जब जर्ज फर्नानंडिस के कपड़ अमेरिका ने उतरवाए तो बेचारे शर्म से कह भी नहीं पाए थे। जब खुलासा हुआ तो सभी दल के नेताओं ने इसकी भर्तसना की। जनता से लेकर जनार्दन भी भौंकते नजर आए। जैसे अमेरिकी नेताओं के साथ भी हम ऐसा ही बर्ताव करेंगे। पर कुछ भी नहीं हुआ। इसी तरह का कुछ वाक्या २००८ में तत्कालीन विदेश मंत्री प्रणब मुखर्जी के साथ भी हुआ और हम फिर भौंक का चुप हो गए। हां २००५ सोमनाथ दा ने हिम्मत दिखाई। भले इसके लिए उन्हें सिडनी यात्रा रद करनी पड़ी। यह किसी की इज्जत के कपड़े उतरना मकसद नहीं है। मैं तो सिर्फ पूछना चाहता हूं कि कब तक भौंकते रहेंगे। अखिर जवाब तो एक दिन देना ही होगा। तो वह दिन आज क्यों न आ जाए। हम भी हिलेरी के कपड़े लेडिज स्टाफ से उतरवा सकते हैं। हवाला सुरछा का दे देंगे। अगर एक बार ऐसा हो जाए तो फिर दुनिया का कोई भी देश हमारे कपड़े उतरवाने की दुस्साहस नहीं करेगा। पर यहां भी एक सवाल फंस रहा है वह यह कि इतनी साहस दिखाएगा कौन। मन और तन से बुढ़े हो चुके हमरे राजनेताऒं से इसकी उम्मीद बेमानी है। शायद कोई युवा नेता ही इस दुस्साहस का जवाब दे सके। शुभ रात्री
22.7.09
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2 comments:
sabak sikhana jaruri hai.
ek bar koi aisa kar dale ab toh...
bahut ho gaya
aakhir suraksha hamaari bhi toh ho!
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