जबरन जमा कराये अतिरिक्त 39514 /- रुपये शिकायत कर्ता ने किया बिजली अधिकारीयों पर जिला विधिक सेवा में मुकद्दमा ,अधिकारी तलब। अलीगढ के थाना अकराबाद के गांव सिकंदरपुर में बिजली बिजली की लाइन काफी पुरानी व् जर्जर हो चुकी है जो कभी भी टूट कर गिर जाती है जिसकी चपेट में आने से गांव वाले घायल हो जाते हैं व पशु भी घायल होते रहते हैं व् मर भी जाते हैं।
28.8.16
27.8.16
कार्रवाई नहीं मामला समझ लेते हैं शिवराज के अधिकारी...
1 अवैध डेयरी 8 महीने में 10 से ज्यादा बार कम्प्लेन फिर भी अधिकारी कह रहे "समझा दिया है अब कुछ हो तो बताइयेगा"...जी हाँ काम करने का यह तरीका हैं मध्यप्रदेश सीएम हेल्पलाइन द्वारा भेजे जाने वाले "लेवल अधिकारीयों" का। दरअसल शिवराज के राज में यह अधिकारी कार्रवाई से ज्यादा मामला समझने में विश्वास करते हैं। कम्प्लेन के वक्त शिकायत कर्ता को बिना बताये कम्प्लेन क्लोज कर दी जाती है। बाद में पता चलता है की अधिकारी द्वारा समस्या का समाधान कर दिया गया है और यह समाधान कार्रवाई नहीं बल्कि आपसी समझाइश यानी मामला समझ लेना होता है।
26.8.16
देश के हालात मुझे सोने नहीं देते
विगत रातों से मुझे नींद नहीं आ रही है। रह रह कर देश के हालात मेरे जेहन पर चोट करते हैं और कुछ धूमिल सी यादें बार बार खुली आंखों से नजर आ रही हैं। मौसम में ठण्डक थी पर माहौल में इसके विपरीत तपिश जो देश को झुलसाने को आतुर थी। अंग्रेजी माह का दिसम्बर कैलेण्डरों में नजर आ रहा था। चेहरों पर तनाव व भय के साथ कुछ अनबुझे से सवाल भी थे। समाचार पत्रों के पन्नों में सामाजिक ताना बाना को ध्वस्त करते समाचार एवं छायाचित्र नजर आ रहे थे जो मानवता को मुंह चिढ़ाते से प्रतीत हो रहे थे दिन प्रतिदिन मानवता शर्मसार होती जा रही थी। शहर में जन समस्या के लिए आन्दोलन होते रहे हैं।
आओ मिलकर जीत लें मजीठिया वेतन बोर्ड की लड़ाई
साथियों माननीय सुप्रीम कोर्ट ने प्रिंट मीडिया से जुड़े साथियों को जीवन सुधारने का स्वर्णिम अवसर दिया है। मजीठिया वेज बोर्ड को लेकर जिस तरह से सुप्रीम कोर्ट ने श्रमायुक्तों को लताड़ लगाई है, उससे यह तो जाहिर हो गया कि अब सरकारें मजीठिया को लेकर ज्यादा राजनीति नहीं कर पाएंगी। न ही अखबार मालिकों के लिए श्रमायुक्त जेल जाएंगे। हां यह जरूर याद रखना होगा कि मजीठिया घर बैठे नहीं मिलेगा। इसके लिए लड़ना होगा। मामला लाखों का है, जो अखबार मालिक समय से वेतन नहीं देना चाहते उनसे मजीठिया निकलना इतना आसान नहीं है। इसलिए जो साथी जिस तरह से मजीठिया की लड़ाई लड़ सकता है वह उसी तरह से लड़ाई लड़े पर यह समझ लो कि इस लड़ाई के जीतते के लिए हम लोगों एड़ी-चोटी का जोर लगाना होगा।
24.8.16
Request for initiation of disciplinary proceedings against Binay Kant Mishra
Dated : 18.08.16
To
The Police Commissioner,
Delhi Police,
Police Hqrs. ITO
New Dellhi - 110002
Subject : Request for initiation of disciplinary proceedings against Binay Kant Mishra, Deputy Commissioner, Delhi Police because of inclusion of his name & that of two of his family members as accused in charge sheet filed by police in FIR No. 276/ 2012 of PS Shalimar Bagh, Delhi u/s 420, 467, 468, 471, 448, 380, 457, & 120B IPC. Binay Kant Mishra is ring leader of a property grabbing gang - wails and appeal of one of his senior citizen victims
Sir,
To
The Police Commissioner,
Delhi Police,
Police Hqrs. ITO
New Dellhi - 110002
Subject : Request for initiation of disciplinary proceedings against Binay Kant Mishra, Deputy Commissioner, Delhi Police because of inclusion of his name & that of two of his family members as accused in charge sheet filed by police in FIR No. 276/ 2012 of PS Shalimar Bagh, Delhi u/s 420, 467, 468, 471, 448, 380, 457, & 120B IPC. Binay Kant Mishra is ring leader of a property grabbing gang - wails and appeal of one of his senior citizen victims
Sir,
सीआरपीएफ जवानों के लिए जरूरी है मीडिया प्रशिक्षण
माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय में सात दिवसीय 'इलेक्ट्रोनिक मीडिया उपकरण प्रशिक्षण कार्यशाला' का समापन
भोपाल, 23 अगस्त। मीडिया प्रशिक्षण के बाद सीआरपीएफ के जवान अधिक प्रभावी ढंग से समाज की सहायता कर सकेंगे। सीआरपीएफ ने अनेक विपरीत परिस्थितियों में समाज हित के काम किए हैं। सीआरपीएफ ऐसे दुर्गम स्थानों पर भी काम कर रही है, जहाँ मीडिया की पहुँच नहीं है। इसलिए जवानों को दिया गया मीडिया का प्रशिक्षण अधिक उपयोगी साबित होगा। सीआरपीएफ के कमाण्डेंट श्याम सुंदर ने सात दिवसीय इलेक्ट्रोनिक मीडिया उपकरण प्रशिक्षण कार्यशाला के समापन समारोह में यह विचार व्यक्त किए। कार्यशाला का आयोजन माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के इलेक्ट्रोनिक मीडिया विभाग की ओर से किया गया था। इस कार्यशाला में सीआरपीएफ के जवानों को सात दिन तक इलेक्ट्रोनिक मीडिया के प्रशिक्षण में ऑडियो, वीडियो और फोटोग्राफी का प्रशिक्षण दिया गया।
भोपाल, 23 अगस्त। मीडिया प्रशिक्षण के बाद सीआरपीएफ के जवान अधिक प्रभावी ढंग से समाज की सहायता कर सकेंगे। सीआरपीएफ ने अनेक विपरीत परिस्थितियों में समाज हित के काम किए हैं। सीआरपीएफ ऐसे दुर्गम स्थानों पर भी काम कर रही है, जहाँ मीडिया की पहुँच नहीं है। इसलिए जवानों को दिया गया मीडिया का प्रशिक्षण अधिक उपयोगी साबित होगा। सीआरपीएफ के कमाण्डेंट श्याम सुंदर ने सात दिवसीय इलेक्ट्रोनिक मीडिया उपकरण प्रशिक्षण कार्यशाला के समापन समारोह में यह विचार व्यक्त किए। कार्यशाला का आयोजन माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के इलेक्ट्रोनिक मीडिया विभाग की ओर से किया गया था। इस कार्यशाला में सीआरपीएफ के जवानों को सात दिन तक इलेक्ट्रोनिक मीडिया के प्रशिक्षण में ऑडियो, वीडियो और फोटोग्राफी का प्रशिक्षण दिया गया।
दिल्ली सरकार की वेबसाइटों को नियमित अपडेट करने की मांग की
-हिन्दी संस्करण को भी चालू करने को कहा।
- सभी साइट को हिन्दी में भी किया जाए
नई दिल्ली। नई पीढ़ी-नई सोच संस्था के संस्थापक व अध्यक्ष श्री साबिर हुसैन ने श्री अरविंद केजरीवाल] मुख्यमंत्री दिल्ली सरकार को पत्र लिखकर सरकार की सभी वेबसाइटों को नियमति अपडेट करने की मांग की है और साथ यह भी मांग की है कि व सभी साइट को हिन्दी में भी किया जाए क्योंकि दिल्ली की अधिकतर जनता हिन्दी में काम-काज करती है इसलिए सरकार की सभी योजनाओं का फायदा सभी तक पहुंचे। मौजूदा समय में दिल्ली सरकार की कुछ वेबसाइटों को छोड़ दें तो लगभग सभी वेबसाइट काफी लंबे समय से अपडेट नहीं हो रही हैं, खासकर हिन्दी की तो बिल्कुल नहीं।
- सभी साइट को हिन्दी में भी किया जाए
नई दिल्ली। नई पीढ़ी-नई सोच संस्था के संस्थापक व अध्यक्ष श्री साबिर हुसैन ने श्री अरविंद केजरीवाल] मुख्यमंत्री दिल्ली सरकार को पत्र लिखकर सरकार की सभी वेबसाइटों को नियमति अपडेट करने की मांग की है और साथ यह भी मांग की है कि व सभी साइट को हिन्दी में भी किया जाए क्योंकि दिल्ली की अधिकतर जनता हिन्दी में काम-काज करती है इसलिए सरकार की सभी योजनाओं का फायदा सभी तक पहुंचे। मौजूदा समय में दिल्ली सरकार की कुछ वेबसाइटों को छोड़ दें तो लगभग सभी वेबसाइट काफी लंबे समय से अपडेट नहीं हो रही हैं, खासकर हिन्दी की तो बिल्कुल नहीं।
22.8.16
कविता- भारतीय भ्रष्टाचार की घड़ी
एक आदमी ने किया धरती से प्रस्थान,
और जा पहुंचा यमराज के कक्ष में,
घड़ियाँ ही घड़ियाँ देखकर रह गया हैरानl
हर देश की अलग घडी थी,
कोई छोटी कोई बड़ी थीl
कोई तेज थी कोई मंद,
कोई दौड़ रही थी कोई बंदl
और जा पहुंचा यमराज के कक्ष में,
घड़ियाँ ही घड़ियाँ देखकर रह गया हैरानl
हर देश की अलग घडी थी,
कोई छोटी कोई बड़ी थीl
कोई तेज थी कोई मंद,
कोई दौड़ रही थी कोई बंदl
अच्छा होना भी बुरी बात है इस दुनिया में...
