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5.3.12

सरस्वती देवी की पूजा

अक्सर किसी भी समारोह की शुरुआत सरस्वती देवी की पूजा के द्वारा ही होती है। और यह पूजा करने का (दीप जलाकर) एक मात्र अधिकार मुख्य अतिथि का ही होता है। पर इस परम्पर का निर्वाह करने वाला (मुख्य अतिथि) शायद कभी जूते उतार कर सरस्वती देवी की पूजा करता हो। परन्तु बाते भारतीय संस्कृति की करेंगा। ताली भी खूब बजती हैं। परन्तु कभी मुख्य अतिथि से जूते उतार कर पूजा करने को कोई नहीं कहता और मुख्य अतिथि भी ऐसा करनें में अपना अपमान समझता है। मैं अभी तक जितने भी समारोह मे गया मुझे अभी तक ऐसा अनुभव नहीं हुया जब किसी मुख्य अतिथि ने दीप जूता उतार कर जलाया हो।

2 comments:

Shikha Kaushik said...

SATEEK MUDDA UTHHAYA HAI AAPNE .JOOTA UTAR KAR HI YAH KARM KARNA CHAHIYE .SARTHAK PRASTUTI HETU BADHAI . ye hai mission london olympic

Ajit Kumar Mishra said...

धन्यवाद शिखाजी