31.1.16

साढ़े सात फीट का यह विशालकाय खाकी वर्दी वाला आदमी रोज 40 अंडे, 40 रोटियां, 4 किलो चिकन, 5 लीटर दूध और 4 किलो फल खाता है!


अंबाला शहर में गाड़ी चलाते वक़्त अगर आपको 7.4 फीट का विशालकाय आदमी खाकी कपड़ों में दिख जाए तो घबराइएगा मत. इस शख़्स का नाम है राजेश कुमार जो कि हरियाणा ट्रैफिक पुलिस में कांस्टेबल हैं. सुरक्षित ड्राइविंग और हेल्मेट पहनने का संदेश लोगों तक पहुंचाने के लिए आज-कल राजेश कुमार लोगों को जागरूक कर रहे हैं.

30.1.16

क्या माउंटबेटन जानते थे कि किसने मारा गाँधी को?


Rakesh Mishra
“माउंटबैटन ने बिड़ला हाउस पहुँचने पर बाहर जब किसी के मुंह से सुना कि गांधीजी को किसी मुसलमान ने मार डाला, उन्होंने बगैर पूरी जानकारी के भी उस आदमी को डपट दिया - बेवकूफ, वह मुसलिम नहीं हिन्दू था। बाद में वह हिन्दू ही निकला”। बीबीसी  के  संवाददाता  की पेश  की  गयी  इस कहानी  पर में अंग्रेजी स्टेट्समैन माउंटबेटन की इस प्रतिक्रिया के  तमाम  मायने  निकलते  हैं| इस पर जनसत्ता ओम थानवी का निष्कर्ष है कि, “माउंटबैटन ने तुरतबुद्धि से यह भयानक कल्पना की होगी कि हिन्दू-मुसलिम अविश्वास और खून-खराबे के ताजा अतीत को देखते गांधीजी की हत्या मुसलमान के नाम से प्रचारित हुई तो देश का क्या हश्र होगा ... अफवाहें फैलाने वाले तब भी कितने मौजूद थे”!

29.1.16

देवरिया में पुलिस ने दिवंगत पत्रकारों को भेजा निमंत्रण पत्र

यूपी के देवरिया में पुलिस विभाग ने पुलिस लाईन में गणतंत्र दिवस का परेड देखने के लिए करीब एक दशक पूर्व दिवंगत हो चुके पत्रकारों को आमंत्रण पत्र भेजा है. उदाहरण के लिए दैनिक जागरण के सतेंद्र यादव, राष्ट्रीय स्वरूप के प्रभाकर मिश्र और छायाकार अमर तिवारी को निमंत्रण भेजा गया है जो अब इस दुनिया में नहीं हैं.

चलो बाबा बना जाए

विवेक दत्त मथुरिया
चलो बाबा बना जाए । बाबा मतलब साधु । भेष धारण करते ही व्यक्तित्व में दिव्यता आ जाती है। फिर मुंह, मुंह नहीं रहता श्रीमुख हो जाता है। बातें प्रवचन, भोजन प्रसाद, पैर चरण और क्रिया-कलाप लीला हो जाते हैं। सब कुछ बदल जाता है। लाभ की अपार संभावनाओं का द्वार है। जिन लोगों को वाकई अच्छे दिनों से मुलाकात करनी है, वह बाबा बनने पर सहज और सुलभ है। राजनीति सहित बाकी धंधों में तो जोखिम उठाकर इन्वेस्टमेंट करना पड़ता है। यह इन्वेस्टमेंट फ्री जोन है।

27.1.16

बस्ती जनपद के बिटिश कालीन उपनिवेश छावनी बाजार की दास्तान

-डा. राधे श्याम द्विवेदी-
बस्ती अयोध्या राजमार्ग पर बस्ती से लगभग 40किमी. की दूरी पर 260 47’उत्तरी अक्षांश तथा 820 23’ पूर्वी देशान्तर पर मनोरमा नदी की रामरेखा नामक उपधारा के तट पर बसा यह एक ब्रिटिस कालीन कस्बा है। राजस्व अभिलेेख में तप्पा बेलवा परगना अमोढ़ा का यह एक पुरवा/मजरा है। उत्तर मुगल काल में यह अमोढ़ा राज्य के अन्तर्गत आता था, जो बहुत समय तक अवध के नबाबों द्वारा नियंत्रित होता था। गोरखपुर जब नार्थ वेस्टर्न प्राविंस के अधीन अंग्रेजों को मिला तब भी यह क्षेत्र ब्रिटिस सरकार का भाग नहीं रहा।