गाजियाबाद। साहित्यिक व सांस्कृतिक सरोकारों को समर्पित नवगठित संस्था ‘श्रृंखला’ की ओर से पटेल नगर द्वितीय में सुमधुर काव्य संध्या आयोजित की गई। इसमें नामचीन कवियों ने अपनी कविताओं से लोगों को भाव विभोर कर दिया। करीब चार घंटे तक चली इस काव्य संध्या की अध्यक्षता ओज के सुप्रसिद्ध कवि कृष्ण मित्र ने की।
70 साल का लोकतंत्र दलितों-मुसलमानों के जनसंहारों का इतिहास
नांदेड 22 अगस्त 2016। दलितों और मुसलमानों पर हो रहे हिंसा के खिलाफ रिहाई मंच द्वारा आयोजित इस रैली में आया भारी जनसमुदाय यह साबित करता है कि देश सचमुच बदल रहा है। सड़क से उठी यह ऐसी बदलाव की आंधी साबित होने जा रही है जिसमें सत्ता और संसद में बैठे लोग जो बिकाऊ मीडिया के जरिए देश के बदलने की अफवाह उड़ा रहे हैं वे सभी उड़ने जा रहे हैं। देश में बदलाव के दो माडल चल रहे हैं। संसद के संरक्षण में देश के दलितों और मुसलमानों पर हो रहे हमले को बदलाव बताया जा रहा है। जो बदलाव का सरकारी माडॅल है। तो वहीं सड़कों पर दलितों और मुस्लिम समाज के बीज ऐतिहासिक एकता भी बनती जा रही है। सड़क से उठने वाला बदलाव का यह माॅडल संसद के बदलाव के माॅडल पर भारी पड़ रहा है। इसीलिए सरकारें और उसके जबी संगठनों ने इस रैली को विफल करने की कोशिशें अंतिम समय तक कीं। लेकिन ऐसे षडयंत्र जनता की एकता के सामने नहीं टिकते। ये बातें रहिाई मंच के राष्ट्रीय प्रवक्ता शाहनवाज आलम ने पीर बुरहान मैदान में आयोजित रैली में कहीं।
Copy of the PIL for Police Reform
IN THE SUPREME COURT OF INDIA
CIVIL ORIGINAL JURISDICTION
WRIT PETITION (C) NO 638 OF 2016
IN THE MATTER OF:
Ashwini Kumar Upadhyay
…Petitioner-in-Person
Verses
Union of India & Another
...Respondents
PAPER BOOK
[FOR INDEX KINDLY SEE INSIDE]
PETITIONER-IN-PERSON
(Ashwini Kumar Upadhyay)
Advocate En. No-D/1119/2012
15, New Lawyers Chambers
Supreme Court, New Delhi-01
05.08.2016 G-284, Govindpuram, Ghaziabad
New Delhi #08800278866, 9911966667
RECORD OF PROCEEDINGS
Sr.No. Date of Record of Proceedings Pages
1.
2.
3.
4.
5.
6.
7.
8.
9.
10.
11.
12.
INDEX
S.No. PARTICULARS PAGES
1. Listing Performa A-A1
2. Synopsis and List of Dates B-H
3. Writ Petition with Affidavit 1-66
4. Annexure P-1 67-179
Model Police Act-2006
5. Application for Appear and Argue 180-181
as Petitioner-in-Person
CIVIL ORIGINAL JURISDICTION
WRIT PETITION (C) NO 638 OF 2016
IN THE MATTER OF:
Ashwini Kumar Upadhyay
…Petitioner-in-Person
Verses
Union of India & Another
...Respondents
PAPER BOOK
[FOR INDEX KINDLY SEE INSIDE]
PETITIONER-IN-PERSON
(Ashwini Kumar Upadhyay)
Advocate En. No-D/1119/2012
15, New Lawyers Chambers
Supreme Court, New Delhi-01
05.08.2016 G-284, Govindpuram, Ghaziabad
New Delhi #08800278866, 9911966667
RECORD OF PROCEEDINGS
Sr.No. Date of Record of Proceedings Pages
1.
2.
3.
4.
5.
6.
7.
8.
9.
10.
11.
12.
INDEX
S.No. PARTICULARS PAGES
1. Listing Performa A-A1
2. Synopsis and List of Dates B-H
3. Writ Petition with Affidavit 1-66
4. Annexure P-1 67-179
Model Police Act-2006
5. Application for Appear and Argue 180-181
as Petitioner-in-Person
16.8.16
आजाद कौन…?
अजय जैन ' विकल्प '
देश ने आज फ़िर स्वाधीनता दिवस का जश्न मनाया है...लोगों ने दोपहर तक याद रखा और देर शाम तक भूल जाएँगे..यानि मात्र 1 दिन की वो आजादी ,जिसके लिए हजारों क्रांतिकारी और लाखों शहीदों को याद करना ही बहुत नहीं है..हमें तो उनके प्रति 1 दिन की कृतज्ञता जाहिर करनी थी सो कर दी..पर यह क्या ? केवल दिन भर ऐसे देशभक्त बनकर कहीं हम कृतघ्नता तो व्यक्त नहीं कर रहे..१५ अगस्त यानि 'आजादी का महापर्व '..पर आजाद कौन..नेता ,देश या जनता मतलब जन..वह जन जिनकी वजह से ही देश है..
देश ने आज फ़िर स्वाधीनता दिवस का जश्न मनाया है...लोगों ने दोपहर तक याद रखा और देर शाम तक भूल जाएँगे..यानि मात्र 1 दिन की वो आजादी ,जिसके लिए हजारों क्रांतिकारी और लाखों शहीदों को याद करना ही बहुत नहीं है..हमें तो उनके प्रति 1 दिन की कृतज्ञता जाहिर करनी थी सो कर दी..पर यह क्या ? केवल दिन भर ऐसे देशभक्त बनकर कहीं हम कृतघ्नता तो व्यक्त नहीं कर रहे..१५ अगस्त यानि 'आजादी का महापर्व '..पर आजाद कौन..नेता ,देश या जनता मतलब जन..वह जन जिनकी वजह से ही देश है..
