वैश्विक मंदी की आग में गोरखपुर भी भुना है जिसकी जलन आज तक महसूस की जा रही है। वित्तमंत्री व प्रधानमंत्री के लाख आश्वाश्नों, रिजर्व बैंक द्वारा की गई सी आर आर व रेपो दर में कटौती तथा विशेषज्ञों की इस सलाह के बावजूद कि निवेश का यह सबसे अच्छा अवसर है, गोरखपुर के निवेशक बाजार में निवेश करने का सहस नहीं जुटा पा रहे हैं। बाजार सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी के अनुसार गोरखपुर में ९९ प्रतिशत निवेश कम हुआ है। सिर्फ़ एक प्रतिशत का निवेश शेयर बाजार की बदहाली कि कहानी बयां कर रहा है। बाजार सूत्रों के अनुसार जो कंपनियां प्रतिदिन १० हजार रुपये दलाली कमाती थीं अब उनकी दलाली मात्र २ हजार रुपय्र प्रतिदिन कि हो गई है। एक्सेस बैंक के डिप्टी मैनजर पतंजलि त्रिपाठी एक निवेशक भी हैं। इस समय वह १०० रुपये में सिर्फ़ १० पैसा ही निवेश कर रहे हैं। उनका कहना है कि बाजार के अभी और नीचे जाने कि संभावना से इंकार नही किया जा सकता। क्योंकि जो विदेशी संस्थागत निवेशक हैं उनका भारतीय बाजार में १२० बिलियन डालर लगा हुआ है जिसमें से उन लोगों ने अबतक १२ से १५ बिलियन डालर निकाल लिया है। बाजार की स्थिति को देखते हुए यदि उन्होंने और ज्यादा निकाला तो बाजार और नीचे जा सकता है। लिहाजा इस समय निवेश बहुत बुद्धिमानी नहीं है। हालाँकि उन्होंने कहा कि निवेश कि कोई बाटम लाईन नहीं होती है कि इस सूचकांक पर बाजार आ जाएगा तो निवेश करेंगे। जब बाजार भागता है तब समय नहीं मिलता है। इसलिए स्टेप बाई स्टेप इन्वेस्ट करने की जरूरत है। इसीलिए मैं १०० रुपये में १० पैसे का इन्वेस्ट कर रहा हूँ। पत्रकार राजेश शुक्ला शेयर बाजार की बदहाली से निराश हैं। जबसे बाजार मंदी का शिकार हुआ तबसे उन्होंने एक पैसे का निवेश नहीं किया है। उनका कहना है कि जब बी एस ई का सूचकांक १७ हजार था उसी समय मैंने निवेश किया था। उसके बाद बाजार गिरने लगा और मैंने निवेश करना बंद कर दिया। अब सूचकांक जब १८ हजार के ऊपर जाएगा तभी निवेश करूंगा। उसके पहले बाजार की तरफ़ देखना भी नहीं है। नीता पाण्डेय ने कहा कि चार साल से बाजार में हूँ। कुछ पैसा शेयर तथा कुछ पैसा म्युचुअल फंड में डाली हूँ। कुल निवेश पर हालाँकि ३० से ४० प्रतिशत का घाटा है। बावजूद इसके सिप के जरिये म्युचुअल फंड में निवेश जारी रखूँगी। अगर पैसा रहता तो इस लेबल पर भी रुक रुक कर चुनिन्दा कंपनियों में जरूर निवेश करती। जे पी दूवे ने कहा कि मैंने जो पैसा लगाया था बाजार कि स्थिति को देखते हुए ८० प्रतिशत निकाल लिया है, २० प्रतिशत इसलिए रखा है कि यदि बाजार ऊपर आया तो कम से कम पूँजी वापस आ जायेगी। फिलहाल नया निवेश एक पैसे का नहीं किया है। गजाधर द्विवेदी
28.10.08
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3 comments:
गजाधर भाई तमाम लोगों की तो लुटिया डूब गई। एक सज्जन तो बड़े हीरो बनते थे, गोलघर में रेलीगियर के मैनेजर को हारने के बाद हड़का रहे थे और अन्तत: पिटा गए। उनके साथ एक भूतपुर्व छात्र नेता भी थे, अच्छा हुआ कि वो मौके से खिसक लिए। खैर, सज्जन ने तबसे शेयर-फेयर से तौबा कर लिया है।
यह मार्केट है और सब को सबकुछ करने कि आजादी है ! सिवाय भारत के निवेश के ? विदेशियों के लिये 40, 45, 50 प्रतिशत से भी ज्यादा लिमिट खोल दी जाती है भारत के निवेशक के लिये 35 प्रतिशत, अब सरकार ही जब विदेशियों के आगे दुम दबा कर बैठी हो तो बेचारे छोटे निवेशकों के हाल बताने लायक ही नहीं है। इन निवेशकों की लूटी हुई पूंजी को हमारे मीडिया हाउस मुकेश और अनिल अम्बानी का घाटा बता रहे हैं। जरा आप भी तीमाही रिपोर्ट देखना, इन्हें तो फायदा ही हुआ है। कानून सब के लिये समान है लेकिन इसे लागू करने वाले समानता का पाठ भूल गये है। http://pinksitygold.blogspot.com
यह मार्केट है और सब को सबकुछ करने कि आजादी है ! सिवाय भारत के निवेश के ? विदेशियों के लिये 40, 45, 50 प्रतिशत से भी ज्यादा लिमिट खोल दी जाती है भारत के निवेशक के लिये 35 प्रतिशत, अब सरकार ही जब विदेशियों के आगे दुम दबा कर बैठी हो तो बेचारे छोटे निवेशकों के हाल बताने लायक ही नहीं है। इन निवेशकों की लूटी हुई पूंजी को हमारे मीडिया हाउस मुकेश और अनिल अम्बानी का घाटा बता रहे हैं। जरा आप भी तीमाही रिपोर्ट देखना, इन्हें तो फायदा ही हुआ है। कानून सब के लिये समान है लेकिन इसे लागू करने वाले समानता का पाठ भूल गये है। http://pinksitygold.blogspot.com
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