24.1.16

परिकल्पना द्वारा अन्तर्राष्ट्रीय ब्लागर सम्मेलन 16 से 21 जनवरी को बैंकाक में संपन्न, कई हिंदी ब्लागर सम्मानित





परिकल्पना द्वारा प्रतिवर्ष आयोजित किया जाने वाला अन्तर्राष्ट्रीय ब्लागर सम्मेलन 16 से 21 जनवरी के बीच थाईलैण्ड की राजधानी बैंकाक में आयोजित किया गया। नई दिल्ली, लखनऊ, काठमांडो (नेपाल) थिम्मू (भूटान) कोलम्बो (श्रीलंका) के सफल आयोजनों की श्रृंखला में थाईलैण्ड का सम्मेलन भी पूरे वैभव के साथ सम्पन्न हुआ। इस अवसर पर थाईलैण्ड के प्रमुख शहर पटाया और राजधानी बैंकाक में सम्पन्न हुए सांस्कृतिक एवं साहित्यिक कार्यक्रमों में कवि सम्मेलन पुस्तक लोकार्पण, परिचर्चा एवं सांस्कृतिक संध्या जैसे कार्यक्रम सम्पन्न हुए।

20.1.16

रोहित वेमुला के हत्यारे कौन?

मुझे रोहित वेमुला से सहानुभूति नहीं है | यकीन मानिये रत्ती भर भी नहीं | क्यूंकि मेरा ह्रदय संघर्ष से विरत किसी डरपोक, भगोड़े के लिए द्रवित नहीं हो सकता | क्यूंकि मेरी कलम इतनी अशक्त नहीं जो एक कायर का यश गान लिखे | क्यूंकि जिस तरह की गतिविधियों में वो संलिप्त था वो न सिर्फ देश के सामाजिक तानेबाने को छिन्न –भिन्न कर रही थीं वरन देश में अलगाववाद की बयार भी फूंक रही थी | ऐसे इंसान पर मैं आंसू कैसे बहा दूँ जो सतत नकारात्मक कार्यों में लिप्त था ?

15.1.16

'रामायण' सीरियल में काम करनेवाले हर कलाकार का फिल्मी कैरियर खत्म हो गया

-संजय तिवारी-

आज ही किसी से अभिनेता अरुण गोविल की चर्चा हो रही थी कि कैसे बी ग्रेड फिल्मों में काम करनेवाले अरुण गोविल हमारे युग में 'राम' के प्रतीक बन गये। रामायण को आधार बनाकर बहुत सारे धारावाहिक बने और बन रहे हैं लेकिन चेहरों की जो छवि रामायण ने प्रस्तुत की वह कोई और न कर सका। हर एक पात्र उसी चरित्र की पहचान बन गया जिसका उसने अभिनय किया था। अरुण गोविल, दीपिका चिखलिया, दारा सिंह और अरविन्द त्रिवेदी। लोगों के मन में इनकी छवि राम, सीता, हनुमान और रावण की ऐसी बसी कि फिर निकलने का नाम नहीं लिया।


राम नाम के पटतरे...


-विवेक दत्त मथुरिया-
कालाधन ला नहीं सके, महंगाई है कि वह किसी की सुनती ही नहीं है। पड़ोसी हर वक्त टेंशन देता रहता वहां से फुर्सत मिले तो रोजगार की बात की जाए। दुनिया में विकास का ढिंढोरा पिट रहा पर जनता और विरोधियों के कानों में आवाज ही नहीं पहंच रही । ऐसे मे विकास के चाचा राम नाम का सहारा न लें तो भला क्या करें? मजबूरी में हर कोई राम नाम का सहारी लेता है। फिर विकास के चाचा  से एतराज कियों? अच्छे दिनों को भी नहीं पता था कि सिसासी फेर में बुरे दिन गुजारने को मजबूर होना पड़ेगा और मजबूरी में राम जी की शरण में जाना पडेगा।

