नेता जी क्या कहते हैं ?
जिस जनता की खातिर
हम तिल-तिल कर हैं मरते ,
सरकारी गाड़ी में हम
दौरे करते फिरते ;
वो जनता जब देती ताने
वो भी सहते हैं ,
नेता जी क्या कहते हैं ?
वोट के बदले नोट हैं देते
उन्हें पिलाते दारू ,
सत्ता-दूध इसी से मिलता
जनता गाय दुधारू ;
ये जो रूठे;सपने टूटे
आंसू बहते हैं ,
नेता जी क्या कहते हैं ?
मीठे-मीठे भाषण देकर
झूठे करते वादे ;
घोटाले करते रहते
वैसे हैं सीधे-सादे ;
सत्ता पाकर सत्ता-मद में
डूबे रहते हैं ;
नेता जी क्या कहते हैं ?
ए. सी. रूम के भीतर
नीति निर्धारित करते
लूट के जनता का पैसा
अपने घर में भर लेते ;
जनता जूते मारे तब भी
हम हँस देते हैं ;
शिखा कौशिक
4 comments:
कविता हमेशा कि तरह बहुत अच्छी है,
तुम में प्रतिभा है ,
पर क्या तुम्हारे पास इस सोई हुई जनता को जगाने का कोई मन्त्र है !
कविता हमेशा कि तरह बहुत अच्छी है,
तुम में प्रतिभा है ,
पर क्या तुम्हारे पास इस सोई हुई जनता को जगाने का कोई मन्त्र है !
ASHOK JI-ONLY THIS MANTRA CAN DO WOUNDER -''LISTEN YOUR SOUL BEFORE DOING ANYTHING ''.
बड़ी गहरी बात है, मेरे जैसे व्यक्ति के लिए इसका अर्थ निकालना कठिन हैं
फिर भी धन्यवाद , उक्तर के लिए.
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