गुफ़्तगू की तरफ से आयोजित किया गया ‘बुद्धिसेन शर्मा जन्मोत्सव-2023’ !!
प्रयागराज। बुद्धिसेन शर्मा हमारे शहर के बड़े शायरों में शमुार किए जाते
रहे हैं। मुशायरों की दुनिया में बहुत मक़़बूल थे। काव्य पाठ करने के
लिए उन्हें इंग्लैंड और अमेरिका में भी आमंत्रित किया गया था। आज उनके
जन्म दिन पर जिस तरह से ‘गुफ़्तगू’ ने उन्हें याद किया है, यह बेहद ज़रूरी
और उल्लेखनीय है। ऐसे शायरों को याद करना हमारी जिम्मेदारी है।
28.12.23
मुशायरों के मक़बलू शायर थे बुद्धिसेन शर्मा : फ़रमान नक़वी
चंडीगढ़ में 18 जनवरी से आंदोलन शुरू करेंगे पंजाब के किसान
-अमरीक-
पंजाब के पांच किसान संगठन अपनी विभिन्न मांगों को लेकर 18 जनवरी से चंडीगढ़ में आंदोलन शुरू करेंगे। पहले घोषणा की गई थी कि आंदोलन और धरना-प्रदर्शन चंडीगढ़ सीमा के मोहाली में किया जाएगा लेकिन अब किसान राज्य की राजधानी में डटेंगे। सेक्टर 35 स्थित किसान भवन में किसान संगठनों की विशेष बैठक हुई। इस बैठक में भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) की ओर से बलबीर सिंह राजेवाल, अखिल भारतीय किसान फेडरेशन के प्रेम सिंह, किसान संघर्ष कमेटी के कमलप्रीत सिंह पन्नू, आजाद किसान संघर्ष कमेटी के हरजिंदर सिंह टांडा और बीकेयू मानसा के भोग सिंह ने शिरकत की। बैठक में आगामी आंदोलन की रूपरेखा पर विचार-विमर्श किया गया।
1.12.23
एक थे वीपी सिंह !
विक्रम बृजेंद्र सिंह-
वीपी सिंह की पुण्यतिथि... वो नवें दशक का उत्तरार्द्ध था और इंदिरा गांधी की शहादत के बाद 'चक्रवर्ती' राज कर रही कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व को भ्रष्टाचार के मुद्दे पर चौतरफा घेर लोकनायक जयप्रकाश नारायण की ही तरह लगभग 'जननायक' बन चुके थे गहरवार ठाकुर ! पूर्व रियासत मांडा के राजा विश्वनाथ प्रताप सिंह । कांग्रेस और राजीव गांधी से बगावत की थी उन्होंने। इसलिये कइयों ने उन्हें जयचंद-मीरजाफर और ब्रूटस भी कह डाला !...बावजूद वीपी का जादू पूरे हिंदुस्तान में सिर चढ़कर बोला।
23.11.23
Microsoft Outlook Lite Expands its Reach with Vernacular features and SMS support for Indian Users
With features such as translation, voice typing, and transliteration, users can compose and read emails in their preferred regional language and can also access and manage their SMSes in Outlook Lite.
New Delhi : Microsoft has announced new vernacular features in Outlook Lite, an email and SMS app designed specifically for Indian users that combines the best of email, and SMS in one place.
कासगंज में VIP न्यूज के तथाकथित पत्रकार रंजीत राय का ऑडियो वायरल।
अतुल यादव-
कासगंज में VIP न्यूज के तथाकथित पत्रकार रंजीत राय का एक और कारनामा, अब राशन डीलर को धमकाकर अवैध उगाही के दवाब बनाने का ऑडियो वायरल
प्रदूषण के असली कारण खोजने होंगे
रजनीश कपूर-
दिल्ली में बढ़ते वायु प्रदूषण की समस्या को हम कई सालों से सुनते आ रहे हैं। एक से एक सनसनीखेज वैज्ञानिक रिपोर्टो की बातों को हमें भूलना नहीं चाहिए। हमें यह भी नहीं भूलना चाहिए कि दिल्ली से निकलने वाले गंदे कचरे, कूड़ा करकट को ठिकाने लगाने का पुख्ता इंतजाम अभी तक नहीं हो पाया। सरकार यही सोचने में लगी है कि यह पूरा का पूरा कूड़ा कहां फिंकवाया जाए या इस कूड़े का निस्तार यानी ठोस कचरा प्रबंधन कैसे किया जाए? जाहिर है इस गुत्थी को सुलझाए बगैर जलाए जाने लायक कूड़े को चोरी छुपे जलाने के अलावा और क्या चारा बचता होगा? इस गैरकानूनी हरकत से उपजे धुंए और जहरीली गैसों की मात्रा कितनी है जिसका कोई हिसाब किसी भी स्तर पर नहीं लगाया जा रहा है। इन सबके चलते आम नागरिकों पर सरकार द्वारा लगाए जा रहे प्रतिबंधों से असुविधा हो रही है। परंतु सरकार या उसकी प्रदूषण नियंत्रण करने वाली एजेंसियाँ असल कारण तक नहीं पहुँच पा रहीं।
सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाने के नाम पर पत्रकार रंजीत राय ने लोगों को लूटा
अतुल यादव-
कासगंज : यूपी के कासगंज में VIP न्यूज चैनल के पत्रकार रंजीत राय ने जिले में आतंक मचा रखा है, वह ग्रामीण इलाकों के लोगों को पत्रकार बनाने के नाम पर अपनी ठगी का शिकार बना रहा है। रंजीत राय पर आरोप है कि वो गांव गांव जाकर भोले भाले लोगों से मिलता है और युवाओं को पत्रकार बनाने का सपना दिखाकर उनसे पैसों की मांग करता है। ग्रामीण इलाकों में सरकार की कल्याणकारी योजनाओं का लाभ दिलाने के नाम पर रंजीत राय विधवाओं और वृद्धों से भी पैसों की ठगी करता है।
Vote for your favourite Sportsperson at ‘CNN-News18 Indian of the Year 2023’
New Delhi | November 17, 2023: Celebrating the relentless spirit of India’s sports icons who have brought glory to the nation, ‘CNN-News18 Indian of the Year’ (IOTY), news television’s biggest awards platform, has unveiled the nominees in the Sports category this year. The awards platform would honour exceptional sportspersons whose talent and commitment have elevated India's standing on the global sports stage.
16.11.23
ताकि बहिष्कार की नौबत ही न आए
राजीव शर्मा-
इन दिनों सोशल मीडिया पर एक सूची बहुत तेज़ी से शेयर की जा रही है, जिनमें ग़ाज़ा मामले को लेकर कुछ ख़ास कंपनियों के प्रॉडक्ट्स का बहिष्कार करने की अपील की गई है। ऐसा पहली बार नहीं हो रहा है। इससे पहले भी जब-जब फ़लस्तीन-इसराइल तनाव बढ़ा तो मेरे पास ऐसी ही एक सूची पहुँची थी।
क़र्ज़ की किश्तें: कितनी आसान, कितनी पेचीदा
रजनीश कपूर-
त्योहारों के मौसम में ग्राहकों को आकर्षित करने के इरादे से ज़्यादातर कंपनियाँ अपने उत्पादों पर आकर्षक ऑफर चला देते हैं। इनमें कई तरह के ऑफर होते हैं जैसे हर ख़रीद पर मुफ़्त उपहार। एक के साथ एक फ़्री। पुराना लाओ नया पाओ ऑफर आदि। परंतु इन सब में सर्वप्रथम ऑफर ‘नो कॉस्ट ईएमआई’ का है। ग्राहक इस ‘नो कॉस्ट ईएमआई’ के झाँसे में बड़ी आसानी से आ जाते हैं। परंतु क्या ‘नो कॉस्ट ईएमआई’ वास्तव में बिना किसी अतिरिक्त शुल्क के, ग्राहकों को मिलती है?
बीएचयू की मुस्लिम छात्रा ने पीएम मोदी पर की पीएचडी
अजय कुमार,लखनऊ
उत्तर प्रदेश की धार्मिक नगरी और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का संसदीय क्षेत्र वाराणसी एक बार फिर चर्चा में है,अबकी से चर्चा का विषय न तो राजनैतिक है, न ही कोई धार्मिक वजह है.इस बार वाराणसी ‘बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय’ की एक मुस्लिम छात्रा की वजह से सुर्खियों में है. दरअसल, राजनीति विज्ञान की मुस्लिम शोध छात्रा नजमा परवीन ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर पीएचडी की है.उन्होंने अपने अध्ययन में मोदी को राजनीति का महानायक बताया है.परवीन ने कहा है कि वह(मोदी) देश के भरोसेमंद नेता हैं. वह मुसलमानों के विरोधी नहीं, बल्कि हितैषी हैं. आध्यात्मिक चिंतक व समाज सुधारक भी हैं. वर्ष 2014 का चुनाव वंशवाद की समाप्ति और एक पार्टी के अधिनायकवाद को खत्म करने वाला रहा. शाही रक्त पर साधारण रक्त की विजय हुई थी।
टारगेट पूरा करने के चक्कर मे भूँजा बनकर रह गया है, यू पी में गंगेस्टर एक्ट !