दैनिक जागरण की खबर निकली फर्जी, माधवपुर के किसान दुखी


आदरणीय सम्पादक महोदय, 1 जनवरी को दैनिक जागरण के मुख्य पृष्ठ पर ‘भूख से मर जइहों अम्मा’ शीर्षक से एक खबर प्रकाशित हुई थी। यह खबर पूरी तरह फर्जी है। इस झूठी खबर का पर्दाफाश आप करें ताकि पत्रकारिता में अतिश्योक्ति करने वालों को बेनकाब किया जा सके। आज पत्रकारिता की साख में इन्हीं जैसे लोगों के कारण बट्टा लग रहा है।

एक सांस्कृतिक संवाददाता की डायरी : आने वाली समस्त विश्व जनता के लिए विद्या को प्रयोगों से जोड़ें – विद्यानिवास मिश्र

‘ओरियंटल’ शब्द के पीछे एक छल था- उपनिवेशवादियों का । पूरी परंपरा को हाशिये पर ले जाने का यह प्रयास था। कि यह एक “अप्रासंगिक” और  पिछड़ेपन का प्रतीक है। हम जितने अतीत हैं उतने ही अनागत हैं, प्राचीन और अर्वाचीन हैं। आज समय है औपनिवेशिकता के छाप को छोड़कर अपना स्वरूप प्रतिष्ठापित करें। इसलिए मेरी राय है कि इसके नाम में परिवर्तन होना चाहिए-यह बदलाव अध्ययन की दिशा में परिवर्तन का सूचक होगा।

सम्मान जितना अपमानित और अवमूल्यित हो रहा है, उस स्थिति में सम्मान ग्रहण करना एक कठिन दायित्व : प्रो. लाल बहादुर वर्मा

प्रो. लाल बहादुर वर्मा को प्रथम शारदा देवी शिक्षक सम्मान 




इलाहाबाद | इलाहाबाद संग्रहालय में रविवार को शारदा देवी ट्रस्ट की ओर से प्रथम शारदा देवी शिक्षक सम्मान समारोह का आयोजन किया गया| जाने माने इतिहासकार, लेखक और शिक्षाविद प्रो. लाल बहादुर वर्मा को उनके उत्कृष्ट सामाजिक सरोकारों के लिए इस राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया| इस अवसर पर बोलते हुए प्रो. वर्मा ने कहा कि आज पूरे देश में सम्मान जितना अपमानित और अवमूल्यित हो रहा है उस स्थिति में सम्मान ग्रहण करना एक कठिन दायित्व है| सम्मान भाव मानव सभ्यता के विकास का प्रमाण है| संग्रहालय में आयोजित कार्यक्रम में प्रो. कमल नयन काबरा ने प्रो. वर्मा को  शाल ओढाकर व स्मृति चिन्ह भेंटकर सम्मानित किया| इस अवसर पर प्रो. प्रणय कृष्ण ने प्रो. वर्मा को  मान पत्र भेंट किया और मानपत्र का पाठ किया|

13.1.16

जानिए कौन-कौन सी कंपनियां शामिल हैं जागरण प्रकाशन लिमिटेड में

साथियों, आज हम आपको जागरण प्रकाशन लिमिटेड में शामिल कंपनियों की जानकारी दे रहे हैं। जिससे कंपनी आपको मजीठिया वेजबोर्ड के लाभों से वंचित न कर सकें।  चार पेज में समाहित इस जानकारी को ध्यान से पढ़ें.

11.1.16

राज्यसभा टीवी के नए कलेवर का अनावरण

हामिद अंसारी ने किया राज्यसभा टीवी के नए कलेवर का अनावरण


उप राष्ट्रपति मोहम्मद हामिद अंसारी ने विज्ञान भवन में राज्यसभा टीवी के नए कलेवर का अनावरण किया। इस कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि देश में अभी भी अंधविश्वास और कुरीतियां हैं,जिन्हें दूर करने में विज्ञान और मीडिया बड़ी भूमिका निभा सकते हैं। उपराष्ट्रपति ने देश में विज्ञान प्रसार के लिए नया टीवी चैनल लाने पर ज़ोर दिया।

8.1.16

Govt in HC: Bureaucrats resign to exercise Fundamental Rights






In a petition filed by IPS Officer Amitabh Thakur in Lucknow Bench of Allahabad High Court challenging the prohibition of All India Services officers to criticize government policy, the Central government has said that such restriction is placed in interest of public order.

