31.7.18

यहां अच्छाइयों के एवज में नोट कमा लेते हैं लोग...

-सागर शर्मा-

मौजूदा समय में देश के हालात और सामाजिक मूल्यों में आ रही कमी एवम संवैधानिक संस्थाओं से कम हो रहे जनता के विश्वास को ध्यान में रखते हुए कुछ पंक्तियां... 

काटकर अपनों की टाँगें यहाँ ख़ुद को लगा लेते हैं लोग ।
इस शहर में  कुछ इस कदर भी कद  बढ़ा लेते हैं लोग।।

'परसनल इज पोलिटिकल' मुहावरे ने चीज़ों को साफ़ देखने का रास्ता बताया है


दिल्ली। 'स्त्री मुखर हुई है, उसकी शक्ति ज्यादा धारदार हुई है, तो उसके संघर्ष भी गहन और लंबे होंगे। आज भी उसका संघर्ष थमा नहीं है। वह संघर्ष कर रही है, पुरुषों के मोर्चे पर पुरुषों के साथ और अपने मोर्चे पर पुरुषवादी स्त्रियों के साथ भी। वक्त के बदलने के साथ संघर्ष का स्वरूप भी बहुत कुछ बदल गया है। बस नहीं बदला तो स्‍त्री के संघर्ष की प्रकृति।' उक्त विचार सुप्रसिद्ध कथाकार सुधा अरोड़ा ने हिन्दू कालेज में हिंदी साहित्य सभा के एक कार्यक्रम में व्यक्त किये।

‘पीसमेकर’ ने 11 जांबाज आईपीएस अधिकारियों को सम्मानित किया

अंग्रेजों के जमाने की पुलिसिंग को बदलने की है जरूरत : जनरल वी के सिंह

भारतीय पुलिस एवं अर्द्धसैन्य बलों पर केन्द्रित मासिक हिन्दी पत्रिका ‘पीसमेकर’ ने अपने 15वें स्थापना दिवस पर पहली बार देश भर के 11 जांबाज आईपीएस अधिकारियों को सम्मानित किया। इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि जनरल डॉ. वी. के. सिंह (पूर्व सेनाध्यक्ष), विदेश राज्यमंत्री, भारत सरकार थे। उन्होंने सभी 11 आईपीएस अधिकारियों को पीसमेकर वीरता ट्रॉफी व मेडल देकर सम्मानित किया। इस अवसर पर पूर्व आईपीएस अधिकारी व उत्तर प्रदेश के पूर्व पुलिस महानिदेशक प्रकाश सिंह भी उपस्थित थे। मुख्य अतिथि ने उन्हें लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड से भी सम्मानित भी किया।

प्रेमचंद समाज की गतिविधियों को शब्द और संवाद ही नहीं देते बल्कि उसमें दखल भी देते हैं


दिल्ली। प्रेमचंद समाज की गतिविधियों को शब्द और संवाद ही नहीं देते बल्कि उसमें दखल भी देते हैं। सेवासदन में भारतीय विवाह संस्था का क्रिटिक भी प्रेमचंद बेहतरीन ढंग से प्रस्तुत करते हैं जो सामाजिक कुप्रथाओं के कारण दाम्पत्य में बेड़ी का काम करता है। सेवासदन की नायिका सुमन के द्वारा विद्रोह की कोशिश विवाह संस्था के रूढ़िवादी स्वरूप का नकार है। उक्त विचार सुप्रसिद्ध आलोचक और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में हिंदी की आचार्य गरिमा श्रीवास्तव ने हिन्दू कालेज में हिंदी साहित्य सभा के एक कार्यक्रम में व्यक्त किये। 'प्रेमचंद का महत्त्व : संदर्भ सेवासदन'  शीर्षक से हुए इस आयोजन में श्रीवास्तव ने कहा कि जब व्यक्तित्व के स्वतंत्र विकास के अवसर अनुपलब्ध हों तो अनमेल विवाह के शिकार स्त्री पुरुष स्वस्थ समाज के निर्माण में योगदान नहीं कर सकते।

