मक्खी और मधुमक्खी
मैं अपने घर के लॉन में सुबह -सुबह टहल रहा था .गमले में लगे गुलाब के फूल पर एक
मधुमक्खी आकर बैठ गयी थी .गुलाब मधुमक्खी के आगमन पर ख़ुशी से मुस्करा रहा था
गुलाब मधुमक्खी का आतिथ्य पराग लुटाकर कर रहा था .मधुमक्खी भी उसे किंचित
मात्र तकलीफ दिए बिना ही पराग का आस्वादन कर रही थी .कुछ देर बाद वह मधुमक्खी
उड़कर दुसरे फूल पर बैठ गयी थी .थोड़ी ही देर में एक काली मक्खी आई और उस फूल
पर बैठ गयी .फूल इस मक्खी की आवभगत में भी पराग और खुश्बू बाँट रहा था .काली
मक्खी भी पराग का आस्वादन करती गयी और जाते जाते उस फूल पर अपना मैला भी
छोड़ कर उड़ गयी .
यह देख मेरे मन में हलचल मच गयी ,इस फूल ने इन दोनों मक्खियों को अपनी खुश्बू
और पराग दिया मगर बदले में मधुमक्खी ने उसे दिया कुछ नहीं और पराग का आतिथ्य
ग्रहण कर बिना नुकसान पहुंचाए उड़ गयी तथा दूसरी मक्खी ने उससे आतिथ्य भी ग्रहण
किया और जाते -जाते उस फूल पर अपना गन्दा मैला भी छोड़ गयी.
मेरे देश के जनसेवक जो व्यवहार मधुमक्खी ने गुलाब के साथ किया वह यदि देश के साथ
करे तो इतना दुःख नहीं होगा परन्तु काली मक्खी ने जो व्यवहार फूल के साथ किया वह तो
किसी भी कीमत पर माफी के योग्य नहीं होता है.
छवि गूगल से साभार
3 comments:
Wakai ekdam sateek kaha hai apne.
Wakai ekdam sateek kaha hai apne.
sarthak lekhan ke liye badhai ......
karara vyangya
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