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22.3.09

जीवन क्या है...चलता -फिरता एक खिलौना है !!




जीवन क्या है...चलता-फिरता एक खिलौना है!!

"चीजें अपनी गति से चलती ही रहती है ...कोई आता है ...कोई जाता है ....कोई हैरान है ...कोई परेशां है.....कोई प्रतीक्षारत है...कोई भिक्षारत है...कोई कर्मरत है....कोई युद्दरत....कोई क्या कर रहा है ...कोई क्या....जिन्दगी चलती रही है ...जिन्दगी चलती ही रहेगी....कोई आयेगा...कोई जाएगा....!!!!""............जिन्दगी के मायने क्या हैं ....जिन्दगी की चाहत क्या है ....?? ""ये जिन्दगी....ये जिन्दगी.....ये जिन्दगी आज जो तुम्हारी ...बदन की छोटी- बड़ी नसों में मचल रही है...तुम्हारे पैरों से चल रही है .....ये जिन्दगी .....ये जिन्दगी ...तुम्हारी आवाज में गले से निकल रही है ....तुम्हारे लफ्जों में ढल रही है.....ये जिन्दगी....ये जिन्दगी...बदलते जिस्मों...बदलती शक्लों में चलता-फिरता ये इक शरारा ......जो इस घड़ी नाम है तुम्हारा ......इसी से सारी चहल-पहल है...इसी से रोशन है हर नज़ारा...... सितारे तोड़ो ...या सर झुकाओ...कलम उठाओ या .......तुम्हारी आंखों की रौशनी तक है खेल सारा...ये खेल होगा नहीं दुबारा ये खेल होगा नहीं दुबारा ......ये खेल होगा नहीं दुबारा......ये खेल होगा नहीं दुबारा.......!!"" ना जाने कब किसके ये शब्द पढ़े ...सुने थे ....मगर अब जिन्दगी की अमानत बन गए हैं ये शब्द ...अपने आप में इक दास्ताँ बन गए हैं ये शब्द ...!! पैदा होने के बाद जीना ही हमारी तयशुदा नियति है ...ये बात अलग है कि हम इसको किस तरह जीते हैं ..!!लड़-लड़ कर मर जाते हैं...या अपने आप को किसी ख़ास लक्ष्य की पूर्ति में संलग्न कर देते हैं.....अपने स्वार्थों की पूर्ति में अपना जीवन होम कर देते हैं या अपने जीवन को ही इक वेदी बना लेते हैं.... चला तो किसी भी तरह से जा सकता है ...मगर ऐसे पथ बना जाना जो अनुकरणीय हों ... जो सबके लिए श्रद्धेय हों ....जो अंततः जीवन के समीचीन आदर्शो की गहराई को फ़िर-फ़िर से आंदोलित कर जाएँ ....जीना तो ऐसे भी है ..और वैसे भी ....और जीना कैसे है ....सिर्फ़ यही तो तय करना है हमको !!!!

5 comments:

Gulshan Singh said...

ये निदा फ़ाजली की नज़्म है। जिसे जगजीत सिंह ने गाया है।

Anonymous said...

ये निदा फ़ाजली की नज़्म है। जिसे जगजीत सिंह ने गाया है।

Anonymous said...

ये निदा फ़ाजली की नज़्म है। जिसे जगजीत सिंह ने गाया है।

Gulshan Singh said...

ये निदा फ़जली की नज़्म है।

RAJNISH PARIHAR said...

Jeena chahte hain magar zindagi raas nahi aati,
Marna chahte hain magar maut paas nahi aati,
Bahut udas hain hum is zindagi se,
Unki yaadein bhi to tadpane se baaz nahi aati...!!