मुस्लिम समाज से दैनिक जागरण के बहिष्कार की अपील

दैनिक जागरण मुस्लिम्स समाज से जुड़ी खबरों को लेकर दोहरा रवैया अपनाता है.  ज़िला रामपुर ही नहीं बल्कि पूरा देश जानता है कि दैनिक जागरण अपने घटिया लेख से मुस्लिम्स की आस्था को ठेस पहुंचा कर उनके ईमान पर उंगली ही नही उठाता बल्कि तरह तरह के आरोप लगाता है. चाहे वो मासूम आसिफा के रेप केस का मामला हुआ हो, या मुसलमानों के नबी के लिए आपत्तिजनक टिप्पणी का लेख, या फिर अपने ही विभाग में मुसलमानों से काम करवा कर उनकी मज़दूरी तक नहीं देना..  नमाज़ी, परहज़गारों, मेहनती मुस्लिम कर्मियों का शोषण करना भी दैनिक जागरण का काम है...

समाचार प्लस चैनल ने 18 दिन पुराने समाचार को ताज़ा बताकर चला दिया



हरदोई में पत्रकारों द्वारा किस तरह प्रशासनिक अधिकारीयों की चाटुकारिता की जा रही है इसका अनुमान इसी बात से लगाया जा सकता है की 18 दिन पहले यानी 12 जुलाई को जिस खबर को सारे ही दैनिक अख़बार प्रकाशित कर चुके हैं उस ख़बर को 30 जुलाई को उत्तर प्रदेश की टीआरपी की कतार में मौजूद समाचार प्लस नामक चैनल चलाता है.

मैं बिकाऊ मीडिया हूं...

-मयंक जोगी- 

आज मैं जिस जगह हूं वो वेश्याओं का कोठा तो नहीं है पर उस से कम भी नहीं है। मैं वेश्या तो नहीं पर उस से कम भी नहीं। मेरे प्यारे भाईयों,बहनों माताओं और पिता समान बुजुगों सभी को मेरा प्रणाम और प्यारे बच्चों को प्यार,.....मेरी आप से गुजारिश है.... आज तक मैंने आपसे कुछ नहीं मांगा....आज मैं आप सब से कुछ मांगना चाहती हूं .......मैं हर सुबह आपके घर आती हूं ....आपकी हर सुबह मुझी से शुरु होती है......हर सुबह मेरी सरहाना करते हो ....सुबह का नाश्ता करने के बाद आप जब ऑफिस जाते हैं....और दोपहर का खाना खाते समय जब आप अपने सहकर्मियों के साथ होते हो उस समय भी आप मेरे बारे में बातें करते हैं....अपने विचारों में मेरी प्रशंसा करते हैं.......तर्क –वितर्क करते हो और ऑफिस के काम से थक हार कर जब अपने घर आते हो....तो वहां भी मैं आपका इंतजार कर रही होती हूं......

भिवानी में गुप्तचर विभाग के कर्मचारी मीडियाकर्मियों के माध्यम से जानकारी जुटाते हैं

भिवानी : किसी भी प्रदेश के गुप्तचर विभाग को उस प्रदेश की सरकार का आंख, कान व नाक माना जाता है। प्रदेश के विभिन्न जिलों में होने वाली हर गतिविधि पर गुप्तचर विभाग के कर्मचारियों की पैनी नजर होती है और दिन भर घटने वाली हर महत्वपूर्ण गतिविधियों को अपने स्तर पर जुटाकर अपने विभाग के प्रमुख के पास भेजते हैं। लेकिन भिवानी में गुप्तचर विभाग के कर्मचारी अपने स्तर पर नहीं बल्कि मीडियाकर्मियों के माध्यम से ही हर जानकारी जुटाते हैं और विभिन्न पत्रकार वार्ताओं में भी मीडियाकर्मियों की बजाए प्रथम पंक्ति में बैठे नजर आते हैं।

30.7.18

"बॉल टेम्परिंग" सियासत की पिच पर नहीं चलती खान साहब...


