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6.3.12

एकपत्नीव्रत

कविता
* मैं एकपत्नीव्रत का समर्थक हूँ
मैं सदा एकपत्नीव्रत रहा ।
बीस वर्ष की उम्र में मेरा विवाह हुआ
२० से ३० तक मैं एकपत्नीव्रत रहा ,
फिर ३० से ४० तक मैं एकपत्नीव्रत रहा ,
और ४० से ५० तक एकपत्नीव्रत रहा ,
तथा ५० से ६० तक एकपत्नीव्रत।
अब ६० के बाद भी मैं
एकपत्नीव्रत का निर्वाह कर रहा हूँ ।
मैं सदा एकपत्नीव्रत रहा ।
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2 comments:

Shikha Kaushik said...

jai ho ek patni vrat dharan karne vale in mahanubhav ki ?YE HAI MISSION LONDON OLYMPIC

https://worldisahome.blogspot.com said...

वाह क्या बात हैं , ये देश , समाज सदा आपका ऋणी रहेगा, इस त्याग , तपस्या और मन के नियंत्रण के लिए,

मुझे मालुम है ऐसा कर पाना किसी किसी के लिए कितना कठिन होता है .

काश इस देश का हर व्यक्ति आपके नक़्शे कदम पर चल कर इससे कुछ शिक्षा ले पाता .

कम से कम महावीर चक्र नहीं तो वीर चक्र के लिए तो हमें सरकार से अनुशंषा करनी चाहिए ,

ऐसे त्यागी आजकल कहाँ मिलते हैं, जो विकलांग, झगडालू , बदसूरत, बाँझ पत्नी के साथ भी एकपत्नीव्रत का पालन करें . मेरे विचार से आपके साथ तो एसी कोई वजह तो नहीं रही होगी, इस महात्याग कि .

हम सब भड़ास परिवार के सदस्य आपका इस तपस्या के लिए सम्मान करते हैं .

काश में भी ऐसा कर पाता . और सब भडासी भी ऐसे कर पाते .

अशोक गुप्ता , दिल्ली