सत्येंद्र कुमार-
भारत एक ऐसा देश है जहाँ का कानून तमाम ख़ामियों से भरा होने के बावजूद इसके नायाब होने का ढिंढोरा पूरी बेशर्मी के साथ पीटा जाता है । अंग्रेजो ने ये कानून इसलिए बनाये थे कि इस कानून के जरिये गोरे लोग कालों को दबा कुचल सके और उनपर राज कर सकें । आज गोरे तो नही रहे लेकिन कानून वही है । नियति ने ऐसा खेल दिखाया कि आज इस कानून की बाग़डोर कालों के हाथ मे है और इसकी चोट अपने लोग अपनों पर ही कर रहे हैं । यहाँ 13 साल से ऊपर के बच्चे को वयस्क मानकर उसका पूरा टिकट वसूल किया जाता है लेकिन 16 साल के बलात्कारी को अवयस्क मानकर रियायत दे दी जाती है । यहाँ शराब और गुटखे के पाउच पर सेहत के लिए हानिकारक है लिखकर बेचा जा सकता है लेकिन पटाखों पर पर्यावरण के लिए हानिकारक है लिखकर उसे फोड़ा नही जा सकता ।
अंग्रेजी की एक कहावत है "रूल्स आर मेड फ़ॉर फूल्स" मतलब नियम कानून सिर्फ मूर्खों के लिए बनाए गए हैं । यहाँ मूर्ख का अर्थ मात्र ऐसे लोगों से है जो कानून से ही चलना चाहते हैं लेकिन एक न एक दिन कानून के ही चुंगल में फंसा दिए जाते हैं । इसके ठीक उलट हिंदी में एक कहावत है "समरथ को नही दोष गुसाई" मतलब नियम कानून को मानने की बाध्यता हमेशा कमजोर अर्थात मूर्खों के लिए होती है । कमजोर के लिए अपने को निर्दोष साबित करना केवल तभी संभव हो सकता है जब खुद उसके पास वैसी या उससे बड़ी ताकत आ जाये । यदि आज के माहौल की तुलना कुछ वर्षों पूर्व से कर ली जाए तो पहले मान्या सुर्वे, हाजी मस्तान, संदीप भाटी, लॉरेंस विशनोई, अतीक अहमद, मुख्तार अंसारी, मुन्ना बजरंगी, सुधीर सिंह, प्रदीप सिंह, श्री प्रकाश शुक्ला जैसे खतरनाक लोगों को गैंगेस्टर का रुतबा और तमगा हासिल था लेकिन आज बिस्कुट और साइकिल चुराने वाला चिमरखी टाइप का मरियल आदमी भी गैंगेस्टर है बशर्ते ये चोरी उसने अकेले नही बल्कि किसी के साथ मिलकर की हो ।
आज प्रदेश के लगभग हर जिले में गैंगेस्टर का टास्क और टारगेट पूरा करने की ऐसी होड़ पुलिस में मची है कि मर चुके आदमी पर भी आंख बंद कर गैंगेस्टर ठोक दिया जा रहा है । चिमरखी टाइप का चोर भी गैंगेस्टर हो सकता है पोल खोलने वाला पत्रकार और डिग्री बेचने वाला डॉक्टर भी गैंगेस्टर हो सकता है । दुकानदार और व्यवसायी तथा किसान भी गैंगेस्टर हो सकता है लेकिन एक पुलिस वाला यदि चरस की स्मगलिंग में दो तीन लोगों के साथ पकड़ लिया जाए तो वो गैंगेस्टर नही हो सकता और वहाँ गैंगेस्टर एक्ट फेल हो जाता है ।
टारगेट पूरा करने की पुलिसिया ललक ने गैंगेस्टर शब्द का रुतबा और जलवा दोनो खत्म कर दिया है । वास्तव में जो गैंगेस्टर हैं उनका रुतबा और मोह अब गैंगेस्टर शब्द से भंग हो चुका है । कहने के लिए तो पुलिस रिकॉर्ड में गैंगेस्टरों की संख्या राक्षसी बालों की तरह बढ़ रही है लेकिन अभियोजन पक्ष का रिकॉर्ड देखने से पता चलता है कि गैंगेस्टर के मामलों मे अदालतों में सजा सिर्फ मुख्तार अंसारी जैसे लोगों को होती है जो वाकई में गैंगेस्टर शब्द को परिभाषित करते हैं । बाकी चिमरखी टाइप लोगों को कटघरे में देखते ही अदालतें समझ जाती हैं ये चिमरखी गैंगेस्टर है नही बल्कि बनाये गए हैं अदालत का वक्त जाया करने के लिए !
अब सवाल यह उठता है कि क्या हमारी पुलिस वाकई अपराध समाप्त करने की ओर बढ़ रही है या गैंगेस्टर जैसी धारा का उपयोग कर उन लोगो को भी सामाजिक तौर पर एक बड़ा अपराधी घोषित कर दे रही है,जो समाज की मुख्य धारा से फिर वापस जुड़ सकते थे और एक सामान्य जिंदगी जी सकते थे । पत्रकार तो फिर से कलम और डॉक्टर फिर से छुरी कैची ही चलाएगा साथ ही किसान भी फिर से खेती ही करेगा लेकिन बाकी के चिमरखी चोर टाइप क्या करेंगे ? वे निश्चित तौर पर अपराध की ओर अग्रसर होंगे और भविष्य में सिस्टम तथा आम जन के लिए परेशानी का सबब बनेंगे ।
8.10.23
उपराष्ट्रपति के साथ मुख्यमंत्री के शीतयुद्ध का पटाक्षेप
सत्य पारीक-
2014 से पहले जब राष्ट्रपति उपराष्ट्रपति राज्यपाल का कहीं कार्यक्रम होता था तो राष्ट्रीय गरिमा से परिपूर्ण होता था । क्योंकि उस समय तक तीनों पदों वाले पद की गरिमा का विशेष ध्यान रखते थे लेकिन 2014 के बाद उक्त पदों पर जातिय आधार पर निर्वाचन होने लगा इस कारण राजनीति में रचे बसे नेताओं को ये पद मिलने लगे । नेताओं के इन पदों पर आते ही पद गरिमा तार तार होने लगी जो गिर कर यहां तक आगई कि पहले उक्त पदों वालों के कार्यक्रमों की शुरुआत व समापन राष्ट्रीय गायन से होता था वो अब राजनीतिक आलोचना से शुरू हो कर उसी पर सम्पन्न हो जाता है , शुक्र इस बात का है कि राष्ट्रपति इससे बचे हुए हैं लेकिन कब तक ! क्योंकि जातियता ने इस पद को लपेटे में ले लिया है ।
28.9.23
Press Club Elections 2023 Violate Delhi High Court's Orders of 2010
Yashwant Singh-
The Press Club of India comes under the Companies Act: 1956. Thus Press Club of India is a registered company. The 'Ordinary voting members are considered as shareholders' of the company, i.e PCI. As per the Companies Act, no new members/ shareholders can cast a vote in Annual General Body meetings and elections for one year, from the date of their membership. The same law is applicable to the Press Club of India; which is flouting the 'Orders of 2010, by Honb'le Delhi High Court, procured by Sandeep Dixit, ex Secretary General of The Press Club of India and Nirnimesh Kumar, who was then a Legal Correspondent of The Hindu. Vinay Kumar, Sandeep Dixit and Nirnimamesh worked at The Hindu. In 2010, the Delhi High Court, gave a 'direction and Order' that no new member from 2008 can participate in the voting in 2010 elections.
19.9.23
विश्वकर्मा योजना पिछड़ों के लिये सौगात या झांसा
kp singh-
भाजपा और इण्डिया गठबंधन के बीच तू डाल डाल मैं पात पात का खेल चल रहा है। एक शह देता है तो दूसरा काट निकालकर उल्टी शह दे डालता है। इस बाजी में कौन जीतेगा इसका नतीजा तो 2024 के लोकसभा चुनाव के बाद सामने आयेगा। फिलहाल तो लोग इस रोमांचक और रोचक लड़ाई का मजा ले रहे हैं। वैसे लड़ाई में भी दोनों तरफ कई पैंच हैं जिससे खेल का सस्पेंस और बढ़ गया है। ताजा पेंच डालने की कारीगरी नीतिश कुमार ने दिखाई है ऐंकरों के बहिष्कार के मुद्दे पर। बताया तो यह गया था कि इण्डिया की मुंबई में हुयी बैठक में सर्वसम्मति से इस बहिष्कार का फैसला लिया गया था। जिसमें भले ही नीतिश कुमार खुद मौजूद न रहे हों लेकिन उनके प्रतिनिधि तो थे और उन्होंने भी शायद यही कहा था कि जो पंचन की राय वही उनकी राय है। फिर नीतिश कुमार को इत्तेफाक कैसे हो गया। ऐसी प्रायोजित नाराजगी के पीछे कोई न कोई रहस्य होता है। क्या नीतिश के रूठने के पीछे यह तो रहस्य नहीं है कि विपक्षी एकता के लिये शुरूआत उन्होंने की, पूरे कुनबे को उन्होंने जोड़ा लेकिन अब वे अलग थलग से हैं। उन्हें वह भाव नहीं दिया जा रहा जिसकी अपेक्षा थी। शायद वे विपक्षी गठबंधन के संयोजक पद को पाने के तलबगार थे भले ही खुले तौर पर उन्होंने यह कहा हो कि उन्हें संयोजक बनने की कोई हसरत नहीं है। पर लगता यह है कि एक ओर वे बड़प्पन भी ओढ़े रखना चाहते थे दूसरी ओर चाहते थे कि अन्य लोग समझदारी दिखाकर उनके गले में संयोजक बनाने की माला डाल दें पर किसी ने उनका नाम भी नहीं लिया। शरद यादव ने तो अपनी यह नियति स्वीकार कर ली है पर संभवतः नीतिश इसे पचा नहीं पा रहे। फिलहाल जो भी हो उनके और पत्ते अभी आगे खुलेंगे। नीतिश जी बड़े महीन नेता हैं। हालांकि उनके सामने एनडीए में जाने का विकल्प अब नहीं रह गया है लेकिन इण्डिया के गांधी या जयप्रकाश बनने का चांस भी उनके हाथ नहीं आ रहा। इस कुंठा में इण्डिया के लिये अगर उन्होंने फिदाइन बनने की ठान ली हो तो क्या आश्चर्य है बतर्ज खेलेंगे नहीं तो खेल बिगाड़ेंगे।
18.9.23
News18 India airs “Vishwa Mitra” – An exclusive documentary on Prime Minister Narendra Modi's Birthday
September 18, 2023: On the occasion of Prime Minister Shri Narendra Modi's birthday, News18 India, India's No.1 Hindi news channel, aired an exclusive documentary that showcased the life and leadership of India’s PM for viewers. The documentary, titled Vishwa Mitra, was broadcast on the 17th of September, 2023.
ABP Majha Unveils an Exciting Line-Up as Bappa Majha Returns to Delight Viewers
Mumbai, September 18, 2023: ABP Majha, Maharashtra's leading news channel, is happy to announce the return of its popular show Bappa Majha, with an exciting line-up of celebrations and unique programming. Scheduled to air from September 19th to September 28th, these programs promise to captivate viewers with an array of exclusive content.