-डॉ.एस.ई.हुदा-

गुज़िश्ता रोज़ पाकिस्तान में मुकम्मल हुए आम इंतेखबात में क्रिकटर से सियासत की पिच पर बोलिंग करने आए इमरान खान साहब की तेहरीक़-ए-इंसाफ़ नाम की सियासी जमात सबसे ज़्यदा सीट्स जीत कर पुरानी सियासी जामतो को काफ़ी पीछे छोड़ते हुए सबसे बड़ी सियासी जमात के तौर पर पाकिस्तान अवाम की पहली पसंद बनी...ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से तालीमयाफ्ता इमरान खान साहब का अपनी प्ले बॉय इमेज से लेकर वज़ीर-ए-आज़म तक का सफ़र काफी दिलचस्प रहा इसमें कोई शक़-ओ-शुबा नही...बेहद अमीर खानदान से ताल्लुक़ रखने वाले खान साहब के दिल मे पाकिस्तान की ग़रीब आवाम के लिये क्या हमदर्दी होगी अल्लाह बेहतर जाने...

29.7.18

राफेल बोफोर्स न बने इसलिए इसकी पारदर्शिता साबित करे सरकार

कृष्णमोहन झा

लोकसभा में मोदी सरकार के विरुद्ध पेश अविश्वास प्रस्ताव भारी बहुमत से गिर गया।  इस प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान कांग्रेस सदस्य राहुल गांधी ने फ़्रांस से हुए राफेल सौदे को लेकर सरकार पर तीखा हमला किया था। राहुल ने रक्षा मंत्री पर प्रधानमंत्री के दबाव में आकर सदन को गुमराह करने तक के आरोप लगाए। इसके जवाब में रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने भाषण में सारी स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा था कि फ़्रांस के साथ संधि की शर्तों के कारण इस सौदे की ज्यादा जानकारी वह नहीं दे सकती है। उन्होंने यह भी कहा कि यह संधि 2008 में तत्कालीन यूपीए सरकार के समय की गई थी, इसलिए कांग्रेस को सरकार पर  आरोप लगाने का नैतिक अधिकार ही नहीं है। राहुल गांधी के आरोपों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी गंभीरता से लेते हुए तीखे लहजे में कहा कि देश की सुरक्षा के मुद्दों पर ऐसा खेल ठीक नहीं है तथा बिना सबूत चिल्लाने की राजनीति देशहित में नहीं है।

28.7.18

फिल्म देखने के बाद मैं गोपालदास नीरज के गीतों का फैन हो गया....


-विनय श्रीकर-

1966 में एक फिल्म आयी थी, जिसका नाम था-- ‘नई उमर की नई फसल’ ! यह फिल्म लखनऊ के नॉवेल्टी टाकीज में लगी थी। उस समय मैं किशोर वय का था और ग्यारहवीं में पढ़ता था। मेरे पिता फिल्म देखने के सख्त खिलाफ थे। फिर भी, क्लास कट कर मैं अपने सहपाठियों या मुहल्ले के दोस्तों के साथ पिक्चर देख लिया करता था। आठवीं में पढ़ते समय मैंने पिता के कहने पर जो पहली फिल्म देखी थी, वह विवेकानन्द के जीवन पर आधारित थी।

27.7.18

विलम्ब से विवाह वरदान या अभिशाप?

विवाह की अवधारणा:  वि+वाह; यानी विशेष उत्तरदायित्व का निर्वहन करना. सनातन धर्म में विवाह को सोलह संस्कारों में से एक अहम् संस्कार माना गया है. पाणिग्रहण संस्कार को ही हम आम बोलचाल की भाषा में विवाह संस्कार के नाम से जानते हैं. वैदिक मान्यताओं के अनुसार, व्यक्ति के समस्त कालखंडों को चार भागों में विभाजित किया गया है – ब्रह्मचर्य आश्रम, गृहस्थ आश्रम, संन्यास आश्रम, वानप्रस्थ आश्रम. गृहस्थ आश्रम के लिए पाणिग्रहण संस्कार अर्थात विवाह नितांत आवश्यक है. एक ओर जहाँ दुनियां के अन्य सारे धर्म विवाह को महज दो पक्षों का करार मानते हैं, जिसे विशेष परिस्थिति में तोड़ा जा सकता है, वहीं दूसरी ओर हिन्दू धर्म में विवाह अग्नि एवं ध्रुवतारा को साक्षी मानकर जन्म जन्मान्तरों के लिए आत्मिक सम्बन्ध को स्वीकार करना होता है जिसे किसी भी परिस्थिति में तोड़ा नहीं जा सकता है.