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने की पत्रकार संगठनों के प्रतिनिधियों से भेंट, पत्रकारों और उनके परिवारों को सीजीएचएस से मिलने वाली स्वास्थ्य सेवाएं जारी रहेंगी



जनवरी 8, 2015, नई दिल्ली। केंद्रीय स्वास्थ्य एंव परिवार कल्याण मंत्री जेपी नड्डा ने कहा है कि पत्रकारों और उनके परिवारों को सीजीएचएस से मिलने वाली स्वास्थ्य सेवाएं जारी रहेंगी। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार पत्रकारों को मिलने वाली स्वास्थ्य सुविधाओं से जुड़ी अन्य समस्याओं पर भी विचार कर उन्हें दूर करेगी। श्री नड्डा ने विभिन्न पत्रकार संगठनों के प्रतिनिधियों से भेंटवार्ता के दौरान उस पत्र की प्रति भी प्रतिनिधिमंडल को सौंपी जिसके तहत स्वास्थ्य मंत्रालय ने पत्रकारों और उनके परिजनों को मिलने वाली सीजीएचएस सेवाओं को जारी रखने का निर्देश जारी किया गया है।

7.1.16

कबूलिये इस्लाम ...कि हो जाये सारे काम!

सरकार मुख्य सचिव नही बना रही हो या प्रमोशन में देरी हो रही हो । आपका ट्रान्सफर नहीं किया जा रहा हो । आप पर करप्शन का कोई असली या फर्जी केस चल रहा हो । हर तरह की निजी परेशानी तथा सरकारी परेशानी का एक  पुख्ता इलाज़ मिल गया है । यह अचूक औषधि उमराव सालोदिया उर्फ़ उमराव खान साहब ने हाल ही में खोजी है। उनको इसका काफी फायदा हुआ है। अब श्रवण लाल जो कि दलित पुलिस ऑफिसर है ।वे भी इसका फायदा लेने वाले है। सुना है कि उन्होंने भी श्रवण लाल नहीं रहने का फैसला करने का मन बना लिया है ।वे भी शायद जल्द ही श्रवण लाल के बजाय सरवर खान बन जायेगे। दलित समुदाय के कतिपय अफसरों ने प्रगति की नयी राह पकड़ ली है।

6.1.16

सामाजिक अन्याय क्या है!

एच.एल.दुसाध
सामाजिक न्याय क्या है,इसकी कोई सुनिर्दिष्ट परिभाषा नहीं है.किन्तु देश-विदेश के विभिन्न समाज विज्ञानियों ने इस पर जो रौशनी डाली है उसके आधार पर यही कहा जा सकता है कि जन्मगत (जाति,नस्ल,रंग,लिंग,धर्म इत्यादि) कारणों से शक्ति के स्रोतों(आर्थिक-राजनीतिक-धार्मिक इत्यादि) से दूर धकेले गए तबकों को उनका प्राप्य दिलाने के लिए चलाया गया प्रयास ही सामाजिक न्याय है.अब अगर शक्ति के स्रोतों से समूह विशेष का बहिष्कार ही सामाजिक अन्याय है तो यह मानने में कोई द्विधा नहीं होनी चाहिए कि जिस वर्ण-व्यवस्था के द्वारा भारत समाज सदियों से परिचालित होता रहा है,वह वर्ण-व्यवस्था  विश्व की सर्वाधिक अन्यायकारी व्यवस्था रही.इसी के कारण देश में सामाजिक अन्याय का सबसे शर्मनाक अध्याय रचित हुआ.