विश्वास की रक्षा ही रक्षाबंधन
-बरुण कुमार सिंह
भारतीय परम्परा में विश्वास का बंधन ही मूल है। रक्षाबंधन इसी विश्वास का बंधन है। यह पर्व मात्र रक्षा-सूत्र के रूप में राखी बांधकर रक्षा का वचन ही नहीं देता, वरन प्रेम, समर्पण, निष्ठा व संकल्प के जरिए हृदयों को बांधने का भी वचन देता है। पहले आपत्ति आने पर अपनी रक्षा के लिए अथवा किसी की आयु और आरोग्य की वृद्धि के लिए किसी को भी रक्षा-सूत्र (राखी) बांधा या भेजा जाता था। सूत्र अविच्छिन्नता का प्रतीक है, क्योंकि सूत्र बिखरे हुए मोतियों को अपने में पिरोकर एक माला के रूप में एकाकार बनाता है। माला के सूत्र की तरह रक्षा-सूत्र भी व्यक्ति से, समाज से और अपने कर्तव्यों से जोड़ता है।
भारतीय परम्परा में विश्वास का बंधन ही मूल है। रक्षाबंधन इसी विश्वास का बंधन है। यह पर्व मात्र रक्षा-सूत्र के रूप में राखी बांधकर रक्षा का वचन ही नहीं देता, वरन प्रेम, समर्पण, निष्ठा व संकल्प के जरिए हृदयों को बांधने का भी वचन देता है। पहले आपत्ति आने पर अपनी रक्षा के लिए अथवा किसी की आयु और आरोग्य की वृद्धि के लिए किसी को भी रक्षा-सूत्र (राखी) बांधा या भेजा जाता था। सूत्र अविच्छिन्नता का प्रतीक है, क्योंकि सूत्र बिखरे हुए मोतियों को अपने में पिरोकर एक माला के रूप में एकाकार बनाता है। माला के सूत्र की तरह रक्षा-सूत्र भी व्यक्ति से, समाज से और अपने कर्तव्यों से जोड़ता है।
पत्रकारपुरम कॉलोनी चुप्पेपुर में पत्रकारों ने फहराया तिरंगा
वाराणसी, 15 अगस्त 2016 । पत्रकारपुरम कॉलोनी चुप्पेपुर में स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर पत्रकारों व उनके परिजनों ने झंडोत्तोलन किया और स्वतंत्रता दिवस का जश्न मनाया। पत्रकारपुरम विकास समिति के तत्वावधान में आयोजित स्वतंत्रता दिवस कार्यक्रम में झंडोत्तोलन के अवसर पर अध्यक्ष डॉ राजकुमार सिंह ने कहा कि स्वतंत्रता तभी सार्थक होगी जब हम अपनी नैतिकता का ध्यान रखें ।
आज़ादी की एक भोर ऐसी भी होगी...
शरीर तो आज़ाद हो गये थे 1947 में
सोच आज भी इंतज़ार में हैं रिहाई के
विकार के सारे बादल छंट जायेंगे इक दिन
हर एक कोने में धूप छम से बिखर जायेगी
सारे भेद मिटा उस दिन हम इंसान बन जायेंगे
उस दिन सभी की थाली में रोटी होगी
किसी की भी आँखें नम ना होगी
सोच आज भी इंतज़ार में हैं रिहाई के
विकार के सारे बादल छंट जायेंगे इक दिन
हर एक कोने में धूप छम से बिखर जायेगी
सारे भेद मिटा उस दिन हम इंसान बन जायेंगे
उस दिन सभी की थाली में रोटी होगी
किसी की भी आँखें नम ना होगी
15.8.16
भारत की वर्तमान स्थिति (कविता)
मिली हमें कैसी आज़ादी दुःखों की भरमार है,
जिए तो कैसे जियें जीना यहाँ दुश्वार है
जब भारत था सोने की चिड़िया लूटा था अंग्रेजो ने
चन्द रूपये की खातिर किया आज देश खोखला कुछ रिश्वत खोरी कीड़ों ने
शायद अब ना रहा इन्हें वतन से प्यार है
मिली हमें कैसी आज़ादी दुःखों की भरमार है....
जिए तो कैसे जियें जीना यहाँ दुश्वार है
जब भारत था सोने की चिड़िया लूटा था अंग्रेजो ने
चन्द रूपये की खातिर किया आज देश खोखला कुछ रिश्वत खोरी कीड़ों ने
शायद अब ना रहा इन्हें वतन से प्यार है
मिली हमें कैसी आज़ादी दुःखों की भरमार है....
महंत ज्ञानदास के अपराधिक गतिविधियों की जांच प्रधानमंत्री कार्यालय ने मुख्य सचिव उत्तर प्रदेश सरकार को सौंपी
अयोध्या। हनुमानगढ़ी के बहुचर्चित सागरिया पट्टी के महंत ज्ञानदास के आवास से विगत आठ वर्षों से लापता गुमशुदा मुख्तार मनोज श्रीवास्तव एवं उनके आपराधिक गतिविधियों की जांच प्रधानमंत्री कार्यालय के सेक्शन आफिसर समीर कुमार ने उत्तर प्रदेश सरकार के मुख्य सचिव से तुरन्त एक्शन लेकर जांच करने को कहा तथा पीड़ित को भी जांच के सम्बन्ध में अवगत कराने को कहा गया है पीड़ित किसान यूनियन के अयोध्या नगर अध्यक्ष संकटा प्रसाद मिश्र पुत्र त्रिवेणी प्रसाद मिश्र बंधा तिराहा रामघाट निकट रामप्रस्थ होटल, थाना कोतवाली अयोध्या के रहने वाले ने शिकायत प्रधानमंत्री कार्यालय को भेजी थी जिसमें यह जांच के आदेश दिये गये हैं।
पाकिस्तान के स्वतंत्रता दिवस पर भगत सिंह
भूपेंद्र प्रतिबद्ध
यह किसी से छिपा नहीं है कि शहीद-ए-आजम भगत सिंह का जन्म फैसलाबाद में हुआ था, जो अब पाकिस्तान में है। उस पाकिस्तान में जहां के हुक्मरानों और दौलतमंदों ने इस महान इंकलाबी को पूरी तरह बिसार रखा है। साथ ही पूरे मुल्क में एक ऐसा माहौल बना रखा है कि आम मेहनतकश अवाम ऐसे आजादी के दीवाने को न याद करने लगे जिसने शोषक-उत्पीड़क व्यवस्था के बुनियादी उन्मूलन और मार्क्सवादी-लेनिनवादी विचार पर आधारित समाजवादी-साम्यवादी व्यवस्था की स्थापना के लिए संघर्ष किया और भरपूर लिखा। यहां तक कि आधिकारिक तौर पर यह तक नहीं दर्ज है कि भगत सिंह की जन्मस्थली इसी मुल्क में है जो अविभाज्य भारत का अंग रही है।
यह किसी से छिपा नहीं है कि शहीद-ए-आजम भगत सिंह का जन्म फैसलाबाद में हुआ था, जो अब पाकिस्तान में है। उस पाकिस्तान में जहां के हुक्मरानों और दौलतमंदों ने इस महान इंकलाबी को पूरी तरह बिसार रखा है। साथ ही पूरे मुल्क में एक ऐसा माहौल बना रखा है कि आम मेहनतकश अवाम ऐसे आजादी के दीवाने को न याद करने लगे जिसने शोषक-उत्पीड़क व्यवस्था के बुनियादी उन्मूलन और मार्क्सवादी-लेनिनवादी विचार पर आधारित समाजवादी-साम्यवादी व्यवस्था की स्थापना के लिए संघर्ष किया और भरपूर लिखा। यहां तक कि आधिकारिक तौर पर यह तक नहीं दर्ज है कि भगत सिंह की जन्मस्थली इसी मुल्क में है जो अविभाज्य भारत का अंग रही है।
यूपी में दलित वोटों का सियासी दंगल
अजय कुमार, लखनऊ