जिलाधिकारी रितू माहेश्वरी के आदेशों को ठेंगा दिखाते एमएमजी हॉस्पिटल के डॉक्टर

मामूली बुखार आने पर बाहर के लिए लिखी 211 रूपये की दवाई... मात्र 6 साल की बच्ची के सिरप और टैबलेटों की भरमार

गाजियाबाद। महानगर स्थित एमएमजी हास्पिटल में कार्यप्रणाली सुधरने का नाम नहीं ले रही है। गाजियाबाद की डीएम रितू माहेश्वरी कार्य के प्रति लापरवाही बरतने पर चेतावनी भले दे रही हों लेकिन उसका कोई असर नहीं है। जिला अस्पताल के डॉक्टर अपने पुराने ढर्रे पर ही कार्य कर रहे हैं।

एक पत्रकार का दर्द

क्षमा चाहता हूँ, आज़ इस ग्रुप में अपनो के मध्य कुछ लिख रहा हूँ। लिखना स्वाभाविक भी लगा, आए दिन खब़रनवीशों के साथ हो रही धटनाएं प्रदेश में अपने तरह की कोई पहली और अंतिम धटना नहीं है। पूरे देश एवं प्रदेश के कलमकारों के साथ ऐसी धटनाएं आम हो गयी है। जो कर्तव्यनिष्ठा एवं ईमानदारी से कार्य करना चाहते है उन्हे हमारा समाज़ एवं हमारा तंत्र कार्य नहीं करने देना चाहते है।

लोकसभा चुनाव-2019 : गठबंधन के लिए नफा-नुकसान तलाशती बीजेपी

अजय कुमार, लखनऊ

लोकसभा चुनाव के लिये गठबंधन को लेकर बसपा सुप्रीमों मायावती बार-बार नया ‘सस्पेंस’ खड़ा कर देती हैं। कांगे्रस द्वारा राहुल को पीएम का चेहरा घोषित किये जाने के बाद माया ने एक बार फिर दोहराया है कि वह गठबंधन का हिस्सा तभी बन सकती हैं जब यह सम्मानजनक होगा। उनका यह बयान राहुल को पीएम का चेहरा घोषित करने की वजह से आया जरूर है,लेकिन लगता है कि वह सपा प्रमुख  अखिलेश यादव को भी कुछ संकेत देना चाह रही थीं।

26.7.18

पीढियों की सोच में अंतर क्यों...


कुछ अजीब सा विषय है ना...पर ये जेनरेशन गैप हर पीढ़ी मे होता है...बस हमारा देखने का नजरिया अलग होता है...आख़िर ये जेनरेशन गैप है क्या बला...? आम तौर पर माना जाये तो ये दो पीढ़ी के बीच मे आने वाला फर्क है...या यूं कहें की हर बात मे, सोच मे ,आचार -विचार मे ,बातचीत के तरीके मे ,व्यवहार मे अंतर होने को जेनरेशन गैप कह सकते है...हमेशा नयी पीढ़ी पुरानी पीढ़ी को और पुरानी पीढ़ी नयी पीढ़ी को यही कहकर चुप करा देती है कि जेनरेशन गैप है...वो चाहे हम लोगों का जमाना रहा हो या फिर आज हमारे बच्चों का जमाना ही क्यों ना हो...ऐसा हम अपने अनुभव के आधार पर कह रहे हैं...

23.7.18

नीरज की स्मृति में श्रद्धांजलि सभा : किसी की पलकें भीगीं तो कोई फफक-फफक कर रोया


गाजियाबाद। गीतऋषि गोपाल दास नीरज को याद करके किसी की आंखें, नम हुईं, किसी की पलकें भीगीं तो कोई फफक कर रो दिया। अखिल भारतीय साहित्य परिषद गाजियाबाद और सम्प्रेषण साहित्यिक संस्था ने मिलकर गीतऋषि पद्मभूषण स्वर्गीय श्री गोपाल दास नीरज जी की स्मृति में एक श्रद्धांजलि सभा का आयोजन सिग्नेचर होम्स, राजनगर एक्सटेंशन के क्लब हाउस में किया। अपनी भावांजलि अर्पित करते हुए महाकवि डाॅ. कुंअर बेचैन ने उन्हें मन का कवि बताया।