News18 celebrates Hindi Diwas with a grand contest – Hindi Ke Samrat
News18, India's No. 1 News Network, once again brought back its unique celebration of the Hindi Diwas – Hindi ke Samrat - that is celebrated on the 14th of September every year. The third edition of this award-winning contest received an overwhelming response this year, generating a reach of over 22 million. This initiative stands testimony to News18’s commitment to not only celebrating the cultural heritage of its viewers but also deeply integrating itself as a brand into the socio-cultural fabric of its audience.
16.9.23
स्मरण/ सुनील दुबे : व्यक्तित्व की कमी, संपादन की खूबी
आलोक पराड़कर -
ये 1997-98 का कोई वार था। लखनऊ से प्रकाशित 'हिन्दुस्तान' के लिए बनारस में ब्यूरो की तैयारी थी, कुछ लोगों को रखा जाना था। छह-सात साल 'आज' में काम करने के बाद मैं वहां से मुक्त था और मुझे नौकरी की तलाश थी। बताया गया कि स्थानीय संपादक सुनील दुबे स्वतः साक्षात्कार लेंगे। कई लोग थे, मैं भी पहुंचा। पत्रकारिता पर थोड़ी बातचीत के बाद उन्होंने बस ये ही पूछा था कि 'आज' की नौकरी क्यों छोड़ी? मुझे याद नहीं कि मैंने क्या वजह बताई लेकिन फिर मुझे पता चला कि मुझे वाराणसी ब्यूरो में रख लिया गया है। हमारी छोटी-सी टीम संपादकीय टीम थी जिसमें मेरे साथ राधेश्याम कमल, अजय चतुर्वेदी, आशुतोष पांडेय और डॉक्टर प्रभा रानी थीं। काशी विद्यापीठ और कांग्रेस से जुड़े डाक्टर सतीश कुमार लंबे समय से दिल्ली 'हिन्दुस्तान' के लिए खबरें किया करते थे, इसलिए वे भी इस टीम में शामिल माने गए। हमारा नेतृत्व ब्यूरो चीफ शेखर कपूर करते थे। बाद में ए.के.लारी भी आए। दुबे जी जब भी बनारस आते, लारी जी और रंजीत गुप्त उनके साथ होते। दुबे जी इनके साथ किसी पंडित जी से भी मिलने जाते। कई बार ये भी कहा जाता कि जल्द ही रंजीत गुप्त भी हमारे साथ आ जाएंगे जो उन दिनों 'राष्ट्रीय सहारा' में थे लेकिन ऐसा हुआ नहीं।
अखबार की डेड लाईन बनी घोड़े की लगाम
ग्रामीण पत्रकारिता में अखबार की डेड लाईन का बड़ा महत्त्व है। बाई लाईन खबर के तो क्या कहने ! मजा ही मजा ! नाम भी पहचान भी बहुत करीबियों से मिलता सम्मान भी। उसी से जाना जाता है कि खबर कहां से लिखी गई। जब पत्रकार की डेड लाईन न हो तो वह पत्रकार है या कोई पीड़ित आम जन यह उसके लिए आत्म ग्लानि का विषय होता है। संस्थान ग्रामीण पत्रकारों की डेड लाईन बन्द कर उनको सजा देकर मानसिक रूप से प्रताड़ित करते हैं।
अरविंद केजरीवाल ने किया मेक इंडिया नं-1 पत्रिका का विमोचन
पटना- दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली में आम आदमी पार्टी मीडिया सेल, बिहार द्वारा निर्मित पत्रिका, ‘‘मेक इंडिया नं-1’’ का विमोचन अपने कर कमलों से किया। ‘मेक इंडिया नंबर-1’ की परिकल्पना दिल्ली के मुख्यमंत्री एवं आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल की दूरस्त परिकल्पना है। इस पत्रिका में भारत को दुनिया का नंबर वन राष्ट्र बनाने की परिकल्पना एवं प्रयासों के संबंध में विस्तृत रूप से चर्चा की गयी है।
भड़ास पर नामज़द खबर देख पब्लिक ऐप के ग्रुप एडमिन (एसाइनमेंट)ने बगैर सूचना के ग्रुप से निकाला
Sudhir Awasthi -
asudhir81@gmail.com
अपने आप को सर्वश्रेष्ठ न्यूज ऐप के रूप में बताकर मियां मिट्ठू बन कर झूठी वाहवाही लूटने की आदतों में सुमार हो चुके public न्यूज ऐप ने पिछले काफी लंबे अर्से से अपने रिपोर्टर को महज रिपोर्टर नहीं बल्कि विज्ञापन का दलाल बनाने पर जुटा हुआ है।
पटना में युवा पत्रकारों का बनाया हुआ झोपड़ी का कार्यालय पटना नगर गिगम ने हटवाया...
Abhishek Kumar Singh
64singh@gmail.com
बशीर बद्र की एक पंक्ति है...लोग टूट जाते हैं एक घर बनाने में तुम तरस नहीं खाते बस्तियाँ जलाने में..आपलोग भी सोच रहे होंगे मुझे बशीर बद्र साहब की याद क्यों आ गई.. दरअसल आज हमारे सभी भाइयों की मेहनत से बनाई हुई झोपड़ी उजड़ गई...पटना के वीरचंद पटेल मार्ग स्थित राजद कार्यालय के पास युवा पत्रकारों ने कोरोना काल में बैठने के लिए 10 बाई 10 की एक झोपड़ी बनाई थी...
देश के नंबर वन अखबार में अगडे पिछड़े की राजनीति में अखबार का बेड़ा गर्क, लगातार गिरावट रहा प्रसार
देश के नंबर वन अखबार के धनबाद कार्यालय से मिल रही जानकारी के मुताबिक संताल के साहिबगंज, पाकुड, गोड्डा, देवघर जैसे संस्करण को भागलपुर मे पारमार्जित किए गए हैं। ये सभी संस्करण अब यहां संपादित और प्रकाशित किए जाएंगे। इधर धनबाट से अजय पांडे, दिलिप दास(कायस्थ), वीरेंद्र पांडेय, विनय सिंह, शैलेन्द्र मिश्रा सहित कई लोगों का स्थानांतरण भागलपुर किया गया है।
इस धोखाधड़ी के लिए किस संस्था को ज़िम्मेदार ठहराया जाए?
sandeep kumar
journalistkumar899@gmail.com
ग़ाज़ियाबाद ज़िले में साहिबाबाद के लाजपत नगर इलाक़े से साइबर फ़्रॉड की एक बहुत बड़ी वारदात सामने आई है…जालसाजी की शुरुआत कैनरा बैंक के कर्मचारी ने की….और उसके साथ कुछ और लोगों ने मिलकर 5 लाख से ज़्यादा का साइबर फ़्रॉड किया ….15 जुलाई को पीड़ित ने कैनरा बैंक के हेल्पलाइन नंबर पर एफ़डी की डुप्लीकेट कॉपी लेने के लिए फ़ोन किया…तो उधर से एक लिंक व्हॉट्सएप पर भेजकर उसमें डीटेल्स भरने के लिए कहा गया…
प्रजातंत्र टीवी जिंगा OTT पर लॉन्च हो चुका है, अब चंद दिनों के बाद जिओ टीवी और जिओ फायबर भी दिखेगा।
प्रजातंत्र टीवी न्यूज़ चैनल सीधी व साहसिक पत्रकारिता के लिए खड़ा हो रहा है । प्रजातंत्र टीवी टीम की यह कोशिश होगी कि वह हर दर्शक की उम्मीदों पर खरा उतरे। चैनल उन खबरों को लोगों तक प्राथमिकता के साथ पहुंचाएगा जो खबरिया चैनल नहीं दिखा पाते हैं. रिपोर्टर्स के माध्यम से न्यूज चैनल छोटे-छोटे शहरों और गांवों की महत्वपूर्ण खबरों को दर्शकों तक पहुंचाएगा. प्रजातंत्र टीवी न्यूज़ चैनल सेटेलाइट मल्टीसिस्टम ऑपरेटर्स के साथ-साथ कई प्लेटफॉर्म्स पर भी उपलब्ध होगा, क्योंकि प्रजातंत्र टीवी की टीम का लक्ष्य प्रजा की आवाज बनना है कौशलेन्द्र प्रताप सिंह के प्रधान संपादकत्व में प्रजातंत्र टीवी न्यूज़ चैनल कुछ ही दिनों में लॉन्च हो रहा है प्रजातंत्र टीवी जिंगा OTT पर लॉन्च हो चुका है अब चंद दिनों के बाद जिओ टीवी और जिओ फायबर भी दिखेगा एडिटर इन चीफ कौशलेन्द्र प्रताप सिंह ने बताया कि जिओ फायबर के बाद एयरटेल डीटीएच पर भी जल्द ही यह दिखेगा चैनल की लांचिंग की तैयारियाँ जोरों पर है। दिल्ली में लांचिंग कार्यक्रम रखा जायेगा है।
बुंदेलखंड का बुंदेला परिवारःसियासी ताकत और पारिवारिक अदावत का घालमेल
अजय कुमार,लखनऊ
उत्तर प्रदेश के दक्षिण और मध्य प्रदेश के पूर्वाेत्तर में स्थित बंुदेलखंड आजकल काफी सुर्खियों में है. एक वजह है कि देश की राजधानी दिल्ली से सटी औद्योगिक नगरी नोएडा के गठन के 47 वर्ष बाद उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने नोयडा की ही तर्ज पर बुंदेलखंड का विकास करने के लिए इस क्षेत्र में नोयडा से भी आकार में बड़ा एक और नया औद्योगिक शहर बनाने का निर्णय लिया है.बुंदेलखंड औद्योगिक विकास प्राधिकरण (बीडा) के नाम से नया औद्योगिक शहर झांसी-ग्वालियर मार्ग बसाया जाएगा.योगी सरकार द्वारा 12 सितंबर 2023 को कैबिनेट की बैठक में इसे मंजूरी दे दी गई.खास बात ये है कि बीडा का आकार नोएडा से भी बड़ा होगा. नोएडा का गठन 13 हजार हेक्टेयर जमीन से किया गया था. बीडा का गठन करीब 14 हजार हेक्टेयर जमीन से किया जा रहा है.बीडा के लिए सरकार पहले चरण में 5000 करोड़ रुपये की राशि देगी.योगी सरकार का यह फैसला निश्चित ही तौर पर मील का पत्थर साबित होगा.इससे रोजगार के अवसर बढेगें तो क्षेत्र में खुशहाली आयेगी.
