५ मई २०११ का दिन दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र की हत्या के लिए याद किया जायेगा और सभी भारतीयों का ये भ्रम जरुर टूट गया होगा की हम एक लोकतंत्र देश के वासी है | हमें इस बात पर बहस नहीं करनी चाहिए की बाबा रामदेव जो कर रहे थे वो अपने फायदे के लिए कर रहे थे या जनता के फायदे के लिए कर रहे थे लेकिन एक बात जरुर साबित हो गया की वो जो कर रहे थे उससे इस निकम्मी सरकार का बहुत बड़ा नुकसान था या फिर इस सरकार की पोल खुल रही थी नहीं तो आखिर इस सत्याग्रह में इस भ्रष्ट सरकार को आखिर क्या दिख गया जो इतनी रात को पुरे दल बल के साथ और पूरी तैयारी के साथ करवाई किया ?
क्या बाबा रामदेव का ये सत्याग्रह गुर्जरों के आन्दोलन की तरह आर्थिक नुकसान पंहुचा रहा था अभी फ़रवरी और मार्च में जब गुर्जरों ने एक तरह से उतर-मध्य रेलवे को रोक दिया था और उससे सरकार को रोज करोडो की चपत लग रही थी तब तो सरकार ने ऐसा नहीं किया जो की थोडा सा वाजिब था ये करना और तो और जब जम्मू कश्मीर के अलगावादी वह पर पत्थरबाजी कर रहे थे तब तो हमारी इस निक्कमी सरकार को कुछ नहीं दिखा और ये जो एक संत शांति पूर्वक महात्मा गाँधी के बताये सत्याग्रह पर चल रहा था तो ये कदम कहा से जायज है ? क्या ये खुद महात्मा गाँधी के विचारो पर लाठी नहीं चली |
कुछ सफेदपोश और सस्ती लोकप्रियता के भूखे अपने आप को मानवाधिकार के दूत बताने वाले समाज का संकीर्ण वर्ग जो की उन क्रूर नक्सलियों की तरफदारी में हाय तौबा मचाती है जिनके लिए निरीह आदिवासियों और हमारे जवानों की जान पत्थर से ज्यादा नहीं है और उनपर अगर कारवाई हो जाये तो वो चिल्लाने लगते है लेकिन इस घटना के बाद उनकी तरफ से कुछ प्रतिक्रिया नहीं आई है जिस से हैरानी भी नहीं है वो भी इस भ्रष्ट तंत्र का के हिस्सा है
समाज एक ऐसा वर्ग जिसको ये भी डर था की कही उनकी काली कमाई जनता की अमानत न हो जाये वो भी इस घटना से खुश नजर आ रहे है और वो तो बाबा को पहले से ही कोश रहे थे उनमे से कुछ हमारे लोक प्रिय सितारे भी है जिनके देशभक्ति संवाद पर हम खूब तालिया बजाते है वो भी अन्दर ही अन्दर डर रहे थे और बाबा को इस सत्याग्रह से पहले खूब बुरा भला कह रहे थे और ऐसे समाज के गंदे अगर ये कहेंगे की ये सरकार का अच्छा कदम है तो मै उन्हें बस यही कहूँगा की वो दिन दूर नहीं जब अरब समाज वाली आंधी का रुख भारत में आये
जय हिंद
--अक्षय कुमार ओझा
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4 comments:
इन्हे नक्सली, आतंकी, देशद्रोही, भ्रष्टाचारी, प्यारे है, हम सब जानते क्यो?
सही कहा भाई आपने इनका बस चले तो ये देश को ही गिरवी रख दे बस इनकी कुर्सी रहे और बाकि जनता भाड़ में जाये
आप कह तो सही रहें हैं, मगर सत्य का केवल एक पक्ष ही देख रहे हैं, तस्वीर का दूसरा रुख भी है, जो ओझल सा हो गया है, गलती केवल सरकार की नहीं, कुछ तो बाबा की भी होगी
सही कहा आपने जनाब बाबा की भी गलती थी की वो क्यों भ्रस्ताचार के खिलाफ आवाज उठाई शायद आज कल बुरे के खिलाफ आवाज उठाना अपने आप में एक गलती है जनाब जो मै भी कर रहा हु मुआफ कीजियेगा
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