उत्तर प्रदेश में दलित-दलित का खेल खूब चल रहा है। प्रदेश में चौतरफा दलितों पर अत्याचार का रोना-रोया जा रहा है। हकीकत पर पर्दा डालकर हवा में तीर चलाये जा रहे हैं। दलितों का मसीहा बनने की होड़ में कई दल और नेता ताल ठोंक रहे हैं। किसको कितना फायदा होगा यह तो कोई नहीं जानता है,लेकिन ऐसा लगता है कि बसपा को दलित वोटों में सेंधमारी से बड़ा नुकसान हो सकता है। 2014 के आम चुनाव में दलितों का जो रूझान बीजेपी की तरफ देखा गया था, उसका सारा श्रेय मोदी को दिया गया था। लोकसभा चुनाव में बसपा का खाता भी नहीं खुल पाया था। इसके बाद से अपने आप को दलित वोटों का लंबरदार समझने वाली मायावती बीजेपी और मोदी के ऊपर कुछ ज्यादा ही हमलावर हो गई हैं। देश के किसी भी कोने से दलितों के ऊपर अत्याचार की कोई घटना प्रकाश में आती है तो मायावती उसे तुरंत हाईजेक कर लेती है। चाहें गुजरात हो या बिहार अथवा देश का अन्य कोई हिस्सा, जहां कहीं से भी दलितों पर अत्याचार की खबर आती हैं, माया वहां पहुंच जाती हैं। राज्यसभा में किसी भी विषय पर चर्चा चल रही हो माया उसको दलितों पर अत्याचार की तरफ मोड़ देती हैं। माया ही नहीं कांग्रेस के रणनीतिकार प्रशांत कुमार,जदयू नेता नीतिश कुमार,आम आदमी पार्टी के अरविंद केजरीवाल,लालू यादव आदि नेताओं की भी नजरें दलित वोटरों पर लगी रही हैं। बीएसपी सुप्रीमो मायावती प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को लगातार ललकार रही हैं कि वह दलितों पर अत्याचार के मुद्दे पर सहानुभूति जताने की जगह दलितों पर अत्याचार करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करें।
उत्तर प्रदेश में दलित-दलित का खेल खूब चल रहा है। प्रदेश में चौतरफा दलितों पर अत्याचार का रोना-रोया जा रहा है। हकीकत पर पर्दा डालकर हवा में तीर चलाये जा रहे हैं। दलितों का मसीहा बनने की होड़ में कई दल और नेता ताल ठोंक रहे हैं। किसको कितना फायदा होगा यह तो कोई नहीं जानता है,लेकिन ऐसा लगता है कि बसपा को दलित वोटों में सेंधमारी से बड़ा नुकसान हो सकता है। 2014 के आम चुनाव में दलितों का जो रूझान बीजेपी की तरफ देखा गया था, उसका सारा श्रेय मोदी को दिया गया था। लोकसभा चुनाव में बसपा का खाता भी नहीं खुल पाया था। इसके बाद से अपने आप को दलित वोटों का लंबरदार समझने वाली मायावती बीजेपी और मोदी के ऊपर कुछ ज्यादा ही हमलावर हो गई हैं। देश के किसी भी कोने से दलितों के ऊपर अत्याचार की कोई घटना प्रकाश में आती है तो मायावती उसे तुरंत हाईजेक कर लेती है। चाहें गुजरात हो या बिहार अथवा देश का अन्य कोई हिस्सा, जहां कहीं से भी दलितों पर अत्याचार की खबर आती हैं, माया वहां पहुंच जाती हैं। राज्यसभा में किसी भी विषय पर चर्चा चल रही हो माया उसको दलितों पर अत्याचार की तरफ मोड़ देती हैं। माया ही नहीं कांग्रेस के रणनीतिकार प्रशांत कुमार,जदयू नेता नीतिश कुमार,आम आदमी पार्टी के अरविंद केजरीवाल,लालू यादव आदि नेताओं की भी नजरें दलित वोटरों पर लगी रही हैं। बीएसपी सुप्रीमो मायावती प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को लगातार ललकार रही हैं कि वह दलितों पर अत्याचार के मुद्दे पर सहानुभूति जताने की जगह दलितों पर अत्याचार करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करें।
कूड़ा साफ करने वाली बुजुर्ग महिला ने दी तिरंगे को सलामी
मुंबई : देश के ६९ वे स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर ’मिशन पत्रकारिता’ ने एक मिसाल कायम करते हुए १५ अगस्त को एक अनोखे तरीके से ध्वजारोहण समारोह मनाया। प्रधानमंत्री के स्वच्छ भारत अभियान को साथ देते हुए मिशन पत्रकारिता नामक संस्था ने मुंबई मनपा अंतर्गत गली-गली कूचे में लोगों के घरों का कचरा साफ करनेवाली ६१ वर्षीय बुजूर्ग महिला को सम्मान देने के लिए उसके हाथों देश का तिरंगा लहराया गया। तिरंगा लहराते हुए उस बुजुर्ग महिला की भीगी आखों को देख कर सभी का दिल भर आया।
यूपी के एक थाने में उल्टा ध्वज फहरा, सोशल मीडिया पर तस्वीर वायरल
रामजी मिश्र 'मित्र'
लखीमपुर : सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा उत्तर प्रदेश के लखीमपुर जिले में पड़ने वाले मोहम्मदी थाने में ध्वज उल्टा फहराने का मामला। लोग इसे सोशल मीडिया पर वायरल करते हुए राष्ट्रध्वज के अपमान की बात कह रहे हैं।
लखीमपुर : सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा उत्तर प्रदेश के लखीमपुर जिले में पड़ने वाले मोहम्मदी थाने में ध्वज उल्टा फहराने का मामला। लोग इसे सोशल मीडिया पर वायरल करते हुए राष्ट्रध्वज के अपमान की बात कह रहे हैं।
13.8.16
एक रिहाई वारंट पर दो बंदी की रिहाई
हाईकोर्ट से पिता का रिहाई वारंट जारी हुआ और पिता के साथ बेटे को भी रिहा किया, लापरवाही छिपाने मीडिया से बचते रहे सहायक जेलर, दो सप्ताह बाद नींद से जागा जेल प्रबंधन
मनेंद्रगढ़। यहां के उपजेल में सहायक जेलर की लापरवाही से दहेज व हत्या के प्रयास के मामले में जेल में बंद बंदी को रिहा कर दिया गया। हुआ यू कि गुरुवार सुबह यहां एक कैदी के गलत तरीके से छोड़े जाने का मामला सामने आया है। दरअसल मनेंद्रगढ़ उप जेल में दहेज को लेकर प्रताड़ित करने व हत्या के प्रयास मामले की धारा 307 में पिता — पुत्र जेल में बंद थे। इस बीच 26 जुलाई को पिता का रिहाई वारंट जारी हुआ और सहायक जेलर सतीश चंद भार्गव की लापरवाही से पिता व पुत्र दोनों को रिहा कर दिया गया। इसके बाद जब 6 अगस्त को पुत्र की कोर्ट में पेशी के कागजात जेल प्रबंधन के पास पहुंचे तो जेल प्रबंधन ने कोर्ट को यह लिखित में दिया कि उसके रिहाई वारंट पर रिहा कर दिया गया है। इसके बाद कोर्ट ने हाईकोर्ट द्वारा भेजी गई रिहाई की कापी को भेजते हुए जेल प्रबंधन को यह स्पष्ट किया कि रिहाई आदेश पिता के नाम से जारी हुआ था न कि पुत्र के नाम से। फिर क्या था सहायक जेलर की नींद उड़ी और आरोपी पुत्र को ढुंढ़ने जेल के स्टाफ के साथ निकल पड़े।
मनेंद्रगढ़। यहां के उपजेल में सहायक जेलर की लापरवाही से दहेज व हत्या के प्रयास के मामले में जेल में बंद बंदी को रिहा कर दिया गया। हुआ यू कि गुरुवार सुबह यहां एक कैदी के गलत तरीके से छोड़े जाने का मामला सामने आया है। दरअसल मनेंद्रगढ़ उप जेल में दहेज को लेकर प्रताड़ित करने व हत्या के प्रयास मामले की धारा 307 में पिता — पुत्र जेल में बंद थे। इस बीच 26 जुलाई को पिता का रिहाई वारंट जारी हुआ और सहायक जेलर सतीश चंद भार्गव की लापरवाही से पिता व पुत्र दोनों को रिहा कर दिया गया। इसके बाद जब 6 अगस्त को पुत्र की कोर्ट में पेशी के कागजात जेल प्रबंधन के पास पहुंचे तो जेल प्रबंधन ने कोर्ट को यह लिखित में दिया कि उसके रिहाई वारंट पर रिहा कर दिया गया है। इसके बाद कोर्ट ने हाईकोर्ट द्वारा भेजी गई रिहाई की कापी को भेजते हुए जेल प्रबंधन को यह स्पष्ट किया कि रिहाई आदेश पिता के नाम से जारी हुआ था न कि पुत्र के नाम से। फिर क्या था सहायक जेलर की नींद उड़ी और आरोपी पुत्र को ढुंढ़ने जेल के स्टाफ के साथ निकल पड़े।