15.9.23
कानपुर जर्नलिस्ट क्लब ने हिंदी दिवस पर गोष्ठी का किया आयोजन
कानपुर : 14 सितम्बर हिन्दी दिवस के उपलक्ष्य में शनिवार को अशोक नगर स्थित कानपुर जर्नलिस्ट क्लब के तत्वावधान में हिन्दी भाषा के अधिकाधिक प्रयोग भाषायी सरलीकरण के लिए परिचर्चा की गयी जिसकी अध्यक्षता वरिष्ठ पत्रकार कुमार त्रिपाठी ने की जहाँ वक्ताओं ने कहा कि हिन्दी भाषा के चलन में काफी व्रद्धि हुई है लेकिन अभी भी हिन्दी के उन्नयन में सार्थक प्रयासों की जरूरत है। वही वरिष्ठ पत्रकार कैलाश अग्रवाल ने कहा कि हिंदी भाषा के जो विद्यालय है उनमें पढ़ाई का स्तर सुधारने के लिए कलम के माध्यम से पत्रकार उपयुक्त माहौल बनाये ताकि अभिवावकों में अंग्रेजी भाषा के स्कूल कालेजो में बच्चों को पढ़ाने की विवशता न हो।
वंशवाद का हंगामा क्यों है वरपा
केपी सिंह-
लोग आश्चर्यचकित हैं कि इन सयानों को अचानक वंशीय शासन का भूत क्यों सताने लगा है जबकि पिछले 42 वर्षों से देश में कोई भी ऐसा नेता प्रधानमंत्री नहीं बना जिसकी जड़ें किसी वंश परम्परा में ढूंढी जा सकें। इस दौरान तो एक पूरी पीढ़ी बचपन से जवानी का दौर पूरा करते हुये बुढ़ापे में प्रवेश कर चुकी है और एक बिल्कुल नयी पीढ़ी मैदान में आ गयी हैं। सो इन पीढ़ियों को ऐसे किसी खतरे की सुध क्यों हो। लोकतंत्र में निश्चित अंतराल के बाद होने वाले चुनावों में सत्ता को जनता जनार्दन के सामने परीक्षा देनी पड़ती है जिसमें मुख्य रूप से उसका आकलन इस आधार पर होता है कि उसने बेरोजगारी, महंगाई, लोगों की आर्थिक बदहाली दूर करने और समाज में खुशगवार माहौल कायम करने के उद्देश्य को किस हद तक सफल किया। यह मौलिक मुद्दे अगले चुनाव के केन्द्र में भी हैं लेकिन इन पर डट कर जबाव देने की तैयारी करने की बजाय ऐसे मुद्दे प्लांट करने की कसरत की जा रही है जो स्वाभाविक तौर पर लोगों के चिंतन में हो ही नहीं सकते। इसमें सहायक बनकर मीडिया का एक वर्ग अपनी जगहसाई करा रहा है। जी हां बात हो रही है आज एक प्रमुख हिंदी दैनिक में पटना के एक पत्रकार के प्रकाशित आलेख की जो अपनी युवावस्था में बिहार की राजनीति के बारे में धारदार खबरें देने के लिये विख्यात थे लेकिन आज सत्ता प्रतिष्ठान के खबरची की भूमिका अदा करके संतोष का अनुभव कर रहे हैं।
मजीठियाः अब रिव्यू में हारा जागरण, 20जे की ढाल काम ना आई, कैटेगरी पर दिखाया आईना, लगाया जुर्माना
साथियों, इलाहाबाद हाईकोर्ट से आज एक बड़ी खबर आई है। रिकवरी के मामले में सिंगल बेंच और डबल बेंच में हारने के बाद दैनिक जागरण ने सिंगल बेंच के ऑर्डर के खिलाफ रिव्यू पेटिशन डाली थी। जिसे माननीय अदालत ने मैरिट के आधार पर खारिज करके जागरण को बड़ा झटका दिया है। अदालत ने 20 जे को ढाल बनाने वाली कंपनियों पर टिप्पणी की और साथ ही कैटेगरी के मुद्दे पर एक कदम और आगे जाते हुए रिक्वासिफिकेशन पर भी स्थिति साफ कर दी। 20जे और कंपनी की कैटेगरी/क्वासिफिकेशन में यह आदेश अन्य साथियों के लिए भी काफी काम का है। आज के रिव्यू और इससे पहले का आदेश सभी साथियों को अपने वकीलों को उपलब्ध करवा देना चाहिए।
'स्वतन्त्रता सेनानी रामचन्द्र नन्दवाना स्मृति सम्मान' अवधेश प्रधान को
चित्तौड़गढ़। साहित्य संस्कृति के संस्थान संभावना द्वारा 'स्वतन्त्रता सेनानी रामचन्द्र नन्दवाना स्मृति सम्मान' की घोषणा कर दी गई है। संभावना के अध्यक्ष डॉ के सी शर्मा ने बताया कि वर्ष 2023 के लिए 'स्वतन्त्रता सेनानी रामचन्द्र नन्दवाना स्मृति सम्मान' बनारस निवासी प्रसिद्ध आलोचक अवधेश प्रधान को उनकी चर्चित कृति 'सीता की खोज' के लिए दिया जाएगा। डॉ शर्मा ने बताया कि प्रधान की यह कृति भारतीय साहित्य की सुदीर्घ परम्परा में सीता जैसे कालजयी चरित्र का विशद अध्ययन है जिसमें संस्कृत साहित्य से लगाकर लोक साहित्य तक व्याप्त सीता के चरित्र का सिंहावलोकन है। वाराणसी निवासी वरिष्ठ हिंदी साहित्यकार प्रो काशीनाथ सिंह, भोपाल निवासी वरिष्ठ हिंदी कवि राजेश जोशी और जयपुर निवासी वरिष्ठ लेखक डॉ दुर्गाप्रसाद अग्रवाल की चयन समिति ने सर्व सम्मति से इस कृति को सम्मान के योग्य पाया। काशीनाथ सिंह ने वक्तव्य में कहा कि प्रो.अवधेश प्रधान आधुनिक,मध्यकालीन और पौराणिक साहित्य के गम्भीर अध्येता हैं। अनंत रामकथाओं में से सीता के उज्ज्वल चरित्र को खोज निकालना अनूठा कार्य है। उन्होंने कहा कि प्रधान जी की खोज से असहमत तो हुआ जा सकता है,उसे अनदेखा या उसकी उपेक्षा नही की जा सकती। इसके पीछे उनका गहन श्रम है और दृष्टि भी। राजेश जोशी ने अपने वक्तव्य में कहा कि अवधेश प्रधान जैसे विद्वान मध्यकालीन और आदिकालीन भारतीय साहित्य का जिस तरह पुनरावलोकन करते हैंवह हम सबके लिए बहुत उपयोगी और ज्ञानवर्धक है। डॉ दुर्गाप्रसाद अग्रवाल ने अपनी अनुशंसा में कहा कि पांडित्य और गहन शोध के साथ प्रधान जी की सहज-सरल भाषा इस कृति को अविस्मरणीय बनाती है। उन्होंने कहा कि उनका अध्ययन काशी की ज्ञान परम्परा का नया सोपान है।
हिन्दी दिवस को अनुष्ठान के रूप में नहीं, उत्सव की तरह मनाया जाना चाहिए
सप्रेम संस्थान द्वारा हिन्दी दिवस के अवसर पर कला लेखन में हिन्दी के महत्त्व पर विशेष टेलिफोनिक बातचीत ।
भूपेंद्र कुमार अस्थाना-
लखनऊ, 14 सितम्बर 2023, हिन्दी सिर्फ एक भाषा ही नहीं, बल्कि एक अभिव्यक्ति है। हिन्दी का व्यक्तित्व वर्णमाला में काफी विशाल है। हिन्दी में ही वह सामर्थ्य है कि संसार की किसी भी बोली और भाषा को ज्यों का त्यों लिखित रूप दे सकती है। अब बात आती है कला साहित्य में लेखन की तो साहित्य में तो बहुत हिन्दी लेखन हुआ और हो भी रहा है। लेकिन कला के क्षेत्र में ख़ास तौर पर दृश्यकला में इसका विशेष अभाव रहा है। अमूमन साहित्यकार, कवि इस विधा में जो भी लेखन किया है वही रहा है कलाकारों की अपेक्षा साहित्यकार का योगदान ज्यादा रहा है। हालांकि आज कुछ कलाकार कला समीक्षक इस विधा में भी लेखन कार्य कर रहे हैं लेकिन कम है। हिंदी में कला पर पुस्तकें भी कम हैं अंग्रेजी की अपेक्षा। हिन्दी हमें आमजन तक पहुंचाती है। इसीलिए हिन्दी कला लेखन और संवाद कला को आमजन तक पहुंचाने में एक सीमा तक सहायक रहा है। वहीं कला विद्यार्थीयों ,अध्येताओं आदि के लिए भी कला इतिहास और समकालीन कला पर हिन्दी पुस्तकें महत्वपूर्ण रहती हैं।कला विकास के लिए हिन्दी एक उपयोगी भाषा है। हाँ, इस पर और गंभीर स्तर पर काम होना शुभकारी रहेगा। आर्ट क्यूरेटर, कला लेखक भूपेंद्र कुमार अस्थाना ने कहा कि गुरुवार को हिन्दी दिवस के अवसर पर सप्रेम संस्थान और अस्थाना आर्ट फ़ोरम की तरफ से विषय - कला लेखन और आम आदमी तक कला पहुंचाने में हिंदी का महत्व और वर्तमान परिदृश्य में हिन्दी कला लेखन,समीक्षा में हिंदी का क्या महत्व है ? पर कुछ कलाकारों, कला लेखकों के विचार संग्रह करने की कोशिश की गयी। यह संग्रह टेलीफोनिक माध्यम से किया गया। जिसमें देश के अनेक हिंदी भाषा में लिखने वाले कला लेखकों, कलाकारों ने अपने विचार साझा किया।
हैपी हिन्दी दे
अरुण श्रीवास्तव-
सभी हिंदी भक्तों, हिन्दी प्रेमियों, हिन्दी आधारित कवियों और हिन्दी को राष्ट्र भाषा घोषित करने/कराने में दिन रात एक करने वालों को भी ... "हैपी हिन्दी डे" (आखिर इतना तो अधिकार उनका भी बनता है) हिन्दी के मास्साब इस बार क्षमा करेंगे .. उन्हें हाल ही (5 सितंबर शिक्षक दिवस पर) बधाई दी जा चुकी है। हालांकि यह बात अलग है कि अपने अंडर में शोध करने वाले छात्र का लिखा अपने नाम छपवाने वाले गुरुजी के नाम पर हम शिक्षक दिवस मनाते आ रहे हैं।
14.9.23
ज़ाकिर हुसैन कॉलेज में भारत-अफ़्रीका संबंधों को लेकर दो दिनों परिचर्चा की शुरुआत
दिल्ली, 14 सितम्बर, 2023
भारत की अध्यक्षता में संपन्न हुए जी 20 के आयोजन की उपलब्धियों और संदेशों को आम जन तक पहुँचाने के लिए दिल्ली विश्वविद्याल की कल्चरल काउंसिल ने अलग अलग कॉलेज़ों के साथ मिलकर कार्यक्रम करवाने का फ़ैसला किया। इसके तहत आज ज़ाकिर हुसैन दिल्ली कॉलेज(इवनिंग) में भारत-अफ़्रीका के संबंधों को लेकर दो दिनों की परिचर्चा की शुरुआत हुई। आयोजन की शुरुआत भारत की विदेश राज्यमंत्री श्रीमती मीनाक्षी लेखी ने इस बात को रेखांकित किया कि जी 20 के इस आयोजन के दौरान अफ्रीकी देशों को आमंत्रित देश का दर्जा देना बहुत बड़ी शुरुआत है।
12.9.23
वामपंथी पार्टियों के पत्र के बाद बागेश्वर की जिलाधिकारी अनुराधा पाल के खिलाफ जांच के आदेश
राजकुमार सिंह परिहार-
वामपंथी नेताओं की शिकायत पर बागेश्वर की जिलाधिकारी अनुराधा पाल के खिलाफ जांच के आदेश। मुख्य निर्वाचन अधिकारी उत्तराखंड, डॉ वी षणमुगम ने कुमाऊँ कमिश्नर को दिये जांच के आदेश।
11.9.23
जी-20 में आयीं फर्स्ट लेडी को बस्तर की महिलाओं की ओर से मिलेट का उपहार
फर्स्ट लेडी ने बस्तर की महिला किसानों के मिलेट से बने लड्डू का लिया स्वाद
महिलाओं ने बस्तर आने का दिया निमंत्रण
रायपुर। बस्तर का मिलेट विशेषकर रागी से बने लड्डू जी-20 में आये राष्ट्राध्यक्षों और उनकी पत्नी को काफ़ी भाया। अवसर था जी-20 देशों में भाग लेने वाले प्रमुखों की प्रथम महिलाओं और जीवनसाथियों को 9 सितंबर को पूसा रोड पर आईएआरआई परिसर में एक कृषि प्रदर्शनी के लिए विशेष निमंत्रण दिया गया।
सर मेरी बात मुख्यमंत्री योगी जी तक पहुंचा दो, देवरिया के अधिकारी सुन नहीं रहे हैं!