पर्यावरण व स्वास्थ्य का संदेश देने के लिए एवरेस्ट विजेताओं ने चलाई समुद्र में साइकिल, देखें तस्वीरें

· टीम में दो एवरेस्ट विजेता एक मि. इंडिया शामिल · स्वस्थ भारत, बेटी बचाओ बेटी पढाओ, स्टॉप क्लाइमेट चेंज का संदेश देने के लिए देश के युवाओं ने स्वस्थ भारत अभियान के बैनर तले रचा इतिहास






गोवा : सच कहा गया है कि यदि कुछ करने का जुनून हो तो वह काम पूरा होता ही है। ऐसा ही कारनामा आज गोवा के समुद्र में देश के 8 युवाओं ने कर दिखाया। भारत में ऐसा पहली बार हुआ कि किसी ग्रुप ने समुद्र के अंदर उतरकर साईकिल चलाई हो। आज यह कारनामा स्वस्थ भारत अभियान के ब्रांड एंबेसडर नरिन्दर सिंह की टीम ने कर दिखाया है। सात सदस्यों के साथ नरिन्दर सिंह ने गोवा के ग्रांडे आइलैंड के तलहटी पर उतरकर साइकिल चलाया। सभी सदस्यों ने 100 – 100 मीटर की दूरी तय की। 16.40 फीट की गहराई में उतरकर स्वस्थ भारत अभियान के सदस्यों ने साइकिल चलाई।

5.1.16

मंगेश पाडगावंकर की दो कविताएं- हाथ उगेंगे और सलाम

कुछ दिन पहले मराठी के महान कवि मंगेश पाडगावंकर का निधन हुआ है. मैं उनकी रचनाओं से बहुत प्रभावित रहा हूँ. दुष्यंत और पाश की तरह उनकी रचनाएं सीधा प्रहार करती हैं. उनकी दो कविताओं के सम्पादित अंश.
-अशोक अनुराग, वरिष्ठ उद्घोषणक, आकाशवाणी 


सावित्रीबाई फुले : भारत की पहली महिला अध्यापिका


एच.एल.दुसाध 

आज देश की पहली महिला अध्यापिका व नारी मुक्ति आंदोलन की पहली नेत्री सावित्रीबाई फुले का जन्म दिन है.इसे लेकर विगत एक सप्ताह से सोशल मीडिया में उस बहुजन समाज के जागरूक लोगों के मध्य भारी उन्माद है जो उन्हें अब राष्ट्रमाता के ख़िताब से नवाज रहा है.सोशल मीडिया से पता चलता है कि आज के दिन देश के कोने-कोने में भारी उत्साह के साथ बहुजनों की राष्ट्रमाता की जयंती मनाई जाएगी.इसके लिए निश्चय ही हमें मान्यवर कांशीराम का शुक्रगुजार होना चाहिए जिन्होंने इतिहास की कब्र में दफ़न किये गए बहुजन नायक/नायिकाओं के व्यक्तित्व और कृतित्व को सामने ला कर समाज परिवर्तनकामी लोगों को प्रेरणा का सामान मुहैया कराया,जिनमें सावित्रीबाई फुले भी एक हैं, जिन्होंने अपने पति ज्योतिबा फुले के सहयोग से देश में महिला शिक्षा की नींव रखी।

4.1.16

आतंकवाद से कैसे लड़ें

-संजय द्विवेदी-
     आतंकवाद के खिलाफ हमारी लड़ाई कड़े संकल्पों के कारण धीमी पड़ रही है। पंजाब के हाल के वाकये बता रहे हैं कि हम कितनी गफलत में जी रहे हैं। राजनीतिक संकल्पों और मैदानी लड़ाई में बहुत अंतर है, यह साफ दिख भी रहा है। पाकिस्तान और चीन जैसे पड़ोसियों के रहते हम वैसे भी शांति की उम्मीदें नहीं पाल सकते किंतु जब हमारे अपने ही संकल्प ढीले हों तो खतरा और बढ़ जाता है। आतंकवाद के खिलाफ लंबी यातना भोगने के बाद भी हमने सीखा बहुत कम है। किसी आतंकी को फांसी देते वक्त भी हमारे देश में उसे फांसी देने और न देने पर जैसा विमर्श चलता है उसकी मिसाल खोजने पर भी नहीं मिलेगी। आखिर हम आतंकवाद के खिलाफ जीरो टालरेंस का रवैया अपनाए बिना कैसे सुरक्षित रह सकते हैं।

3.1.16

2016 : बंगाल किसका?