पुस्तक लेखन में मौलिक और नया सोचें
पत्रकारिता विश्वविद्यालय में 'पुस्तक लेखन' विषय पर व्याख्यान एवं जनसंचार विभाग में पुस्तकालय का शुभारंभ
भोपाल । परीक्षा कक्ष में उत्तरपुस्तिका में एक वाक्य लिखना आसान है, लेकिन किताब में एक वाक्य बनाना बहुत कठिन काम है। वाक्य ऐसा बनाना चाहिए कि उसे बार-बार पढ़ा जाए। ऐसा वाक्य बनाने के लिए मौलिक और नया सोचने की आवश्यकता है। क्योंकि, समाज में उसी लेखक का सम्मान होता है, जो अपने पूर्वजों के लेखन को अपनी नई सोच से आगे बढ़ाता है। यह विचार प्रख्यात साहित्यकार विजय बहादुर सिंह ने व्यक्त किए। पुस्तकालय दिवस के अवसर पर माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय की ओर से 'पुस्तक लेखन' विषय पर आयोजित संगोष्ठी में श्री सिंह बतौर मुख्य अतिथि उपस्थित थे। इस अवसर पर जनसंचार विभाग में 'डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम पुस्तकालय' का शुभारम्भ भी किया गया। कार्यक्रम की विशिष्ट अतिथि प्रख्यात उपन्यासकार इंदिरा दांगी थीं और अध्यक्षता कुलपति प्रो. बृज किशोर कुठियाला ने की।
भोपाल । परीक्षा कक्ष में उत्तरपुस्तिका में एक वाक्य लिखना आसान है, लेकिन किताब में एक वाक्य बनाना बहुत कठिन काम है। वाक्य ऐसा बनाना चाहिए कि उसे बार-बार पढ़ा जाए। ऐसा वाक्य बनाने के लिए मौलिक और नया सोचने की आवश्यकता है। क्योंकि, समाज में उसी लेखक का सम्मान होता है, जो अपने पूर्वजों के लेखन को अपनी नई सोच से आगे बढ़ाता है। यह विचार प्रख्यात साहित्यकार विजय बहादुर सिंह ने व्यक्त किए। पुस्तकालय दिवस के अवसर पर माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय की ओर से 'पुस्तक लेखन' विषय पर आयोजित संगोष्ठी में श्री सिंह बतौर मुख्य अतिथि उपस्थित थे। इस अवसर पर जनसंचार विभाग में 'डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम पुस्तकालय' का शुभारम्भ भी किया गया। कार्यक्रम की विशिष्ट अतिथि प्रख्यात उपन्यासकार इंदिरा दांगी थीं और अध्यक्षता कुलपति प्रो. बृज किशोर कुठियाला ने की।
चोरी के शक के नाम पर लखीमपुर खीरी के दलित युवक अवनीश की हत्या के बाद रिहाई मंच ने पीड़ित परिवार से की मुलाक़ात
लखीमपुर खीरी, 13 अगस्त 2016। रिहाई मंच, लखीमपुर खीरी ने गोला गोकरननाथ
में भूतनाथ के मेले में 9 अगस्त को इन्सानियत को शर्मसार कर देने वाली
जघन्य घटना जिसमें एक दलित युवक को चोरी के शक के नाम पर हैवानियत की
सारी हदें तोड़कर कुछ दबंगों ने अवनीश उम्र 17 साल निवासी ग्राम नकेडा को
जान से मार डाला और उसके एक साथी प्रसून उम्र 13 साल को भी मार मार कर
घायल कर दिया के परिजनों से मुलाक़ात की।
कुकरमुत्ते की तरह निकलने वाले समाचार पत्रों पर कब लगेगा अंकुश
आजादी के पहले जो समाचार पत्र निकलते थे और उनके सम्पादकगण राष्ट्रभक्ति की भावना को लेकर समर्पित थे ये पत्रकारों का अध्ययन और लेखनी लोगों में जोश भर देती थी, अनेको नाम गिनवाये जा सकते हैं जिसमें गनेशशंकर विद्यार्थी, महात्मा गांधी, सरदार वल्लभ भाई पटेल सहित अनेक नाम है।
सिवनी। देश को आजादी मिलने के बाद भी कुछ दिनों तक यह सिलसिला जारी रहा लेकिन समय ने करवट लिया और पत्रकारिता ने सेवा के स्थान पर उद्योग का स्वरूप ले लिया और पत्रकारिता की आड़ में कोई खाई की फैक्ट्री डाल कर व्यवसाय करने लगे तो कोई भूमाफिया बनकर अपनी कलम को उदरपूर्ति का साधन बना बैठे।
सिवनी। देश को आजादी मिलने के बाद भी कुछ दिनों तक यह सिलसिला जारी रहा लेकिन समय ने करवट लिया और पत्रकारिता ने सेवा के स्थान पर उद्योग का स्वरूप ले लिया और पत्रकारिता की आड़ में कोई खाई की फैक्ट्री डाल कर व्यवसाय करने लगे तो कोई भूमाफिया बनकर अपनी कलम को उदरपूर्ति का साधन बना बैठे।
Charter to Parliamentarians : Save Journalism for Tomorrow
This is humble plea cum charter made by the Delhi Union of Journalists executive on the eve of 70th year of our Independence. It is a plea to save journalism and the journalists for tomorrow before it is too late.
Sir /Madam,
In this seventieth year of India’s freedom, the Delhi Union of Journalists(DUJ) expresses its deep concern at the growing attacks on journalists, most of which constitute attacks on freedom of the press. Today media persons in several parts of the country have been targeted for their work; some have been killed; others have been arbitrarily arrested and some event put behind bars; yet others face intimidatory tactics such as defamation cases against them deliberately filed in distant courts. We note that these attacks have increased in the past two years and virtually cut across states.
Save Journalism for Tomorrow
Sir /Madam,
In this seventieth year of India’s freedom, the Delhi Union of Journalists(DUJ) expresses its deep concern at the growing attacks on journalists, most of which constitute attacks on freedom of the press. Today media persons in several parts of the country have been targeted for their work; some have been killed; others have been arbitrarily arrested and some event put behind bars; yet others face intimidatory tactics such as defamation cases against them deliberately filed in distant courts. We note that these attacks have increased in the past two years and virtually cut across states.