opl Srivastava-
देवरिया 11 सितंबर। सर मेरी बात मुख्यमंत्री योगी जी तक पहुंचा दो। जी हां यह बात एक पढ़ी-लिखी लेकिन मजबूर एवं विवश महिला की है क्योंकि उत्तर प्रदेश की देवरिया जिले में प्रशासनिक अधिकारी बे लगाम हो गए हैं उनको ना तो लखनऊ में बैठे वरिष्ठ उच्च अधिकारियों का डर है और ना ही योगी जी का।
Stop ED director from new enquiry, SC urged
National president of Azad Adhikar Sena Amitabh Thakur has sent a letter petition to the Chief Justice of India praying before him to immediately stop ED director Sanjay Mishra from initiating any new enquiry.
पर्युषण महापर्व 12 सितम्बर से प्रारम्भ, आठ दिन हरि सब्ज़ियों का करेंगे त्याग
जैन धर्म के प्रमुख महापर्व पर्युषण 12 सितम्बर से प्रारम्भ होंगें जो कि 19 सितम्बर को “संवत्सरी महापर्व” (क्षमापर्व) के दिवस के साथ पूर्ण होंगे। श्रमण डॉ पुष्पेन्द्र ने बताया कि देश के विविध अंचलों चातुर्मासरत श्रमण - श्रमणियों के पावन सान्निध्य में जैन धर्मावलम्बि तप - त्याग - साधना - आराधना पूर्वक 8 दिवस इस महापर्व को मनाएगें। इन अष्ट दिवसों में जैन अनुयायियों के मुख्यतया पांच प्रमुख अंग हैं स्वाध्याय, उपवास, प्रतिक्रमण, क्षमायाचना और दान.
10.9.23
गीताश्री की किताब 'बलम कलकत्ता'
संदीप तोमर-
पुस्तक का नाम: बलम कलकत्ता
लेखक: गीताश्री
प्रकाशन वर्ष: 2021
मूल्य : 201 रुपए
प्रकाशक: प्रलेक प्रकाशन प्राइवेट लिमिटेड
बिहार के मुजफ्फरपुर में जन्मी गीताश्री एक प्रतिष्ठित पत्रकार हैं, जिन्होंने सर्वश्रेष्ठ हिंदी पत्रकार (वर्ष 2008-2009) के लिए रामनाथ गोयनका पुरस्कार भी जीता है। अब तक उनके दस कहानी संग्रह, पाँच उपन्यास, स्त्री-विमर्श पर चार शोध पुस्तकें प्रकाशित हैं, चोदह किताबों का सम्पादन-संयोजन भी उनके नाम दर्ज है। वाणी प्रकाशन द्वारा प्रकाशित उनकी पुस्तक 'भूत-खेला' एक चर्चित किताब रही है। अपनी इस पुस्तक के लिए उन्होंने बहुत सारे शोध किए। शिवना प्रकाशन से कथाकार गीताश्री के सम्पादन में रेखाचित्रों का एक महत्त्वपूर्ण संग्रह भी प्रकाशित हुआ था- ‘रेखाएँ बोलती हैं’। शहरगोई (संस्मरण) भी इसी वर्ष प्रकाशित रचना है।
बसपा अकेले के चक्कर में वोटकटुआ पार्टी बनकर न रह जाये
संजय सक्सेना, लखनऊ
उत्तर प्रदेश के मऊ जिले की घोसी विधानसभा सीट का नतीजा भारतीय जनता पार्टी से कहीं अधिक बहुजन समाज पार्टी के लिए खतरे की घंटी नजर आ रहा है.घोसी में वोटिंग से चंद घंटे पहले बसपा सुप्रीमों मायावती ने जिस अलोकतात्रिक तरीके से अपने वोटरों से वोट नहीं देने या फिर नोटा का बटन दबाने का आहवान किया था उसे दलित वोटरों ने पूरी तरह से खारिज कर दिया और समाजवादी पार्टी के पक्ष में खुलकर मतदान किया.यदि ऐसा न होता तो घोसी में समाजवादी पार्टी को इतनी बड़ी जीत कभी नहीं मिलती.समाजवादी पार्टी बसपा के दलित वोट बैंक को अपने में मिलने के लिए काफी समय से हाथ-पैर मार रही थी,उसका यह सपना काफी हद तक घोसी में पूरा हो गया.बसपा सुप्रीमों को यह समझना होगा कि एक बार दलित वोटर ने उनसे किनारा कर लिया तो दोबारा वापसी असंभव नहीं तो मुश्किल जरूरी हो सकती है.वैसे भी दलित वोटर अपने लिये नये सियासी ठिकाने की तलाश कर रहा था.इसकी सबसे बड़ी वजह है मायावती का राजनीति से मोहभंग होना.बसपा सुप्रीमों अब राजनीति में काफी कम समय देती हैं.पार्टी के पुराने नेताओं ने भी बसपासे दूरी बना ली है. घोसी उपचुनाव के नतीजे ने बसपा के अकेले लोकसभा चुनाव लड़ने के अरमानों को भी बड़ा झटका दिया है.अच्छा होता कि बसपा घोसी चुनाव से दूरी नहीं बनाती,इससे बसपा को कम से कम अपने वोट बैंक में बिखराव तो नहीं देखने को मिलता.मायावती का चुनाव नहीं लड़ने के फैसले पर इस लिए भी उंगली उठ रही है क्योंकि कुछ समय पूर्व आजमगढ़ लोकसभा उप-चुनाव में बसपा ने शानदार प्रदर्शन किया था,भले वह चुनाव नहीं जीत पाई थी,लेकिन दलितों के साथ-साथ मुस्लिम वोटरों ने भी उसके पक्ष में बड़ी तादात में मतदान किया था,जिसके चलते सपा तीसरे नंबर पर सिमट गई थी.अच्छा होता मायावती आजमगढ़ से निकले टेंªड को घोसी में भी अपना प्रत्याशी उतार कर पार्टी के लिए दलित-मुस्लिम वोट बैंक की संभावनाएं बरकरार रखती,लेकिन बसपा की गैरमौजूदगी में हुए चुनाव में कांग्रेस समर्थित सपा की जीत से अगले वर्ष होने वाले लोकसभा चुनाव में पिछड़ो-दलितों और अल्पसंख्यकों(पीडीए) का समाजवादी पार्टी या आइएनडीआइए की तरफ झुकाव बढ़ने के प्रबल आसार हैं.
