आज फिर बारिश हुई, आज फिर हम रोए।
आज फिर तेरी याद आई, आज फिर हम नहीं सोए।
करवटें बदल बदल रात यू हीं गुजरती रही।
अश्क मेरे बहते रहे तनहाई यही कहती रही।।
हमशे क्या भूल हुई कि आज हम अकेले हैं।
वक्त ने दिल से मेरे ये कैसे खेल खेले हैं।।
अब तो यादों का गुबार ही बचा है इस सीने में।
जिंदगी रुसवा है हमसे अब रश्क कहां जीने में।।
किससे शिकवा करें हम, कौन सुनेगा मेरी।
तुम सुनोगे तुम कहोगे है यही किस्मत तेरी।।
आज फिर तेरी याद आई, आज फिर हम नहीं सोए।
करवटें बदल बदल रात यू हीं गुजरती रही।
अश्क मेरे बहते रहे तनहाई यही कहती रही।।
हमशे क्या भूल हुई कि आज हम अकेले हैं।
वक्त ने दिल से मेरे ये कैसे खेल खेले हैं।।
अब तो यादों का गुबार ही बचा है इस सीने में।
जिंदगी रुसवा है हमसे अब रश्क कहां जीने में।।
किससे शिकवा करें हम, कौन सुनेगा मेरी।
तुम सुनोगे तुम कहोगे है यही किस्मत तेरी।।
रौशन तेरे नसीब में प्यार कहीं दिखता नहीं।
सहरा ए गुलशन में प्यार का फूल कभी खिलता नहीं।।
बरस इतना बरस की वह भी तेरे गम में डूब जाए।
इतना दर्द हो तेरी आहों में कि पत्थर भी पिघल जाए।।
फिर देखना एक दिन उसको तरस आ जाएगा।
और सहरा में भी प्यार का फूल इक खिल जाएगा।।
दोस्तों पुरानी डायरी पलटी तो कुछ एहसास जिन्होंने कभी अल्फाज का रूप लिया था सामने आ गए। उस एहसास को आप सब से बांट रहा हूं। उम्मीद है आप सब उस एहसास को समझेंगे। आप सब का अबरार अहमद।
7 comments:
abrar sab lajvab hai...
bahut sundar abrar bhai. aapke ahsas ko dil se samajh raha hun.aise hi sundar-sundar rachna dete rahie.
अबरार भाई,आज साला अफ़सोस हो रहा है कि अगर समय रहते डायरी बना ली होती तो आज उसके पुराने पन्ने पलटने के काम आ रहे होते और हमारा भी शुमार शायरों में हो रहा होता और अगर अब लिखना शुरू भी किया तो क्या कब्र में पन्ने पलटेंगे.......
bhai vaah vaaah,
lag raha hai bade aashiq mijaz ho.
maja aa gaya
waisai sahi kahen to dil ko chchu gaya.
अबरार अहमदजी, आपकी गजल पढ़ी। ऐसा लगा जैसे रूह की गहराई से नर्म-नर्म एहसास का रेशमी दस्तावेज निकालकर ले आएं हों आप। आपकी डायरी मीनाकुमारी की डायरी की तरह जजबातों से लवरेज होगी,ऐसा लग रहा है। बधाई।
पं. सुरेश नीरव
हरे भाई, डा रुपेश जी, मनीष भाई, बडे भाई पंडित नीरव जी और रजनीश भाई हौसलाअफजाई के लिए आप सब का तहे दिल से शुक्रगुजार हूं। इसी तरह प्रोत्साहित करते रहे। धन्यवाद
बहुत खूब। अबरार तुम्हारे एहसास को दिल से महसूस किया जा सकता है। अच्छी रचना के लिए बधाई। आशीर्वाद स्वीकारो। इसी तरह लिखते रहो।
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