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13.5.10

इंक मीडिया ने किया झंडा बुलंद

सभी मीडिया संस्थानों को हो जाना चाहिए एकजुट : डॉ आशीष द्विवेदी
'पत्रिका' पर हमले के विरोध में पत्रकारिता की पाठशाला इंक मीडिया, सागर ने आवाज बुलंद कर दी है। संस्थान के नेतृत्व में शहर के प्रबुद्ध लोगों ने गुरुवार को काली पट्टी बांधकर जुलूस निकाला और नुक्कड़ नाटक का मंचन किया। साथ ही इंक मीडिया के संचालक डॉ आशीष द्विवेदी और उनके साथियों ने कलेक्टर को राज्यपाल के नाम ज्ञापन सौंपाकर उद्योग मंत्री कैलाश विजयवर्गीय और विधायक रमेश मेंदोला पर कार्रवाई की मांग की है। साथ ही प्रेस पर हमले की कड़ी निंदा की है और पत्रिका पर हो रहे हमलों को तुरंत रुकवाने की मांग राज्यपाल से की है।
........इंक मीडिया के संचालक डॉ आशीष द्विवेदी जी ने बताया कि पत्रिका ने सच के लिए आवाज उठाई है और अगर इस आवाज को दबाने की कोशिश की गई तो जनता चुप नहीं बैठेगी। इंक मीडिया पत्रिका के साथ है और गुंडई हमले का विरोध करती है। दोषियों के खिलाफ कार्रवाई हो इसके लिए इंक मीडिया एक हस्ताक्षर अभियान चलाएगा। डॉ द्विवेदी जी ने बताया कि हमने कलेक्टर को राज्यपाल के नाम ज्ञापन सौंपा है। ज्ञापन के माध्यम से मांग की है कि मामले की सीबीआई जांच कराई जाए और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए। पत्रिका के वितरण में कोई बाधा न आए इसके लिए कड़े सुरक्षा इंतजाम किए जाएं।
.........बताना जरूरी होगा कि पत्रिका समाचार पत्र भाजपा के मंत्री कैलाश विजयवर्गीय और रमेश मेंदोला के काले कारनामों को जनता के सामने लाने की जिम्मेवारी बखूबी निभा रहा था। पत्रिका का सच कहने का यह सलीका मंत्री को पचा नहीं। इन्होंने अपने पालतू गुंडों को निर्देशित किया कि शहर में पत्रिका की एक भी प्रति बंटने न दी जाए। इसके बाद अहिल्या नगरी में जो हुआ उसकी तुलना न तो अंग्रेजी शासन से की जा सकती है और न आपातकाल से। इन पालतू गुंडों ने पत्रिका की प्रतियां फाड़ी, नाले में फेंकी और इतना ही नहीं हॉकर्स को जमकर पीटा। पत्रिका न बांटने की धमकी दी। जैसे ही यह बात लोगों को पता चलती जा रही है लोग पत्रिका के समर्थन में आते जा रहे हैं। सड़कों पर उतरकर भ्रष्ट नेताओं के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं।
माना मौलिक अधिकारों का हनन- 
इंक मीडिया के विद्यार्थियों द्वारा प्रस्तुत नुक्कड़ नाटक में प्रेस की आजादी के हमले की कड़ी निंदा की। इसे संविधान के द्वारा प्रदत्त मौलिक अधिकारों का हनन माना। साथ ही इसे प्रेस की आजादी और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर कुठाराघात बताया। नाटक के अंत में सारे मीडिया संस्थानों को मिलकर इस कृत्य के खिलाफ उठ खड़े होने की अपील की।
अगर ऐसा ही होता तो क्या आजादी मिलती- 
बातो ही बातों मे  डॉ द्विवेदी ने बताया कि बहुत आश्र्चय होता है दुनिया को शिक्षा देने वाले और एकता व आजादी की आवाज बुलंद करने वाले मीडिया संस्थान इस घटना पर क्यों कुछ नहीं कहते, क्यों कुछ नहीं लिखते? सोचो अगर आजादी की लड़ाई में अहम भूमिका निभाने वाले योद्धा समाचार पत्रों ने एक होकर अंग्रेजों के विरुद्ध जंग न लड़ी होती तो क्या होता? क्या हमें आजादी मिलती? आपसी प्रतिस्पर्धा अपनी जगह है लेकिन मामला प्रेस की आजादी का है। ऐसे में सबको एक होकर भ्रष्ट नेताओं के खिलाफ आवाज उठाना चाहिए और खुलकर उनकी निंदा करनी चाहिए। जब अपराधी एक हो सकते हैं, नेता एक हो सकते हैं तो फिर पत्रकार और मीडिया संस्थान एक होकर क्यों नहीं भ्रष्ट नेताओं के खिलाफ हमला बोल देते। बड़ी विपरीत स्थितियां है इतनी बड़ी घटना हो गई, सड़क से लेकर विधानसभा और लोकसभा में तक इसको लेकर हल्ला मच गया लेकिन तथाकथित बड़े अखबार अपने पाठकों को इस घटना से बेखबर बनाए हुए हैं। मामले को लेकर किसी भी अखबार ने एक भी लाइन नहीं लिखी। मतलब उनका पाठक इस बड़े मामले से बेखबर है।

4 comments:

अरुणेश मिश्र said...

सच बात पढने - सुनने की मानसिकता नही रह गयी , इसी कारण पत्रकारिता पर संकट है । मोर्चा तो लेना ही पड़ेगा ।

Anonymous said...

baat to sach hai per, per aaj achanak 1 hone ki baat kaise yaad aai sabhi ko, or baat sirf yehi thodi hai, sabse pahle hame (udhyog pati akhbaar malik) apne gerhbaad mai jhaank ker dekhna padega ki hum kitne doodh ke dhule huain hai, chalo patrika ko he lelen kya patrika ne kabhi kuch galat nahi likha ya kiya, kya us per koi iljaam nai.. jaada nahi kahoonga per mujhe to ye artical bhi SPONSOR laga, wo isleye ki aise ghatna pehli baar to nai horahi, fir ye awaz kyo nai uthi. or kkya ye wo he patrika hai jo apne employ to kisi dusre news paper wale ke saat dekh leti hai to use 10 sawal poochti or pata karwati hai, kya ye use patrika key leye awaz buland ki jaarahi hain jo apne karmchriyon ko press club tak mai jaane per pabandi lagati hai.., bhai 1 karna hai to sabko kero or hosake to pehle kuud ki galti sudharo ., , kher ... bhai bura na maane bhadas thee jo nikal di.....(bhugatbhogi)

kamal.kashyap said...

hum ek jutta ka ye natak samay samay par karte rehete hai... ink media ne bhi kiya..yadi sahi sabdo main hume ekjut hona hai to...ek sath har media karmi par hone wale julm ke kelff ekjutta dikani hogi... ek do mamlo me ek jutta dikne sek ye sabit nahi hota ki hum ekjutt hai...

ajeet said...

sach presan ho sakta hai par parajit kbhi nahi ha aapne ek bat pte ki likhi hai ki ink media ko ekzut ho jana chahiye aur wqt ab aa gya hai abhi nahi to kbhi nahi paid news k zmane me sahi khabar dene walo ki koi kadr hi nahi hoti ulte viprit paristhitiyo ka bhi samna krna pdta hai ise me kum se kum mujhe to aapke vichar satik lge aise pahal ka har kalam ka sipahi swagat karega mujhe ummid hai