-प्रियंक द्विवेदी-
नया साल एक तरफ जहां हम सबके लिए नई खुशियां लेकर आता है तो वहीं दूसरी तरफ राजनेताओं के लिए चिंता। राजनीति में नया साल मतलब नया चुनाव। 2016 अपने साथ इस बार पश्चिम बंगाल का विधानसभा चुनाव लेकर आया है। इस साल बंगाल की 294 विधानसभा सीट पर चुनाव होने हैं। हालांकि चुनाव आयोग ने अभी तक चुनावों की तारीख तय नहीं की है लेकिन साल के मध्य में आते आते तक बंगाल में नई विधानसभा का गठन हो सकता है। आजादी के करीब तीन दशकों तक बंगाल की राजनीति अस्थिर रही है। उसके बाद 34 सालों तक सत्ता पर कायम रहने वाली कम्युनिस्ट पार्टी को ममता बैनर्जी ने 2011 के विधानसभा चुनावों में उखाड़ फेंका था।

2.1.16

अलकायदा के नाम पर फंसाए गए लोगों पर अपनी स्थिति स्पष्ट करे अखिलेश यादव - रिहाई मंच

रिहाई मंच ने सपा सरकार से मांग की है कि वह सम्भल से अलकायदा के नाम पर फंसाए गए लोगों पर केंद्रीय जांच एजेंसियों द्वारा लगाए गए आरोपों पर अपनी स्थिति स्पष्ट करे। मंच ने आरोप लगाया है कि सपा और दूसरी तथाकथित सेक्यूलर पार्टियां अपने हिंदू वोट बैंक के नाराज हो जाने के डर से अलकायदा के नाम पर फंसाए जा रहे लोगों के सवाल पर खामोश हैं।

1.1.16

सिलेन्डर पाकर बंद हो जाता है कथित पत्रकारों का मुंह

-रामजी मिश्र 'मित्र'- 
उत्तर प्रदेश मे पड़ने वाले सीतापुर जिले के महोली तहसील में शायद ही कोई अखबार न आता हो लेकिन वहाँ फिर भी खुले आम एलपीजी सिलेन्डर ब्लैक कर डाले गए। यह सिलसिला निर्भीकता से लंबे अरसे तक चलता रहा और चले भी क्यो न जब मीडिया भी एजेंसी मालिक के हांथ की कठपुतली बन गयी हो। अब तो सारे अधिकारी, नेता या यूं कह लें पूरा प्रशासनिक ढांचा जनता का खून चूसने लगा।

अगला वर्ष विधान सभा चुनाव का, अब यूपी में ताकत दिखाने की बारी


अजय कुमार, लखनऊ

अगला वर्ष उत्तर प्रदेश में चुनाव का। 2016 का आगाज यही कहता है। तमाम दलों के नेताओं के बीच विधान सभा चुनाव को लेकर बेचैनी नजर आने लगी है। 2016 में प्रवेश करते ही मनोवैज्ञानिक रूप से भी चुनावी सियासत तेज हो गई है। नेताओं की वाणी में रस घुलने लगा है।नव वर्ष के बहाने सफेदपोश चमचमाती गाड़ी से उतर का गलियों-मोहल्लों की धूल  छानते नजर आने लगे हैं। घात-प्रतिघात का दौर चल भी चल पड़ा है।विधायिकी के टिकट के लिये दरबार सजने लगे हैं।किसी को अपने लिये टिकट चाहिए तो कोई अपने घर-परिवार के सदस्य के लिये टिकट की दावेदारी कर रहा है।चुनाव लड़ने के इच्छुक नेताओं को किसी भी तरह से टिकट हासिल करने की चिंता है तो चुनाव लड़ाने वालों को जिताऊ प्रत्याशियों की तलाश के साथ-साथ अपना वोट बैंक मजबूत करने कि फिक्र है।इसी विरोधाभास के चलते कई दलों में बगावत के सुर भी सुनाई पड़ रहे हैं।समाजवादी पार्टी के लिये पंचायत चुनाव तो भारतीय जनता पार्टी के लिये संगठनात्मक चुनाव सिरदर्द साबित हो रहे हैं।