दिल हमारा है जरा दीवाना ,
गर बहक जाये दिल दुखाना क्या?
तेरी नज़रों से पिघल जाता है ,
इसको आहों से आजमाना क्या ?
तेरे घर खुद ही गवां आऊंगा ,
कोशिशों से इसे चुराना क्या ?
मेरे अंदाजे बयां हैं कैसे,
किसी रकीब को बताना क्या?
जो बन सके तो कभी आ के मिलो ,
एक बीमार को बुलाना क्या ?
6.2.11
दिल हमारा है जरा दीवाना
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4 comments:
bahut achchi lagi.
yahi to shayari ka inaam hai , dhanywaad! mridulaji.
nice post..............
dhanywaad! shamaaji.
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