भारतीय इलेक्ट्रोनिक मीडिया के पितामह, शिखर पत्रकारों की श्रेणी के अव्वल पत्रकार, नि:संदेह इमानदार और गुणवत्ता को तरजीह देने वाले प्रणव राय। माफ़ करियेगा मैं यहाँ राय साहब के लिए कशीदे नही कस रहा बल्कि इनके लिए जो मेरे दिल में भाव हैं वह बयान कर रहा हूँ।
जब एनडीटीवी स्टार से अलग होकर अपने बैनर के साथ शुरू हुई थी तो इसके निदेशक ने बड़े जोश के साथ पत्रकारिता की नि:श्पक्ष्ता, गुणवत्ता, और इमानदारी के साथ साथ स्तरीय पत्रकारों की टोली का भी जिक्र किया था। सालों बीत गए मगर एनडीटीवी इन तमाम लक्ष्य से दूर ही रहा क्योँ ?
मेरा पहला प्रश्न
टी वी न्यूज़ चैनलों की बाढ़ में एनडीटीवी पीछे क्योँ ?
दूसरा प्रश्न।
योग्यता और काबिलियत की बात करने वाला एनडीटीवी क्या सही मायने में इन कसौटी को तरजीह देता है अगर हाँ तो क्या इसके आउट पुट एडिटर को नही पता होना चाहिए की हिन्दुस्तानी एक ही नस्ल के पैदावार हैं और हिन्दुस्तान में नस्ल-भेद विरोधी कोई कानून नही है।
तीसरा प्रश्न।
क्या एनडीटीवी अपने बैनर के नीचे कार्य करने वाले तमाम लोगों को ये छूट देता है की वो इस बैनर का इस्तेमाल करके अपने चाक चौबंद को मजबूत करे और एनडीटीवी की जड़ें खोदे।
एनडीटीवी के एक आउट-पुट सम्पादक का भेजा धमकी भरा मेल एनडीटीवी के गुणवत्ता पर प्रश्नचिंह लगा रहा है।
रजनीश के झा
मुख्य प्रवक्ता
भडास
2.6.08
एनडीटीवी के निदेशक प्रणव राय से तीन सवाल।
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1 comment:
अच्छा! बहुत अच्छा तरीका है भड़ास का भड़ास निकालने का.. आखिर हिट्स का मामला है न..
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