अवैध खनन : सीबीआई के आने से कई दिग्गज नेता व मीडिया के मठाधीश भी आ सकते है घेरे में
रजिस्टर में कई मीडिया कर्मियों के नाम अवैध खनन के हिस्सेदारी के है सबूत
बलरामपुर। अवैध खनन को लेकर जहां कोर्ट ने कई जनपदों में सीबीआई द्वारा छापेमारी कर साक्ष्य को ढूढ़ने में लगी है वहीं दूसरी तरफ बलरामपुर जनपद में सीबीआई की गाज गिरने की प्रबल उम्मीद सूत्रों द्वारा बतायी जा रही है। वहीं खनन विभाग व राजनेताओं की मिलीभगत से अवैध खनन करने का जो सिलसिला जारी रहा, उसमें मीडिया भी अछूती नहीं। वहीं सूत्रों की मानें तो कुछ मीडिया मठाधीश और राजनेताओं के रजिस्टर भी बनाये गये थे। जो तयशुदा धनराशि हर महीने पहुंचायी जाती थी। उसी रजिस्टर पर पट्टे संबंधित ब्यौरा भी दर्ज किये जाते थे, अगर सीबीआई ने संबंधित कागजात के साथ वो रजिस्टर पर अपने कब्जे में लिया तो कई नेताओं व मीडिया दिग्गजों के नाम भी सामने आ सकते है।
बलरामपुर। अवैध खनन को लेकर जहां कोर्ट ने कई जनपदों में सीबीआई द्वारा छापेमारी कर साक्ष्य को ढूढ़ने में लगी है वहीं दूसरी तरफ बलरामपुर जनपद में सीबीआई की गाज गिरने की प्रबल उम्मीद सूत्रों द्वारा बतायी जा रही है। वहीं खनन विभाग व राजनेताओं की मिलीभगत से अवैध खनन करने का जो सिलसिला जारी रहा, उसमें मीडिया भी अछूती नहीं। वहीं सूत्रों की मानें तो कुछ मीडिया मठाधीश और राजनेताओं के रजिस्टर भी बनाये गये थे। जो तयशुदा धनराशि हर महीने पहुंचायी जाती थी। उसी रजिस्टर पर पट्टे संबंधित ब्यौरा भी दर्ज किये जाते थे, अगर सीबीआई ने संबंधित कागजात के साथ वो रजिस्टर पर अपने कब्जे में लिया तो कई नेताओं व मीडिया दिग्गजों के नाम भी सामने आ सकते है।
पाकिस्तान के चार टुकड़े हो सकते हैं
डा. राधेश्याम द्विवेदी
हर प्रांत में लग रहे हैं आजादी के नारे:-पाकिस्तान में पख्तून, बलूच, सिंध, बाल्टिस्तान, गिलगिट, मुजफ्फराबाद से आजादी की मांगें उठती हैं, सात स्वतंत्रता आंदोलन हैं जो आपसे अलग होना चाहते हैं। विफल राष्ट्र के रूप में दुनिया भर में कुख्यात पाकिस्तान के तकरीबन हर हिस्से में आजादी की मांग उठने लगी है। आतंकी हमले हो रहे हैं और चुनी हुई सरकार सेना के सामने लाचार नजर आने लगी है। पाक अधिकृत कश्मीर में कश्मीरियों पर पाकिस्तान कैसे जुल्म ढाता है, ये सारी दुनिया जानती है, लेकिन सच ये है कि पाकिस्तान के पंजाब प्रांत को छोड़ दें तो उसके लगभग सभी सूबों में चल रहा है आजादी के लिए संघर्ष। विफल राष्ट्र के रूप में दुनिया भर में कुख्यात पाकिस्तान के तकरीबन हर हिस्से में आजादी की मांग उठने लगी है। आतंकी हमले हो रहे हैं और चुनी हुई सरकार सेना के सामने लाचार नजर आने लगी है।
हर प्रांत में लग रहे हैं आजादी के नारे:-पाकिस्तान में पख्तून, बलूच, सिंध, बाल्टिस्तान, गिलगिट, मुजफ्फराबाद से आजादी की मांगें उठती हैं, सात स्वतंत्रता आंदोलन हैं जो आपसे अलग होना चाहते हैं। विफल राष्ट्र के रूप में दुनिया भर में कुख्यात पाकिस्तान के तकरीबन हर हिस्से में आजादी की मांग उठने लगी है। आतंकी हमले हो रहे हैं और चुनी हुई सरकार सेना के सामने लाचार नजर आने लगी है। पाक अधिकृत कश्मीर में कश्मीरियों पर पाकिस्तान कैसे जुल्म ढाता है, ये सारी दुनिया जानती है, लेकिन सच ये है कि पाकिस्तान के पंजाब प्रांत को छोड़ दें तो उसके लगभग सभी सूबों में चल रहा है आजादी के लिए संघर्ष। विफल राष्ट्र के रूप में दुनिया भर में कुख्यात पाकिस्तान के तकरीबन हर हिस्से में आजादी की मांग उठने लगी है। आतंकी हमले हो रहे हैं और चुनी हुई सरकार सेना के सामने लाचार नजर आने लगी है।
10.8.16
MP सरकार ने देश भर के फोटोग्राफरो को ठगा!
सिंहस्थ-2016' फोटो प्रतियोगिता मध्यप्रदेश जनसम्पर्क विभाग और 'माध्यम' द्वारा पहले से फिक्स थी. मध्यप्रदेश सरकार के फोटो पुरस्कार पर छाया फिक्सिंग का साया... मचा बवाल... सूत्रों के अनुसार किसको मिलेगा सम्मान, यह तय था प्रोग्राम. जनसम्पर्क अफसर और चयनकर्ता पैनल आरोपों के घेरे में. चर्चा गर्म यह तो सरकार की मर्जी का मामला है?
हिन्दुस्तान अखबार के देहरादून कार्यालय में सम्पादक की गुण्डागर्दी!
महोदय
हिन्दुस्तान अखबार के देहरादून कार्यालय में आये दिन सम्पादक महोदय की अभद्रता, दादागिरी एवं गुण्डागर्दी चल रही है। सम्पादक द्वारा आफिस में डेस्कों में कार्य कर रहे लोगों की ढूंढ-ढूंढ कर गलती निकाली जा रही है एवं एक सामान्य सी गलती होने में स्कूल में छोटे बच्चों के जैसे दण्ड देकर बेज्जत किया जा रहा है। उनका मोबाइल छीन लिया जाता है एंव उनको उनकी सीट से हटा कर पूरे दिन ड्यूटी के दौरान एक मेज पर बैठा दिया जाता है। इस प्रकार उनको शर्मिन्दा कर उनका मनोबल गिरा दिया जा रहा है प्रतिरोध करने पर नौकरी से निकाल देने की धमकी दी जाती है।
हिन्दुस्तान अखबार के देहरादून कार्यालय में आये दिन सम्पादक महोदय की अभद्रता, दादागिरी एवं गुण्डागर्दी चल रही है। सम्पादक द्वारा आफिस में डेस्कों में कार्य कर रहे लोगों की ढूंढ-ढूंढ कर गलती निकाली जा रही है एवं एक सामान्य सी गलती होने में स्कूल में छोटे बच्चों के जैसे दण्ड देकर बेज्जत किया जा रहा है। उनका मोबाइल छीन लिया जाता है एंव उनको उनकी सीट से हटा कर पूरे दिन ड्यूटी के दौरान एक मेज पर बैठा दिया जाता है। इस प्रकार उनको शर्मिन्दा कर उनका मनोबल गिरा दिया जा रहा है प्रतिरोध करने पर नौकरी से निकाल देने की धमकी दी जाती है।
9.8.16
क्या मीडिया जगत विज्ञापन की बेड़ियों से कभी आजाद हो पायेगा?
कई साल हो गये मुझे पत्रकारिता जगत का हिस्सा बने। अवार्ड्स मिले, एक्सक्लूसिव इंटरव्यूज किये, स्पेशल एडिशन निकाले, लेकिन ये सब उस समय व्यर्थ हो जाते हैं जब खबर के आड़े विज्ञापन आ जाता है। खबर कितनी ही बड़ी हो विज्ञापनदाता से जुड़ी हो तो उसमें बदलाव होकर रहता है। यही नहीं कुछ संस्थान तो उस पत्रकार को ही निकाल देती है जो ऐसे किसी केस में हाथ डाल देता है जिससे विज्ञापन का नुकसान हो जाये। बहरहाल इतने सालों में मैं यह नहीं समझ पाया कि विज्ञापन मिलते क्यों हैं? इसके जरिये विज्ञापनदाता अपनी पब्लिसिटी करता है? सर्कुलेशन बढ़ाता है? या फिर चाहता है कि उसके कारनामों से मीडिया नजरे हटा ले?
दलित और गाय की चिंता पर उलझी भाजपा
प्रभुनाथ शुक्ल
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गोरक्षा पर मन के बजाय दिल की बात की है। उन्होंने दलित उत्पीड़न और गोरक्षा पर अब तक का सबसे बड़ा बयान दिया। गोरक्षा से जुड़ी संस्थाओं और हिमायतियों को इस तरह की बात से गहरा जख्म हुआ। जिसकी शायद कभी उन्होंने कल्पना तक नहीं की होगी। बयान पर पर तीखी टिप्पणियां होनी स्वाभाविक थी और वह हुईं भी। लेकिन इस बयान के माध्यम से पीएम ने दलितों के गुस्से को डैमेज कंटोल करने का काम किया है। यह उनकी चिंता के साथ साथ राजनीतिक रणनीति का हिस्सा भी है। व्यवस्था और सरकार को पर्दे में चलाने के बजाय उसे पारदर्शी रखना अधिक बेहतर है वरना फोड़ा बन जाता है। निश्चित तौर पर गोरक्षा होनी चाहिए। गाय हमारी पूज्यनीया है। हिंदूधर्म में उसे मां का स्थान मिला है। गाय हमारी आस्था की प्रतीक है। यह हमारी धार्मिक आस्था से जुड़ी है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गोरक्षा पर मन के बजाय दिल की बात की है। उन्होंने दलित उत्पीड़न और गोरक्षा पर अब तक का सबसे बड़ा बयान दिया। गोरक्षा से जुड़ी संस्थाओं और हिमायतियों को इस तरह की बात से गहरा जख्म हुआ। जिसकी शायद कभी उन्होंने कल्पना तक नहीं की होगी। बयान पर पर तीखी टिप्पणियां होनी स्वाभाविक थी और वह हुईं भी। लेकिन इस बयान के माध्यम से पीएम ने दलितों के गुस्से को डैमेज कंटोल करने का काम किया है। यह उनकी चिंता के साथ साथ राजनीतिक रणनीति का हिस्सा भी है। व्यवस्था और सरकार को पर्दे में चलाने के बजाय उसे पारदर्शी रखना अधिक बेहतर है वरना फोड़ा बन जाता है। निश्चित तौर पर गोरक्षा होनी चाहिए। गाय हमारी पूज्यनीया है। हिंदूधर्म में उसे मां का स्थान मिला है। गाय हमारी आस्था की प्रतीक है। यह हमारी धार्मिक आस्था से जुड़ी है।
Dainik Jagran, Ranchi : दैनिक जागरण, रांची जा रहा पाताल में, रोज हो रही गालीगलौज
दैनिक जागरण, रांची में फेरबदल के बाद भागलपुर से किशोर झा यहां लाए गए थे। इन्होंने धमाकेदार इंट्री दी और भागलपुर से अपने संग चहेते आलोक दीक्षित को ले आए। मसखरा आलोक दीक्षित यहां गंदगी फैलाए हुए हैं। काम के नाम पर कुछ नहीं लेकिन यहां अरसे से काम कर रहे लोगों को औकाद दिखाना उसकी रोज की आदत में शुमार हो गया है। अपनी आदत के कारण दो दफा वह पिटाई खाते-खाते बचा। जिससे उलझा था उसने जी भरकर गालीगलौज दी और हद में रहनेे की सीख दी।
7.8.16
किताब बेचने का एक तरीका यह भी!
