हरे मटर का मज़ा ही कुछ और है।
बसंत का मौसम और धरती ने ओढ़ा पीताम्बर।
हरियाली का हसीं नज़ारा।
अरहर की बाली।
माँ गंगा के गोद में।
नवका विहार का आनंद ही कुछ और है।
छोटा प्रदीप भी नाव चला लला है जनाब!
अगर कोई बात गले में अटक गई हो तो उगल दीजिये, मन हल्का हो जाएगा...
3 comments:
bada hi khoobsurat najara hai
sundar chitramay,hariyali ke darshan karati post aabhar...
आजकल आप खूब घूम रहे हैं । इक्जाम कब से हैं ।
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