार है I  ट्रक यूनियनो  का कहना कि वर्तमान परिदृश्य के हिसाब से  जिसमें प्रदेश की  भौगोलिक स्थितियाँ  ,पेट्रोल की बढ़ती कीमतें , ट्रक चालको  की तन्ख्वाह, ट्रकों का रखरखाव  को ध्यान में रखकर ही उन्होंने यह  मांग की   हैं और समूह द्वारा दिया जा रहा किराया कम है  I

69000 सहायक शिक्षक भर्ती में आरक्षित वर्ग की 19000 सीटों पर हुआ आरक्षण घोटाला...

rajeshk.com143@gmail.com

आज 69000 सहायक शिक्षक भर्ती के आरक्षण पीड़ित ओबीसी तथा एससी वर्ग के अभ्यर्थियों ने ट्विटर पर आरक्षण पीड़ित अभ्यर्थियों को न्याय कब इस हेस्टैक के साथ अभियान चलाया तथा अपने ट्विटर अभियान में बीजेपी के नेताओं को टैग कर मांग की कि उन्हें इस भर्ती में  संविधान द्वारा दिया गया पूरा आरक्षण नहीं दिया गया है यह देकर न्याय दिया जाए l

राम सरूप अणखी : भारतीय साहित्य की 'अणख'

अमरीक-

गुरबख्श सिंह प्रीतलड़ी, नानक सिंह, जसवंत सिंह कंवल के बाद राम सरूप अणखी पंजाबी और पंजाब के ऐसे लेखक थे जिन्हें सबसे ज्यादा पढ़ा गया। उनके विशाल पाठक वर्ग का दायरा आज भी निरंतर विस्तार ले रहा है। जबकि जिस्मानी तौर पर उन्हें विदा हुए आज पूरे तेरह साल हो गए हैं। पंजाबी के हिंदी तथा दूसरी भाषाओं में सबसे ज्यादा पढ़े जाने वाले साहित्यकारों में उनका नाम शिखर पर है। निसंदेह वह अपनी मिट्टी के ऐसे घने वृक्ष थे जो आज भी घनी छांह दे रहा है। पंजाब (खासकर मालवा) का ग्रामीण समाज और किसानी जनजीवन उनके कथा साहित्य की आधारभूमि रहा है। पंजाब की किसानी और ग्रामीण लोकाचार को साहित्य के जरिए जानने के लिए राम सरूप अणखी के बेमिसाल उपन्यास और कहानियां अपरिहार्य हैं। मालवा के केंद्र में बसा कदरन छोटा-सा कस्बेनुमा शहर बरनाला (जो अब जिला है) 'अणखी के शहर' के नाम से भी जाना जाता है। युवावस्था में पुश्तैनी गांव धौला से वह यहां आकर बस गए थे लेकिन मुड़-मुड़कर अपने गांव की मिट्टी की ओर जाते थे। प्रति सप्ताह गांव धौला जाना उन्होंने ताउम्र जारी रखा। मौसम, हालात और सेहत जैसी भी हो... यह अनवरत सिलसिला नहीं टूटा। धौला और उसके इर्द-गिर्द के गांव-कस्बे और वहां के बाशिंदे उनके हर उपन्यास-कहानी में मिलेंगे। गांव और ग्रामीण उनकी माशूक थे। मिट्टी से इतनी बेइंतहा मोहब्बत करने वाले लेखक बहुत कम हैं और अणखी सरीखे तो और भी कम। उनकी अस्थियां भी, वसीयत और आखिरी इच्छा के मुताबिक इन्हीं खेतों और जमीन को सींचने वालीं (खेतों के किनारे बहतीं) नहरों में विसर्जित की गईं थीं। 




 

9.2.23

अपनी कुंठाओं की पूर्ति के लिए निर्दोषों को फँसाती है गोरखपुर की शाहपुर पुलिस

सत्येंद्र कुमार-
satyendragudiya@gmail.com

गोरखपुर : जिस तरह यह बात सच है कि सभी पुलिस वाले बेईमान और भ्रष्ट नही होते ठीक उसी तरह यह बात भी सच है कि यदि पुलिस अपना काम ईमानदारी से करती  तो योगी आदित्यनाथ के रामराज्य का स्वप्न कब का पूरा हो जाता । ऐसी रिपोटर्स आती रही है कि लगभग 75 प्रतिशत से ज्यादा लोगों को पुलिस पर भरोसा ही नही है । कुछ भ्रष्ट और बेईमान पुलिस वालों की वजह से आज भारत एक ऐसा देश बन चुका है जहाँ पुलिस को देखकर लोग सेफ फील करने की बजाय डरते हैं । एक 15 साल के बच्चे को पता होता है कि आई पी एल में सट्टा लगाने के लिए किसके पास जाना है लेकिन हमारी पुलिस को पता नहीं होता । हर एक चरसिये से लेकर हर एक स्मैकिए को पता है कि किस दरवाजे पर उनका माल मिलेगा लेकिन हमारी पुलिस को पता नही होता । गोरखपुर शहर के थाना शाहपुर की पुलिस ने भी अजीबोगरीब कारनामा कर दिखाया है । इनका जोर भले अपराधियों पर न चलता हो लेकिन सामान्य व्यक्ति को अपराधी बनाने में ये कोई कसर नही छोड़ते हैं ।