20.7.18

एक शाम डॉ कुंवर बेचैन के नाम- ''चाँदनी चार क‍़दम, धूप चली मीलों तक''


गाजियाबाद। अखिल भारतीय साहित्य परिषद संस्था की ओर से रविवार को जिला मुख्यालय के बार सभागार में एक शाम देश के वरिष्ठ कवि डॉ कुंवर बेचैन के नाम से काव्य संध्या का आयोजन किया गया।  इस कार्यक्रम में सौकड़ों की संख्या में शहर के साहित्य प्रेमियों ने हिस्सा लिया।

10.7.18

सुनो सुशासन बाबू,आपके सुशासन वाले बिहार में पत्रकार और पत्रकारिता सुरक्षित नही

इन दिनों एक बार फिर लगता है कि बिहार में वही 90 के दशक वाला जंगलराज शुरू हो चुका है। बिहार में पहली बार जब नीतीश कुमार की सरकार बनी तो काफी बदलाव हुआ। सबसे ज्यादा लचर कानून प्रणाली में सुधार हुआ। लेकिन जैसे-जैसे नीतीश कुमार की सरकार दूसरी और तीसरी बार सत्ता में आई।वैसे वैसे कानून प्रणाली लचर होती जा रही। बिहार में हालात इन दिनों ऐसी है कि  मीडिया जो समाज को सच से रूबरू कराता है उन पत्रकारों को भी अपनी जान गवानी पर रही। एक दो नही कई नाम हैं जो नीतीश कुमार के कार्यकाल में पत्रकारिता करते हुए पत्रकार की मौत हुई।

लिहाजा असल माफिया हम हैं तुम नही..

तुम्हारी एक गोली या फिर 10 गोली से सिर्फ एक मरता है हमारी एक कलम से हजारों दहशत में आ जाते हैं। तुम क्या डराओगे जितना हम डराते हैं। तुम जान मारते हो हम जान को हलक में फंसा देते हैं। हम नही तो तुम्हारा कोई वजूद नही। तुम कभी डर के तो कभी डराने को गोली चलाते हो ।तुम्हे तो हम डॉन और माफिया बनाते हैं। तुम्हारी एक गोली की गूंज हम सैकड़ों के घर सैकड़ों बार पहुंचाते हैं। जितने लोग तुम्हारी गोलियों से नही डरते उससे ज्यादा हमारी कलम से डरते हैं। गर हम नही तो तुम नही। लिहाजा असल माफिया हम हैं तुम नहीं। हम मीडिया है..

अपना दल में मची खलबली, रमेश वर्मा को वाराणसी जिला अध्यक्ष पद से हटाने' से कार्यकर्ता हुए नाराज


सत्ता की सूली पर कार्यकर्ता और विचार "कार्यकर्ताओं में आक्रोश"

वाराणसी के रमेश वर्मा को विगत छः माह पहले अपना दल (कृष्णा गुट) जिला अध्यक्ष के रूप में बड़ी जिम्मेदारी मिलने से जहां कार्यकर्ताओं में उत्साह था, वहीं अब उन्हीं कार्यकर्ताओं में आक्रोश पनप रहा है। अपना दल के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने बताया की जिले मे भले ही जिला अध्यक्ष अपना दल का कुनबा बढा रहे हो वही विगत 2 जुलाई को अपना दल संस्थापक डा. सोनेलाल पटेल की जयंती को सफलता पूर्वक आयोजन करने के बावजूद अपना दल हाईकमान बिना किसी कारण नोटिस स्पष्टीकरण दिए दल के जिलाध्यक्ष रमेश वर्मा को हटाकर उनके साथ नाइंसाफी किया जिस बाबत स्थानीय कार्यकर्ता नाराज चल रहे है। नाराज़ कार्यकर्ताओ ने कहा की हमारी विचारधारा और हमें गाली देने वाले नेताओं का हमारे दल मे स्वागत हो रहा है। उनको प्रमोशन दिया जा रहा है। अपना दल में पहले ऐसा नही होता था।