Bhadas ब्लाग में पुराना कहा-सुना-लिखा कुछ खोजें.......................

25.2.11

नज़ारा..



हरे मटर का मज़ा ही कुछ और है

बसंत का मौसम और धरती ने ओढ़ा पीताम्बर

हरियाली का हसीं नज़ारा

अरहर की बाली

माँ गंगा के गोद में

नवका विहार का आनंद ही कुछ और है

छोटा प्रदीप भी नाव चला लला है जनाब!

3 comments:

Alka Sharma said...

bada hi khoobsurat najara hai

Shikha Kaushik said...

sundar chitramay,hariyali ke darshan karati post aabhar...

K M Mishra said...

आजकल आप खूब घूम रहे हैं । इक्जाम कब से हैं ।