1.2.23

दैनिक पंजाब केसरी कानपुर मण्डल के मैनेजर व डैस्क इंचार्ज रामु मिश्रा मनमानी पर उतारू हैं

 

सेवा में, 
           श्रीमान यशवंत सिंह  जी,
           सम्पादक 
           भडा़स मीडिया न्यूज


महोदय,
           अवगत कराना है कि दैनिक पंजाब केसरी कानपुर मण्डल के मैनेजर व डैस्क इंचार्ज रामु मिश्रा, प्रतिष्ठित संस्थान पंजाब केसरी दिल्ली,(द हिन्द समाचार लि०) और उसके स्व० डायरैक्टर अश्वनी कुमार द्वारा बनाये गये नियमों को ताख पर रखकर सिर्फ अपनी मनमानी पर उतारू हैं, गौरतलब है कि संस्थान के नियम के मुताबिक किसी शहर में रिपोर्टिंग से जुड़े व्यक्ति को न्यूज एजेंसी देकर उसे रिपोर्टर बनाया जाता है, जबकि न्यूज एजेंसी लेने के लिये संस्थान द्वारा उस व्यक्ति से 20, 25,30,50 और 100 paper copy की सप्लाई का तीन रुपये पर कापी के हिसाब से एक महीने का एडवांस (सिक्योरिटी) के तौर पर लिया जाता है और इसके बाद संस्थान द्वारा देहली से कानपुर तक ट्रेन के जरिये पेपर की सप्लाई के बंडल, जबकि बाकी सिर्फ जिला मुख्यालयों पर कानपुर पेपर एजेंसी होल्डर अपने हाकरों के जरिये बसों से पेपर की सप्लाई न्यूज एजेंसियों तक पहुंचाने का काम करते हैं, जबकि बसों से न्यूज एजेंसी  तक पेपर सप्लाई पहुंचने के टाईम की कोई गारंटी नहीं होती है और कभी कभी तो सप्लाई शाम को या दूसरे दिन पहुंचती रही है, जबकि महीना पूरा होने के बाद संस्थान रिपोर्टर को भेजी हुई कापियों की सप्लाई के भुगतान का न्यूज एजेंसी के नाम बिल भेजता है और हर न्यूज़ एजेंसी के रिपोर्टर को संस्थान में अगले महीने की 15 तारीख तक भेजे हुये बिल का भुगतान जमा करना होता है, हालांकि भुगतान न भेजने पर संस्थान उस न्यूज एजेंसी की सप्लाई बंद कर देता है।

स्टूडियो में बैठे एंकर हमारे कानों में विष घोल रहे हैं...




हरीश मिश्र

    किसी जानकारी को अधिक से अधिक प्रसारित करने के साथ साथ जब यह भी प्रयत्न हो कि जनता प्रसारित संदेश को न केवल स्वीकार करें अपितु उसके अनुरूप कोई कदम भी उठाएं या करवाई भी करें तो यह प्रक्रिया सूचना या प्रकाशन से एक कदम आगे प्रचार या प्रोपेगेंडा कहलाती है। जब किसी सूचना का प्रचार प्रसार किसी साज़िश या फिर अति से ज्यादा हो जाये तो सम्प्रचार या प्रोपेगेंडा कहा जा सकता है।

इनको देखा तो ख्याल आया.... हम इन म्यूजियमों को क्यों देखें?

भाष्कर गुहा नियोगी, हैदराबाद से


म्यूजियम बीते समय यानी इतिहास के ध्वंसाशेष के अलावा क्या है? खासकर राजा -   महाराजाओं, नवाबों, बादशाहों की उस शानोशौकत को संजोकर रखे गए इन म्यूजियमों को हम क्यों देखें ? वो जो साधारण लोग है।  वो जो मिट्टी से महल बनाने की प्रक्रिया में हिस्सेदार रहे है। जिन्होंने इन बड़े- बड़े महलों, किलाओं की ऊंची - ऊंची प्राचीरो की नींवें खोदी इन्हें गगनचुंबी बुलंदी दी जिनके हाथों ने महलों की दीवारों पर खुबसूरती नक्काशी की , जिन्होंने इन्हें  सजाया - संवारा। वो जो दुनिया को शून्य से शिखर तक ले कर आए है। उनके श्रम शक्ति के जज्बातों उनके हुनर के कमालों  की कथा कहने वाला उन्हें  संजोकर दिखाने वाला म्यूजियम कहीं है क्या?