इण्डिया बनाम भारत विवादः बात निकली है तो जायेगी दूर तलक
केपी सिंह-
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने चिर परिचित स्वभाव के अनुरूप फिर एक नये विवाद को छेड़ डाला है। अभी तक उन्हें इण्डिया शब्द बहुत प्रिय लगा करता था। उन्हें लगता था कि भारत की बजाय इण्डिया कहने में ज्यादा स्मार्ट बोध है। इण्डिया से उनके नारों में टंकार भी अच्छी बन जाती थी। विपक्ष द्वारा अपने गठबंधन का नाम इण्डिया करने के पहले उन्हें रोज इण्डिया नाम जुड़े स्लोगन को गढ़ने की लत सी लगी हुयी थी। मेक इन इण्डिया, जीतेगा इण्डिया और न जाने कितने स्लोगन की फेहरिस्त है जो मोदी ने बड़े उमंग से गढ़े थे। लेकिन अब उन्हें इण्डिया से एलर्जी हो गयी है। हर जगह अंग्रेजी में भी लिखा जा रहा है तो इण्डिया की बजाय भारत जबकि यह अभी तक रहे रिवाज के विपरीत है। अन्य देशों ने भी मोदी की मर्जी देखते हुये इसका अनुकरण शुरू कर दिया है। विपक्ष पूंछ रहा है कि क्या कल को वे अपने गठबंधन का नामकरण इस तरह कर लें कि उसका संक्षिप्त नाम भारत हो जाये तो मोदी भारत नाम को भी बदल डालेंगे। कांग्रेस नेता शशि थरूर ने इस मामले में बीजेपी की बड़ी प्यारी चुटकी ले डाली है।
बुनियादी चिंताओं का प्रतिनिधित्व करती है नंद बाबू की रचनाएं : प्रोफेसर हाड़ा
उदयपुर में नन्द चतुर्वेदी की जन्म शताब्दी पर आयोजन
उदयपुर । प्रसिद्ध समाजवादी कवि और साहित्यकार नंद चतुर्वेदी की रचनाएं मूलतः समाज के उन सभी पक्षों का प्रतिनिधित्व करती है, जो आधुनिक समाज में परिलक्षित हो रही है. इन रचनाओं में जहां एक ओर स्त्री के प्रति चिंता है तो दूसरी ओर समाज के प्रत्येक वर्ग के प्रति संवेदनशीलता, राजनीति और आधुनिकता पर कटाक्ष है तो मानवतावादी चिंतन का प्रतिनिधित्व भी. उक्त विचार राजस्थान साहित्य अकादमी, उदयपुर और विद्या भवन रूरल इंस्टीट्यूट के हिंदी विभाग के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित साहित्यिक संगोष्ठी “नंद चतुर्वेदी : साहित्यिक मंथन” विषय पर मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए प्रख्यात समीक्षक प्रोफेसर माधव हाडा ने व्यक्त किए.
पुस्तक समीक्षा - राजेन्द्र अवस्थी की कविताएँ
डॉ- शिवशंकर अवस्थी
महासचिव, ऑथर्स गिल्ड ऑफ इंडिया
मेरे पिताजी डॉ- राजेन्द्र अवस्थी ने अपनी साहित्यिक यात्र का प्रारम्भ एक कवि के रूप में किया था। ये जबलपुर तथा नागपुर के उनके युवा दिन थे। कवि सम्मेलनों में भाग लेना उनकी आदत में शुमार था। नागपुर में वे दैनिक नवभारत में साहित्य संपादक और नागपुर साहित्य सम्मेलन के मंत्री थे तथा कवि सम्मेलनों के संयोजन-संचालन में पारंगत थे। तब वे राजेन्द्र प्रसाद अवस्थी ‘तृषित’ के नाम से लिऽा करते थे। समय बीतता गया और वे राजेन्द्र प्रसाद अवस्थी तृषित से मात्र राजेन्द्र अवस्थी रह गए। यह परिवर्तन अथवा रूपांतरण उनकी गांव और शहर और फिर शहर से महानगर की यात्र का भी संकेतक है। हमारा परिवार नागपुर से बम्बई गया और फिर दिल्ली आकर हम यहां बस गए। पिताजी ने फिर मुड़कर नहीं देऽा। बहुत कम ही ऐसा अवसर आया कि वे नागपुर या जबलपुर गए। शहर से महानगर की उनकी यात्र-प्रक्रिया का प्रभाव उनकी रचनात्मक दृष्टि पर भी पड़ा, पद्य छूटता गया और गद्य उनकी प्राथमिकता हो गया। लेकिन गद्य में भी काव्य की कमनीयता बनी रही। उनका कवि हृदय कभी सुप्त नहीं हुआ, वह जीवंत रहा, वे लिऽते रहे।
दल बदलू नेता बनने से नहीं चलेगा काम
Aman Pandey-
बीते 5 सितंबर को 6 राज्यों के 7 विधानसभा सीटों के लिए उपचुनाव हुए। नतीजतन 8 सितंबर की शाम होते-होते उपचुनाव के नतीजे भी डिक्लीयर हो गए। 7 सीटों में से 3 बीजेपी जबकि 4 सीटों पर विपक्ष पार्टियों की झोली में गए। सबसे ज्यादा जिस सीट को मीडिया ने तवज्जो दी वो है उत्तर प्रदेश के मऊ जिले की घोसी विधानसभा सीट। सपा के सुधाकर सिंह ने बीजेपी के दारा सिंह चौहान को 40 हजार से अधिक वोटों के बड़े अंतर से हराया। लेकिन घोसी की हार को समझना भी अत्यन्त जरूरी।
9.9.23
छत्तीसगढ़ सरकार ने धान खरीदी का रिकॉर्ड बनाया, इस साल 125 लाख मीट्रिक टन धान खरीदी की आशा : मुख्यमंत्री भूपेश बघेल
अच्छी बारिश हो रही, उत्पादन भी अच्छा होने की उम्मीद : मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल
मुख्यमंत्री ने गोधन न्याय योजना के हितग्राहियों को 23.93 करोड़ रूपए का किया भुगतान
गोबर विक्रेताओं को 5.36 करोड़, स्व-सहायता समूहों एवं गौठान समितियों को 2.77 करोड़ रूपए का भुगतान
स्व-सहायता समूहों और सहकारी समितियों को अतिरिक्त प्रोत्साहन राशि के रूप में 13.55 करोड़ रूपए का भुगतान
रायपुर, 09 सितम्बर 2023/मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने शनिवार को मुख्यमंत्री निवास कार्यालय से गोधन न्याय योजना के अंतर्गत ऑनलाईन राशि वितरण कार्यक्रम में हितग्राहियों के बैंक खातों में 23 करोड़ 93 लाख रूपए अंतरित किए। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि इस साल बारिश अच्छी हो रही है और उत्पादन भी अच्छा होने की उम्मीद है। हमारी सरकार हर साल धान खरीदी का रिकॉर्ड बनाया है। इस साल हमें आशा है कि 125 लाख मीट्रिक धान खरीदी की जाएगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार ने इस बार भी छत्तीसगढ़ से चावल खरीदी का कोटा घटा दिया है, हमारे बारदाने का कोटा भी कम कर दिया है। मैंने इस संबंध में केंद्र सरकार को पत्र लिखकर आग्रह किया है।
हीरक जयंती पर रायपुर मेडिकल कॉलेज को मिला उपहार, मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने मेडिकल कॉलेज के 700 बिस्तर क्षमता वाले नए चिकित्सालय भवन का किया भूमिपूजन
मुख्यमंत्री ने हीरक जंयती समारोह का किया शुभारंभ
छत्तीसगढ़ की स्वास्थ्य मशीनरी हर संकट से निपटने के लिए तैयार – श्री भूपेश बघेल
रायपुर मेडिकल कॉलेज में जीनोम सिक्वेन्सिंग लैब शुरू होगा
रायपुर. 9 सितम्बर 2023. मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने आज रायपुर के पंडित जवाहर लाल नेहरू चिकित्सा महाविद्यालय में 700 बिस्तर क्षमता वाले नए एकीकृत चिकित्सालय भवन का भूमिपूजन किया। चिकित्सा महाविद्यालय से संबद्ध अस्पताल के लिए 322 करोड़ रुपए की लागत से आधुनिक सर्वसुविधायुक्त चिकित्सालय भवन का निर्माण शीघ्र प्रारंभ होगा। मुख्यमंत्री श्री बघेल ने मेडिकल कॉलेज ऑडिटोरियम में महाविद्यालय के हीरक जयंती समारोह का शुभारंभ भी किया। आज से ठीक 60 साल पहले 9 सितम्बर 1963 को रायपुर के शासकीय मेडिकल कॉलेज की स्थापना हुई थी। उप मुख्यमंत्री तथा स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा मंत्री श्री टी.एस. सिंहदेव, संसदीय सचिव श्री विकास उपाध्याय, छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेस कॉर्पोरेशन के अध्यक्ष डॉ. प्रीतम राम, छत्तीसगढ़ गृह निर्माण मंडल के अध्यक्ष श्री कुलदीप जुनेजा, विधायक श्री सत्यनारायण शर्मा, महापौर श्री एजाज ढेबर, रायपुर नगर निगम के सभापति श्री प्रमोद शर्मा और रायपुर जिला पंचायत की अध्यक्ष श्रीमती डोमेश्वरी वर्मा दोनों कार्यक्रमों में शामिल हुईं।
8.9.23
पुस्तक समीक्षा - पांव ज़मीन परः लोक जीवन की लय का स्पंदन
मोहन सपरा-
कवि-कथकॎार-आलोचक शैलेन्द्र चौहान का संस्मरणात्मक उपन्यास उर्फ़ कथा रिपोर्ताज ‘पांव ज़मीन पर’ बोधि प्रकाशन जयपुर से प्रकाशित हुआ है। लोक जीवन की लय को स्पंदित और अभिव्यक्त करती शैलेन्द्र चौहान की कथा रिपोर्ताज ‘पांव जमीन पर’ एक महत्वपूर्ण प्रस्तुति है। कवि कथाकार शैलेन्द्र का लेखन एक सचेत सामाजिक कर्म है। उनका चिन्तन प्रतिबद्धता का चिन्तन है। वह जन प्रतिबद्ध लेखक हैं। विवेच्य किताब में शैलेन्द्र चौहान ने भारतीय ग्राम्य जीवन की जो बहुरंगी तस्वीर उकेरी है उसमें एक गहरी ईमानदारी है और अनुभूति की आंच पर पकी संवेदनशीलता है। ग्राम्य जीवन के जीवट, सुख-दु:ख, हास-परिहास, वैमनस्य, खान-पान, बोली-बानी, रहन-सहन आदि को बहुत जीवंत रूप में प्रस्तुत किया है। यह सब मिलकर पाठक के समक्ष सजीव चित्र की सृष्टि करते हैं और चाक्षुष आनंद देते हैं। लोक जीवन का उत्सव इनमें कदम-कदम पर झलकता है।
