ध्यानमुद्रा में बैठे इन सज्जन से छत्तीसगढ की पत्रकारिता जगत के साथ साथ लगभग हर बडा अधिकारी परिचित है । ये कोई तमाशा नही कर रहे है बल्कि ध्यानमुद्रा का अनुपम उदाहरण प्रस्तुत कर रहे हैं । जिस समय कमल शर्माजी (दुरदर्शन आँखो देखी ) ध्यानस्थ थे मैने बिना उन्हे बताये ये तस्वीर ले ली थी और सोचा था कि बाद में कोई खबर बनाऊंगा सो वह खबर अभी बन रही है ।
आज की हमारी भागमभाग वाली लाइफस्टाइल में पुज्य गुरूदेव स्वामी कृष्णायन जी महाराज का सहज योग सिद्धांत बेहद कारगर साबित हो रहा है । इसमें किसी दुसरे से कुछ भी पुछने की जरूरत नही रह जाती है कि मुझे क्या करना है और क्या नही करना है अप्रत्याशित रूप से सब कुछ अपने आप होते जाता है । पहले मैं चुपचाप बैठ जाने को ध्यान लगाना समझता था किंतु असल ध्यान लगाना मुझे तिल्दा निवासी आचार्य़ मनीष जी नें बताये । बताये क्या इतनी सरलता से समझाये कि 2 मिनट में 2 घंटे का ध्यान लगने लगा ।
यदि आप भी ध्यान लगाना चाहते हैं तो विधि को अपना कर देख लें - जैसे ही आपको लगे कि आप कुछ समय के लिये अकेले हैं या खाली हैं तो तुरंत अपनी दोनो आँखों को बंद कर लें औऱ अपनी दोनो आँखों के बीच के स्थान(त्रिकुटी) पर उस ईश्वर का ध्यान लगायें जिसे आप पूजते हों या फिर केवल उगते सूर्य की तस्वीर को सोचें और फिर लगातार केवल उसे देखते रहें बिना आँखों को खोले ...... फिर देखिये अपने जीवन में होते अप्रत्याशित बदलाव को । (यहां एक बात का उल्लेख करना चाहूंगा कि यदि आपके आसपास कोई सदविप्र समाज का व्यक्ति हो तो उनसे गुरूदेव कृष्णायन जी महाराज की तस्वीर प्राप्त कर लें और उनका ध्यान लगायें , क्योंकि सदगुरू का ध्यान लगाने पर वे अपनी शक्तियां ध्यानस्थ के शरीर में प्रवाहित करते रहते हैं )
जरा सोचें- आपकी आत्मा को इस जन्म में मानव शरीर रूपी निवास क्यों मिला है आपको परमात्मा नें किट पतंगा या पेड पौधा अथवा पत्थर बना कर क्यों नही भेजे ?
वैज्ञानिक बातें यहां पर आकर खत्म हो जाती है कि मृत्यु का रहस्य क्या है .... और हम भी उन्ही बातों में उलझते चले जाते हैं और भूल जाते हैं कि हमारे पास हजारों साल पुराने कई दुर्लभ तंत्र मंत्र हैं जिनकी शक्तियों को हम भूलते जा रहे हैं । आज जब बात होती है राम के चलाने ब्रह्मास्त्र की तो हम तुरंत आंकलन करने लगते हैं कि वह उस युग का कोई परमाणु हथियार होगा लेकिन ये नही सोचते कि राम को उस सुदुर देश में परमाणु हथियार कौन देगा । सद् गुरू कृष्णायन जी महाराज अपनी दिव्य गुप्त विज्ञान की कक्षाओं के माध्यम से आमजन तक सभी दिव्यास्त्र पहुंचा रहे हैं । मैने स्वयं इन विद्याओं को पाया है और इसके प्रयोग फलीभूत भी हो रहे हैं । मैं अपने घर पर बैठे बैठे बिना स्वयं को नुकसान पहुंचाये दुरस्थ स्थानों में बैठे अपने परिचितों का इलाज कर पा रहा हूँ । यदि आपको लगे कि आपकी बीमारी ठिक नही हो रही है तो सदगुरू धाम, नागलोई नई दिल्ली पर संपर्क कर सकते हैं या फिर छत्तीसगढ के किसी भी पत्रकार के द्वारा कमल शर्णाजी अथवा मुझसे संपर्क कर लें । छोटी मोटी बीमारीयों के लिये तो हम लोग ही काफी हैं गुरूदेव के आर्शीवाद से ।
No comments:
Post a Comment