देहरादून। उत्तराखंड के पत्रकार/लेखक मनीष ओली ने पुस्तक “विद्युत उपभोक्ताओं की समस्याएं एवं समाधान” को लेकर एक अनोखा प्रयोग किया है। 248 पेज की इस किताब का मूल्य 200 रुपया रखा गया है। मनीष का कहना है कि समर्थ व सक्षम लोगों द्वारा 200 रुपए की पुस्तक खरीदे जाने पर दो अन्य उपभोक्ताओं को यह 30 रुपए में उपलब्ध कराई जा रही है।
जंतर-मंतर पर न्याय की लड़ाई लड़ रहे हैं आकाशवाणी के कैज़ुअल एनाउंसर
आकाशवाणी के कैज़ुअल एनाउंसर का एक दल, सामाजिक न्याय राज्य मंत्री रामदास अठावले से मिलने गया और न्याय पाने के लिए विनम्र निवेदन किया. सामाजिक न्याय राज्य मंत्री रामदास अठावले ने न्याय पूर्ण इन्साफ दिलवाने का वादा किया है. उधर, हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और फ़िलहाल कांगड़ा से बीजेपी सांसद शांता कुमार ने भी आकाशवाणी के कैज़ुअल एनाउंसर से अपने कार्यालय में मिले और हर संभव सार्थक मदद करने का भरोसा दिलाया.
3.8.16
इन दागी पत्रकारों के सहारे कब तक टिकेगा चौथा खंभा?
हिमाचल प्रदेश के चम्बा जिला के डलहौज़ी में पत्रकार महिलाओं से अश्लील हरकतें व सरकारी कर्मचारियों को पीटने जैसी कुकृत्य करने लगे हैं। इंडिया टीवी और mh1 के पत्रकार बताने वाले अपूर्व महाजन पर महिला ने अश्लील हरकत करने का मामला दर्ज कराया है। वहीं उनके खिलाफ सरकारी कर्मचारी से उसके कार्यालय जा कर मारपीट करने का मामला भी दर्ज हो चुका है। फिलहाल उसने अग्रिम जमानत ले रखी है।
1.8.16
कब बदलेगी होमगार्डों की हालत
असगर नकी
मौजूदा सरकार के प्रेरणा स्रोत मुलायम सिंह यादव जिनके लिये आम है कि नेता जी की "कथनी-करनी" में फ़र्क नहीं, शायद 1993 के सपा के चुनावी एजेंडे में क्रम संख्या 9 पर होमगार्ड जवानों को 5 वर्ष के अंदर नियमित कर दिये जाने की घोषणा नेता जी की कथनी थी, जिसे करनी में बदलने में दो दशक बीत गये और फिर उनके लाडले की मौजूदा समय में सरकार है लेकिन होमगार्डों की समस्या जस की तस है, जबकि देश की सबसे बड़ी अदालत का फैसला भी होमगार्डों के पक्ष में है, ऐसे में सवाल ये है कि आखिर नेता जी की करनी अमली जामा कब पहनेगी?
यूपी में कांग्रेस को जीत दिलाएगा ब्राहम्ण!
प्रभुनाथ शुक्ल
राजनीतिक लिहाज से अहम राज्य उत्तर प्रदेश में कांग्रेस नए अवतार में दिखी है। 29 जुलाई को लखनउ के रमाबाई पार्क में बूथ स्तरीय कार्यकर्ता सम्मेलन में राहुल गांधी जिस भूमिका में दिखे वह कांग्रेस के लि शुभ संकेत है। कांग्रेस क्या बदल रही है। क्या वह बदलाव चाहती है। उसके बदलाव का आखिर जमीनी आधार क्या है। वह किस थ्योरी पर यूपी जैसे राज्य में सपा, बसपा और भाजपा को सीधी चुनौती देना चाहती है। जहां सांगठनिक स्तर पर वह कमजोर और खुद में उपेक्षित हो। कार्यकर्ताओं के टूटे हुए मनोबल पर वह कैसे आगे बढ़ेगी। सवाल पीके फार्मूला कितना कामयाब होगा। यह आशंकाए सिर्फ मेरी ही नहीं आपकी और राज्य के आम आदमी की हो सकती हैं जो कांग्रेस को बदलते रुप में देख रहे हैं। कांग्रेस 27 साल से राज्य के परिदृश्य से गायब है। 2014 के लोकसभा में बुरी पराजय के बाद राज्यों में ढहता उसका जनाधार तममा सवाल खड़ा करता है। लेकिन कांग्रेस और उसके रणनीतिकारों को यूपी एक उर्वर जमीन के रुप में दिख रही है।
राजनीतिक लिहाज से अहम राज्य उत्तर प्रदेश में कांग्रेस नए अवतार में दिखी है। 29 जुलाई को लखनउ के रमाबाई पार्क में बूथ स्तरीय कार्यकर्ता सम्मेलन में राहुल गांधी जिस भूमिका में दिखे वह कांग्रेस के लि शुभ संकेत है। कांग्रेस क्या बदल रही है। क्या वह बदलाव चाहती है। उसके बदलाव का आखिर जमीनी आधार क्या है। वह किस थ्योरी पर यूपी जैसे राज्य में सपा, बसपा और भाजपा को सीधी चुनौती देना चाहती है। जहां सांगठनिक स्तर पर वह कमजोर और खुद में उपेक्षित हो। कार्यकर्ताओं के टूटे हुए मनोबल पर वह कैसे आगे बढ़ेगी। सवाल पीके फार्मूला कितना कामयाब होगा। यह आशंकाए सिर्फ मेरी ही नहीं आपकी और राज्य के आम आदमी की हो सकती हैं जो कांग्रेस को बदलते रुप में देख रहे हैं। कांग्रेस 27 साल से राज्य के परिदृश्य से गायब है। 2014 के लोकसभा में बुरी पराजय के बाद राज्यों में ढहता उसका जनाधार तममा सवाल खड़ा करता है। लेकिन कांग्रेस और उसके रणनीतिकारों को यूपी एक उर्वर जमीन के रुप में दिख रही है।
मजीठिया वेज बोर्ड के लाभ पाने को लड़ रहे कर्मियों ने छुड़ाये मालिकानों के पसीने
पत्रकारों/गैर पत्रकारों के वेतन व अन्य परिलाभों के लिए केन्द्र सरकार द्वारा गठित मजीठिया वेज बोर्ड ने की संस्तुतियों ने देशभर के अखबार मालिकों की नींद उडाकर रख दी है, आखिर क्यों ? यह पहला वेज बोर्ड नहीं है लेकिन है ऐतिहासिक और इसे ऐतिहासिक बनाया है पत्रकार संगठनों और पत्रकार/गैर पत्रकारों की चट्टानी एकजुटता ने वर्ना देश की आजादी से लेकर अब तक हर दस साल (केंद्रीय व राज्य कर्मचारियों की तरह) पर वेतन आयोग का गठन किया जाता है। अब तक छह वेतन आयोगों का गठन पत्रकारों की बेहतरी के लिए किया जा चुका है लेकिन लागू एक भी नहीं हुआ आखिर क्यों ? हर बार आयोग अपनी रिपोर्ट सौंपता रहा, संसद की दोनों सदनें उसे पास करती रहीं, मालिकान अदालत की शरण लेते रहे और नतीजा " ढाक के तीन पात होता रहा। मालिकानों ने इस बार भी सारे घोडे खोल दिये फिलहाल अभी तक उसे कामयाबी नहीं मिली।
राधा गोविन्द इंस्टीट्यूट के प्रबन्धकों पर एफ़आईआर के आदेश
रामजी मिश्र 'मित्र'
राधा गोविन्द इंस्टीट्यूट ऑफ टैक्नोलॉजी निकट अकरोली चौराहा चंदौसी जिला सम्भल के फर्जी होने का मामला सामने आया है। अब तक यह इंस्टिट्यूट खुद को हापुड़ दिल्ली मार्ग पर स्थित मोनाड यूनिवर्सिटी से खुद को सम्बद्ध बता रहा था। सारे जिम्मेदार ऐसा सोये कि खुले आम शिक्षा का फर्जी केंद्र चलता रहा और किसी को भनक तक न लगी। भविष्य बनाने की चाहत में एक एक करके हजारों अपना भविष्य ही बर्बाद कर बैठे।
जिसने तोड़ी टांग उसी को 400 करोड़ में बैसाखी बनाने का ठेका!