मौत ऐसे करती है पीछा... बरसात से बचने के लिए पेड़ के नीचे खड़े हुए तो आकाशीय बिजली ने किया अंत, देखें तस्वीरें
DINESH KUMAR Jaiswal-
अयोध्या। इनायत नगर थाना क्षेत्र स्थित सिद्धनाथन मंदिर के पास बाइक से अपने घर वापस लौट रहे दो किशोरों की आकाशीय बिजली की चपेट में आने से दर्दनाक मौत हो गई है। घटना की जानकारी पाकर मौके पर पहुंची इनायतनगर पुलिस ने दोनों किशोर का शव कब्जे में लेकर पंचायत नामा कराने के उपरांत पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है। घटना के बाद दोनों किशोर के परिजनों में कोहराम मच गया है।
6.9.23
नवभारत टाइम्स द्वारा भास्कर की 2 दिन पुरानी खबर चोरी
महोदय, कृपया संलग्न 2 स्क्रीनशॉट का अवलोकन करने का कष्ट करें । नवभारत टाइम्स के NBT app पर आज सौरभ दीक्षित के नाम से सबसे ऊपर बैनर पर एक खबर लगाई गई है जो रविवार को दैनिक भास्कर के App, डिजिटल एडिशन और समाचार पत्र में प्रकाशित हो चुकी है। दैनिक भास्कर में 2 दिन पहले ये खबर नीरज झा के नाम से प्रकाशित है।
यूपी की करीब एक दर्जन सीटों ने बढ़ा रखी है बीजेपी की टेंशन
स्वदेश कुमार-
भारतीय जनता पार्टी के नेता भले ही सार्वजनिक रूप से अगले वर्ष होने वाले आम चुनाव में उत्तर प्रदेश की सभी 80 लोकसभा सीटों पर जीत का दावा कर रहे हों, लेकिन अंदर खाने की खबर यही है कि फिलहाल बीजेपी आलाकमान 68-70 सीटों से आगे जीत का अनुमान नहीं लगा पा रहा है.बीजेपी मुस्लिम बाहुल्य कुछ सीटों पर हमेशा से कमजोर रही है तो कई मौजूदा सांसद जनता के बीच अपनी खराब छवि के चलते पार्टी के लिए बोझ बन गए हैं.अब आलाकमान को यह तय करना है कि ऐसे सांसदों का क्या किए जाये जो इस बार बीजेपी के लिए जीत की गारंटी नहीं रह गए हैं.यह सब बातें बीजेपी के आंतरिक सर्वे में भी समाने आ चुकी हैं.इसी लिए पार्टी ने कुछ लोकसभा सीटों के प्रत्याशी बदलने का भी मन बना लिया है. सूत्र बताते हैंे कि पार्टी के आंतरिक सर्वे में करीब 16 सीटें ऐसी मिली हैं, जहां पर पार्टी की स्थिति अत्यंत कमजोर है। इन सीटों पर जीत के लिए पार्टी को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है,लेकिन अच्छी बात यह कि इन सीटों पर भी बीजेपी हार की संभावना के बीच भी लड़ती हुई नजर आयेगी. पार्टी के भीतर कुछ सांसदो का टिकट काटे जाने की चर्चा शुरू होते ही उन सांसदों ने दिल्ली से लेकर लखनऊ तक में बैठे अपने आकाओं के यहां दौड़ लगाना शुरू कर दिया है,जिनकी टिकट बंटवारे में अहम भूमिका रहती है.लेकिन बीजेपी आलाकमान इन सब बातों को अनदेखा करते हुए मिशन 80 पूरा करने में लगा है.
23.8.23
अब कोर्ट में महिलाओं के लिए बिन ब्याही मां, हाउसवाइफ और अफेयर जैसे शब्द नहीं चलेंगे
Rachana Priyadarshini-
- सराहनीय है सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला
आज सुबह-सवेरे जैसे ही मैंने अखबार हाथ में उठाया, तो सबसे पहले जिस खबर पर मेरी नजर गई, उसका शीर्षक था- "सुप्रीम कोर्ट ने लैंगिक रूढ़िवादिता से लड़ने के लिए लॉन्च किया हैंडबुक- अब कोर्ट में महिलाओं के लिए बिन ब्याही मां, हाउसवाइफ और अफेयर जैसे शब्द नहीं चलेंगे"
इस खबर पढ़ते ही दिल से एक आवाज आयी कि 'चलो, आखिरकार देर आये पर दुरुस्त आये...'
21.8.23
कल्याण सिंह की दूसरी पुण्यतिथि पर अलीगढ़ पहुंचे योगी और शाह ने क्या कहा...
अजय कुमार,लखनऊ
योगी आदित्यनाथ ने आज अलीगढ़ में पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह की द्वितीय पुण्यतिथि पर कहा 2024 की जनवरी में 500 वर्षों का इंतजार खत्म करके भगवान राम अपने मंदिर में विराजमान होंगे। बाबू जी की आत्मा भी कहेगी कि 1992 में जिसके लिए कुर्सी छोड़ी, वह सपना अब पूरा हुआ।
योगी ने कहा कि यूपी में डबल इंजन की सरकार है और विकास हो रहा है। काशी में कशी विश्वनाथ धाम बन रहा है। बाबू जी के नाम से कैंसर संस्थान का नाम है। बुलंद शहर में मेडिकल कॉलेज भी बाबू ज़ी कल्याण सिंह के नाम निर्माण कार्य चल रहा है। यहां प्रवेश की प्रक्रिया चल रही है।बीजेपी कल्याण सिंह की पुण्यतिथि को हिन्दू गौरव दिवस के रूप में मना रही है.
सीएम योगी आदित्यनाथ ने मंच से कार्यकर्ताओं से कहा कि बाबू जी की द्वितीय पुण्यतिथि को हिन्दू गौरव दिवस के रूप में मना रहे हैं। बाबूजी के द्वारा प्रदेश के विकास व सम्मान के लिए किये गए कार्यों के लिए श्रद्धांजलि देते हैं। 1991 में जब पहली बार प्रदेश में भाजपा की सरकार बनी तो प्रदेश के लोगों को इसका एहसास हुआ था। आज नाग पंचमी व विश्व उद्यमिता दिवस है। सभी व्यापारियों को बधाई। 1991 में बाबू जी ने यहां तालानगरी का गठन किया था। 2017 से अब सरकार ने विकास पर काम किया है। परम्परा के उद्योग को बढ़ाने के लिए काम किया है। वन डिस्ट्रिकट वन प्रोडेक्ट पर काम किया है।
इस मौके पर केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने अपने भाषण की शुरुआत भारत माता की जय के साथ की। उन्होंने कहा कि यूपी की 80 सीट भाजपा की झोली में डालने के लिए बोलिये जय श्री राम। भाजपा के वरिष्ठ नेता व राम भक्त कल्याण को श्रद्धांजलि देने आया हूं। देश के करोड़ों कार्यक्रताओं की और से श्रद्धांजलि देता हूं। जो लोग जानते हैं पिछड़े और गरीबों के प्रति कल्याण सिंह संवेदनशील थी। कोरोना के कारण मैं अस्पताल में था, जब राम मंदिर की नींव पीएम मोदी ने रखी थी।
अमित शाह ने कहा कि तब बाबू ज़ी ने फोन पर कहा था मेरा जीवन धन्य हो गया। बाबूजी ने पिछड़ों को आगे बढ़ाया। गरीबों का कल्याण किया, अब यही मोदी ज़ी कर रहे हैं। आवास, सिलेंडर दिए जा रहे हैं। मुफ्त राशन दिया जा रहा है। बाबू जी ने कभी जाति की बात नहीं की। लेकिन उन्होंने पिछड़ों को आगे बढ़ाया। अब मोदी भी यही कर रहे हैं। पिछड़ी जातियों को लाभ मिल रहा है। नीट में दाखिला दिया जा रहा है, पिछड़ा वर्ग से समान अधिकार दिया। मोदी ने अब गरीब कल्याण को आगे बढ़ाया। तीन कामों को किया। कांग्रेस आजादी के बाद मंदिर को लटका रही थी, भटका रही थी। पीएम मोदी ने जजमेंट लाकर बिना एक खून का कतरा बहाए मंदिर की नींव रखी। बाबू जी के जीवन में एक समय ऐसा आया कि बाबू जी ने कहा कि मैं गोली नहीं चलाऊंगा। भले कुर्सी चली जाए।
19.8.23
इतिहास सुधारने के पहले, ऐतिहासिक गलतियों को सुधारना होगा
हम विश्व की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होने का दावा ठोक रहे हैं और चंद्रमा के दरवाजे पर खड़े होकर दस्तक दे रहे हैं। हम विश्वगुरु के पद पर आसीन हैं। इतिहास का यह अमृतकाल है। सुनकर सचमुच अच्छा लगता है। लेकिन बस्तर में यहां पहुंच कर यह समझ में आने लगता है कि बहुचर्चित 'विकास' जी को इन आदिम बस्तरिया के इस टूटे फ़ूटे आंगन तक पहुंचने में अभी काफी वक्त है। विश्वगुरु की नजरे इनायत से भी ये मरहूम हैं, और 'अमृतकाल' नामक चिड़िया का तो यहां दूर-दूर तक कोई नामोनिशान नहीं है।*
"राजधानियों के वातानुकूलित कमरों में बैठकर आदिम जनजातीय समाज की जमीनी बस्तरिया हकीकत को बिना भली-भांति समझे बूझे किए त्रुटिपूर्ण सर्वेक्षण एवं उसके आधार पर जारी किए गए एक अपवित्र शासकीय ज्ञापन 'नोटिफिकेशन ने एक पूरे समुदाय की किस्मत बदल कर नरक बना दिया। आज इनके पास ना तो खेती की जमीन है, और ना ही जल जंगल जमीन का इनका शाश्वत नैसर्गिक अधिकार, ना सामाजिक प्रतिष्ठा बची है, और ना ही कोई आर्थिक आधार। "
