आपने कभी देखा है कि किसी आई,ए,एस या पी,सी,एस, का बेटा,बेटी कभी लोक सेवा आयोग की पी,सी,एस एलाइड की सेवा में चयनित होकर समाज सेवा कर रहा हो।अगर होगा भी तो एकाध प्रतिशत से भी कम।इतने दिनों तक मेरा भी ध्यान इस ओर नहीं गया,लेकिन अपने भाई'गेंगैस्टर माफिया' संजय मोहन ने इस बात के सूत्र दे दिये कि चाहे शिक्षण पात्रता परीक्षा 'टैट' हो या अन्य परीक्षा हरेक मैं अपनों को लाभ पहुंचाने का खेल चलता ही है।हॉं ये अलग है कि मेहनती ईमानदार अभ्यर्थी को उसका मेहनताना एलाइड सेवा में नियुक्त करके दे दिया जाता है।उँचे पदों पर बैठे सॉंवत अपनों के लिये नीली बत्ती के पदों को सुरक्षित कर ही लेते हैं,अपने कामगारों को अपने नीचे बिठालने का इससे नायाब व तार्किक तरीका और कोई नहीं हो सकता।ऐसे भी सूत्रों का पता चला है कि ऐसे बेरोजगारों को चयनित करने का प्लान तैया र किया जाता है,जिन्हें बडे लोग अप ना रिश्तेदार बनाना चाहते हैं। इसमें दलित कैडर पीछे है,इस भ्रम में मत रहिये।अपने पूर्ववर्ती लोगों की देख देखी दलित जातियॉं भी अपने ऐसे लाभ लेना एक जायज एवं सामाजिक न्याय पाने का एक अनौपचारिक तरीका समझने लगी हैं।
27.2.12
मेरे गम को हरा कर दिया प्यारे मोहन ने। 'बडी नियुक्तियों में बडे बडे खेल
इस समय चुनाव का समय है,तथाकथित वैधानिकता के आगे मानवीय विसंगतियों को झेलने के सिवाय और कोई चारा नहीं है।सरकार आने पर घोटालों पर कुछ परदा डाला जायेगा तो वहीं पुरानी सरकारों के कारनामों की जॉंच के नाम पर ईमानदारी का गुबार पैदा किया जायेगा,और उसी गुबार के धुंधं में अपनों को चुपके से लाभ पहुंचाया जायेगा।यह सिलसिला अनवरत चलेगा।प्रशासन में दलित वर्ग'एलाइड संवर्ग' की बात तार्किकता के लबादे में शर्म से मुह झुकाये अपने पुनीत कार्य को अंजाम देती रहेगी।
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1 comment:
सुन सुन सुन अरे बेटा सुन इस चम्पी में बड़े बड़े गुण ...
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