विकिलीक्स के ताजे खुलासे ने हमारी आशंकाओं को भरपूर बल दिया है| २००० लोगों में से कुछ खास लोंगो के नाम आशा के अनुरूप ही हैं| जिन्हें हम गरीबों का मसीहा, महान समाज सुधारक आदि के नामों से जानते हैं|
वैसे एक बात मुझे अब समझ में आ गई है कि गरीबों के मसीहा श्री लालू प्रसाद यादव बाबा रामदेव के अनशन पर आधी रात को लाठी चार्ज कर तितर-बितर कर देने पर इतना खुश क्यों थे| कारण साफ़ है| लुटेरों कि पार्टी कांग्रेस ने उन्हें अपने गैंग से निकल बहार किया है| इसलिए लालू प्रसाद को यह लग रहा था कि कहीं अनशन सफल हो गया तो कांग्रेस उन्हें बलि का बकरा बना कर अपने को पाक-साफ घोषित करने की कोशिश न करे| लेकिन जब अनशन विध्वंश कर दिया गया तो वे इतने खुश हुए कि लगे मुसरन ढोल पीटने|
क्या कहूँ? यह भारत है, जिसे इंडिया वाले चला रहे हैं| जिनके रग-रग में बेशर्मी और दोगलापन भरा पड़ा है| यह सारा खुलासा गधे के सर से सींग की तरह गायब कर दिया जायेगा और वैसे भी कौन करेगा? प्रिंट मीडिया! इलेक्ट्रोनिक मीडिया! कदापि नहीं| आखिर वो भी तो इसी थैली के चट्टे-बट्टे हैं| जो गाँधी परिवार के हजारों कत्ल पर आँखे बंद कर लेता है और जरा सा भी चूं-चपड़ नहीं करता| लेकिन उनके दुश्मनों की आह पर भी जमीन आसमान एक कर देता है| अंत में एक शेर अर्ज कर रहा हूँ ...
हम आह भी भरते हैं तो हो जाते हैं बदनाम|
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