दिल्ली : इस बार लोकसभा चुनाव में कोई कामयाब हुआ या नाकाम लेकिन निजी तौर पर अगर किसी बड़े नेता की सबसे ज्यादा फज़ीहत हुई तो वो थे मिस्टर पप्पू। जी हां आप ठीक ही समझे हैं। जो आदमी देश की सबसे पुरानी और बड़ी सियासी जमात का सीधा सीध उत्तराधिकारी कहा जा सकता हो, उसको लोग पप्पू मानने लगे। इससे बड़ा भला क्या राजनीतिक मज़ाक़ हो सकता है। लेकिन थोड़ा पीछे जाएं तो ये भी समझ मे आ जाता है कि ये महाशय पप्पू बने कैसे या इनको इस हालत में पहुंचाने वाले कौन लोग थे।
जलवायु परिवर्तन के कारण हाथी की चार प्रजातियां लुप्त हुईं
जलवायु परिवर्तन के संदर्भ में मीडिया की भूमिका पर कार्यशाला आयोजित
देहरादून । जलवायु परिवर्तन एक विश्व व्यापी समस्या है और इसका प्रभाव देश के संवेदनशील क्षेत्रों पर भी पड रहा है। जलवायु परिवर्तन की जानकरी जन-जन तक पहुंचाने में मीडिया की भूमिका अति महत्वपूर्ण है। यह बात मीडिया के लिए आयोजित एक वर्कशाप में मुख्य वन संरक्षक ' पर्यावरण/नोडल अधिकारी जलवायु परिवर्तन आर एन झा ने कही। उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन की समस्या पिछले 40-50 साल से रही है लेकिन हाल के वर्षो में बडी तेजी से बढी है। जानकरी के आभाव में मीडिया खासकर न्यूज चैनल जनता के सम्मुख भ्रामक तस्वीर पेश करते हैं। अब ऐसे में मीडिया का रोल अहम हो जाता है।
देहरादून । जलवायु परिवर्तन एक विश्व व्यापी समस्या है और इसका प्रभाव देश के संवेदनशील क्षेत्रों पर भी पड रहा है। जलवायु परिवर्तन की जानकरी जन-जन तक पहुंचाने में मीडिया की भूमिका अति महत्वपूर्ण है। यह बात मीडिया के लिए आयोजित एक वर्कशाप में मुख्य वन संरक्षक ' पर्यावरण/नोडल अधिकारी जलवायु परिवर्तन आर एन झा ने कही। उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन की समस्या पिछले 40-50 साल से रही है लेकिन हाल के वर्षो में बडी तेजी से बढी है। जानकरी के आभाव में मीडिया खासकर न्यूज चैनल जनता के सम्मुख भ्रामक तस्वीर पेश करते हैं। अब ऐसे में मीडिया का रोल अहम हो जाता है।
गाय के नाम पर लखनऊ में दलितों का पीटा जाना, दलित हिंसा का एक और ताजा उदाहरण
ऊना से लेकर लखनऊ तक गाय के नाम पर दलित हिंसा, संघ की सुनियोजित साजिश
लखनऊ । रिहाई मंच ने लखनऊ के तकरोही के चंदन गांव में मरी गाय को ले जा रहे दो दलित कर्मचारियों को अराजक तत्वों द्वारा मारने-पीटने की घटना को देश में हो रही दलित हिंसा का एक और ताजा उदाहरण बताया। मंच ने कहा कि जिस तरीके से पिछले दिनों मैनपुरी में 15 रुपए के लिए दलित दंपत्ति भारत व ममता को अशोक मिश्रा द्वारा कुल्हाड़ी से मार डाला गया और अब राजधानी में दलितों पर हमला साफ करता है कि अखिलेश सरकार हत्यारे सामंती तत्वों का खुला संरक्षण कर रही है।
लखनऊ । रिहाई मंच ने लखनऊ के तकरोही के चंदन गांव में मरी गाय को ले जा रहे दो दलित कर्मचारियों को अराजक तत्वों द्वारा मारने-पीटने की घटना को देश में हो रही दलित हिंसा का एक और ताजा उदाहरण बताया। मंच ने कहा कि जिस तरीके से पिछले दिनों मैनपुरी में 15 रुपए के लिए दलित दंपत्ति भारत व ममता को अशोक मिश्रा द्वारा कुल्हाड़ी से मार डाला गया और अब राजधानी में दलितों पर हमला साफ करता है कि अखिलेश सरकार हत्यारे सामंती तत्वों का खुला संरक्षण कर रही है।
कैंसर एक जानलेवा बीमारी कारण और निदान
डॉ सौरभ मालवीय
आधुनिक जीवन शैली और दोषपूर्ण खान-पान के चलते विश्वभर में हर साल लाखों लोग केंसर जैसे बीमारी की चपेट में आ रहे है और असमय ही काल कवलित हो जाते है, विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट के अनुसार दुनिया के बाकी देशों के मुक़ाबले भारत में केंसर रोग से प्रभावितों की दर कम होने के बावजूद यहाँ 15 प्रतिशत लोग केंसर के शिकार होकर अपनी जान गवा देते है। डब्लू एच्चों की ताज़ा सूची के मुताबिक 172 देशों की सूची में भारत का स्थान 155वां हैं। सूची के मुताबिक भारत उन देशों में शामिल है जहां केंसर से होने वाली मौत की दरें सर्वाधिक कम है। फिलहाल भारत में यह प्रतिलाख 70.23 व्यक्ति है। डेन्मार्क जैसे यूरोपीय देशों में यह संख्या दुनिया में सर्वाधिक है यहाँ केंसर प्रभावितों की दर प्रतिलाख 338.1 व्यक्ति है। भारत में हर साल केंसर के 11 लाख नए मामले सामने आरहे है वर्तमान में कुल 24 लाख लोग इस बीमारी के शिकार है।
आधुनिक जीवन शैली और दोषपूर्ण खान-पान के चलते विश्वभर में हर साल लाखों लोग केंसर जैसे बीमारी की चपेट में आ रहे है और असमय ही काल कवलित हो जाते है, विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट के अनुसार दुनिया के बाकी देशों के मुक़ाबले भारत में केंसर रोग से प्रभावितों की दर कम होने के बावजूद यहाँ 15 प्रतिशत लोग केंसर के शिकार होकर अपनी जान गवा देते है। डब्लू एच्चों की ताज़ा सूची के मुताबिक 172 देशों की सूची में भारत का स्थान 155वां हैं। सूची के मुताबिक भारत उन देशों में शामिल है जहां केंसर से होने वाली मौत की दरें सर्वाधिक कम है। फिलहाल भारत में यह प्रतिलाख 70.23 व्यक्ति है। डेन्मार्क जैसे यूरोपीय देशों में यह संख्या दुनिया में सर्वाधिक है यहाँ केंसर प्रभावितों की दर प्रतिलाख 338.1 व्यक्ति है। भारत में हर साल केंसर के 11 लाख नए मामले सामने आरहे है वर्तमान में कुल 24 लाख लोग इस बीमारी के शिकार है।