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23.1.11

इबादत

नाम तुम्हारा रामा रब्बा शंकर दुर्गा गौड खुदा ,
मैंने तो बस एक ही जाना और जमाना जुदा-जुदा ।

तेरे ही आकाश जमीं ये ,
तेरे ही पर्वत सागर ,
तेरे लाखों -लाख सितारे ,
तेरे ही सूरज चंदा ।

नाम तुम्हारा ....................................................... ।।

तेरे ही ये मंदिर - मस्जिद ,
गुरूद्वारे और गिरिजाघर ,
हिन्दू ,मुस्लिम ,सिख , ईसाई ,
तेरा ही बन्दा -बन्दा ।
मैंने तो बस एक ही जाना
और जमाना जुदा जुदा ।
नाम तुम्हारा ......................................................... ।।

8 comments:

vandana gupta said...

आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
प्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
कल (24/1/2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।
http://charchamanch.uchcharan.com

Dr Om Prakash Pandey said...

dhanywaad! vandanaji.

रश्मि प्रभा... said...

sahi ibadat

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

ईश्वर तो एक ही है ...

दिगम्बर नासवा said...

नाम तुम्हारा रामा रब्बा शंकर दुर्गा गौड खुदा ,
मैंने तो बस एक ही जाना और जमाना जुदा-जुदा ..

वाह ... मज़ा आ गया इस इबादत में .. सच है सभी एक हैं ....

सदा said...

बहुत ही सुन्‍दर प्रस्‍तुति ।

Devi Nangrani said...

मैंने तो बस एक ही जाना
और जमाना जुदा जुदा ।
नाम तुम्हारा
sach ke saamne aaina. Bahut khoob likh hai

Dr Om Prakash Pandey said...

aap sabko dhanywaad!