देश हाल में ही 77-वां गौरवशाली स्वतंत्रता-दिवस मना कर हटा है।आज हम विश्व की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होने का दावा ठोक रहे हैं, और चंद्रमा के दरवाजे पर खड़े होकर दस्तक दे रहे हैं। हम विश्वगुरु के पद पर स्वस्थापित आसीन हो ही चुके हैं। यह इतिहास का अमृतकाल चल रहा है, सुनकर सचमुच बहुत अच्छा लग रहा है। अच्छा लगना भी चाहिए। वैसे भी बिलावजह देशद्रोहियों में अपनी गणना भला कौन कराना चाहेगा।
यह स्थापित तथ्य है कि किसी सांकल की मजबूती का आकलन सबसे कमजोर कड़ी की मजबूती से किया जाता है। हमारे देश-समाज की सबसे कमजोर कड़ियों में से एक महत्वपूर्ण कड़ी की आर्थिक-सामाजिक मजबूती का आकलन करने के लिए इस 77-वीं "स्वतंत्रता-दिवस" की पूर्व संध्या पर इस बार मैं वहां पहुंचा ... जहां अब तक 'आजादी' डरते-झिझकते, दबे पांव खरामा खरामा ही पहुंचती रही है...और यहां पहुंच कर मुझे यह समझ में आने लगा कि बहुचर्चित माननीय 'विकास' जी को मेरे इन आदिम बस्तरिया साथियों के इस टूटे फ़ूटे आंगन तक पहुंचने में अभी भी काफी वक्त है। विश्व गुरु की नजरे इनायत से ये बेचारे अभी भी मरहूम हैं। और अमृतकाल नामक चिड़िया का तो यहां दूर-दूर तक कोई नामोनिशान नहीं है। यह जगह है, छत्तीसगढ़ के बस्तर के घनघोर जंगलों के बीच का एक छोटा सा गांव 'कोटगांव'। यह गांव संभवतः नारायणपुर जिले में पड़ता है, या हो सकता है कोंडागांव जिले में आता हो, पर जिला कौन सा है इससे इन बेचारों के हालातों पर भला क्या फर्क पड़ता है और मुझे भी कोई फर्क पड़ने वाला नहीं था ,सो मैंने ज्यादा पूछा भी नहीं? मेरे ये साथी परिवार प्राचीनकाल के 'दंडकारण्य नामक अभिशप्त वन क्षेत्र, रियासत कालीन बस्तर स्टेट, और आजादी के बाद बने बस्तर जिले से 2011 में अलग होकर बने नक्सल प्रभावित जिला कोंडागांव तथा नारायणपुर जिले के उन मूल निवासियों में से हैं, जिनके पूर्वजों ने हजारों साल पहले बस्तर की लोहे की पहाड़ियों से लुआ पखना (लौह पत्थर) तोड़ कर,लाकर सरगी लकड़ी के कोयले की भट्ठी में गलाकर इस धरती पर सबसे पहले लोहा बनाया था, टाटा से भी पहले और अन्य उन सभी से पहले,जो इस बात का दावा करते हैं। इनका रहन सहन, बोली-भाषा ,देवी-देवता, तिथि-त्योहार ,शादी-विवाह जीवन-मरण संस्कार, गीत-संगीत ,नृत्य, बाजे, खानपान, कपड़ा-लत्ता, घर की बनावट सब कुछ अन्य सहजीवी आदिवासियों की भांति ही है, क्योंकि यह उन्हीं में से एक रहे हैं हमेशा से,,, सदियों सदियों से। यहां तक कि इनके कुल गोत्र, टोटम सभी अन्य सहजीवी आदिवासियों की भांति ही है। इनके बुजुर्गों ने विस्तार से बताया कि ये भी पीढ़ी दर पीढ़ी स्थानीय जनजातीय समुदायों के देवी देवताओं,पेन पुजारी,तथा 'बूढ़ा-देव' को ही मानते आए हैं और उन्ही की पूजा आराधना भी करते हैं ( मौके पर की गई रिकार्डिंग मौजूद )। ये स्थानीय भाषा में वाडे, लौरा कहलाते हैं। यहां उपस्थित लगभग 50 परिवारों के टोटम कुल गोत्र नाम (सरनेम) नेताम, सोड़ी, सलाम मरकाम, बघेल,पटावी कहीं किसी भी स्तर पर कोई भेद नहीं दिखाई देता। हम साथ साथ इन जंगल पहाड़ों में पीढ़ी दर पीढ़ी रहते आए हैं, हमारे कहीं और से आने का कहीं कोई इतिहास नहीं है।
किंतु आजादी के उपरांत त्रुटिपूर्ण, हवा-हवाई, तथ्यहीन विधिक सर्वेक्षण की अक्षम्य गलती के कारण इन्हें आदिवासियों से विलग मान लिया गया और इस सरकारी गलती की अंतहीन कठोर सजा पिछले लगभग 70 सालों से यह समुदाय भुगत रहा है।
*यह समझने वाली बात है कि कैसे राजधानियों के वातानुकूलित कमरों में बैठकर आदिम जनजातीय समाज की जमीनी बस्तरिया हकीकत को बिना भली-भांति समझे-बूझे किए त्रुटिपूर्ण सर्वेक्षण एवं उसके आधार पर जारी किए गए एक अपवित्र शासकीय ज्ञापन 'नोटिफिकेशन ने एक पूरे समुदाय की किस्मत बदल कर नरक बना दिया,आज इनके पास ना तो खेती की जमीन है और ना ही जल जंगल जमीन का इनका शाश्वत नैसर्गिक अधिकार, ना सामाजिक प्रतिष्ठा बची है, और ना ही कोई आर्थिक आधार ।। "*
सरकारी कार्यालयों और योजनाओं में जब इन्हें आदिवासियों से अलग पिछड़े वर्ग में वर्गीकृत कर अलग कर दिया गया, तो परिणाम स्वरूप धीरे-धीरे आदिवासी समाज ने भी सरकारी आदेशों के अनुरूप इन्हें अपनों से अलग इकाई मानने लगा। *इस पक्षपातपूर्ण वर्गीकरण से कभी गांव के किसानों के कृषि औजार, घरेलू औजार, शिकार-पारद के तथा स्थानीय देवी देवताओं के अस्त्र-शस्त्र,निशान बनाने वाले गांव व के महत्वपूर्ण अंग समझे जाने वाले इस समुदाय की स्थानीय सामाजिक स्थिति में पिछले 70 वर्षों में बहुत ज्यादा गिरावट आई है*। बड़े आश्चर्य का विषय है कि आग में तपाकर लोहे का कार्य करने वाले अघरिया लोहार समुदाय को इसी छत्तीसगढ़ के सरगुजा में आदिवासी माना जाता है तथा छत्तीसगढ़ के पितृ राज्य मध्यप्रदेश में भी इन्हें आदिवासी माना जाता है, किंतु देश के सबसे पिछड़े और आदिम जनजातीय क्षेत्र बस्तर के मूल आदिम निवासी लौह कला के जनक इस छोटे से समुदाय को पिछड़ा वर्ग में दर्ज कर आदिम निवासी के सभी अधिकारों से वंचित कर दिया गया है। इस अतार्किक,अनैतिक, अवैधानिक कृत्य के पीछे पीछे वोट आधारित राजनीतिक षड्यंत्र एवं दुरभसंधि से इनकार नहीं किया जा सकता। कारण चाहे कुछ भी हो किंतु वर्तमान में अपने पुरखों की जल जंगल जमीन के नैसर्गिक अधिक अधिकारों से वंचित होकर एवं सरकारी अनुदानों एवं आरक्षण से मरहूम होकर आज ये दर-दर को भटकने को बाध्य हो गए हैं। सर्वव्यापी वैश्विक बाजारवाद के चलते कल-कारखानों की बनाई गई कुल्हाड़ी, फावड़े ,गैंती , छुरी व सभी जरूरी कृषि औजार अब इनके द्वारा कठोर श्रम करके,भट्टी में अपने आप को तपाकर इनके हाथों से बनाए गए बनाए गए कृषि-औजारों की तुलना में काफी सस्ते पड़ते हैं। ऊपर से अभिलेख कोयला और लोहा दोनों बाजार से खरीदना पड़ता है। इन सभी कारणों से इनका लोहे का कार्य भी पिछले कई दशकों से लगातार कम होते होते अब लगभग समाप्त प्रायः हो चला है। *इससे गांवों की आर्थिक संरचना में भी अंतिम पायदान पर धकेल दिए गए इनकी सामाजिक आर्थिक स्थिति में गिरावट का यह भी एक महत्वपूर्ण कारण है*। स्थानीय छात्रावासों में भी इन के बच्चों के लिए जगह नहीं होती।
इनके कुछेक परिवार लौह शिल्प कला की ओर उन्मुख हुए हैं और किसी तरह परंपरागत जीवन यापन करने की कोशिश कर रहे हैं। कई परिवार गांव से निकलकर शहरों में पेंट शर्ट धारी हो गए हैं, और छोटे-मोटे काम करके मेहनत मजदूरी करके किसी तरह अपनी जीवन की गाड़ी को घसीट रहे हैं। इस समुदाय के जो बचे खुचे परिवार आज भी गांवों में रह रहे हैं वो दरअसल स्थानीय जनजातीय समाज की सदाशयता, उनकी मदद और सदियों साथ रहने से उत्पन्न सहजीविता,सामंजस्य व सहृदयता के कारण ही बचे हुए हैं। इतिहास सुधारने के इस नए दौर में इस समुदाय के प्रति की गई इस गंभीर कानूनी त्रुटि को भी अब जल्द से जल्द सुधार लिया जाना चाहिए।
दरअसल इस समुदाय की समस्याओं का अंत ही नहीं है।अशिक्षा, निराशा और शराब खोरी अन्य वंचित समुदायों की तरह इस समुदाय की भी एक बड़ी समस्या बन गई है। ये आज भी बेहद सीधे और भोले भाले हैं। मैंने इनके साथ काफी वक्त बिताया है। इनके परिवारों, रिश्तेदारियों व इनके पूर्वजों का इतिहास तथा और भी ढेर सारी बातें की।
*इनके भोलेपन का अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि ढलती शाम में जब मैं इन से विदा होने लगा तो इन परिवारों की दयनीय दशा को देखकर मेरा मन काफी खराब हो चला था। जब मैंने वापस जाने की इजाजत मांगी तो फोटो में मेरे साथ दिख रहे ये दोनों बुजुर्ग जिनका नाम बुद्धू नेताम तथा बुद्धसन नेताम है, लपक कर मेरे पास आए और बड़े भाई ने बड़े अधिकार पूर्वक मुझसे कहा कि अब तक आप हमारे काफी फोटो खींच चुके हो और हमसे ढेर सारी बातें भी है, तो आप यहां से रवानगी डालने से पहले हमें शराब पीने के लिए कुछ पैसे देते जाइए । मैं हक्का-बक्का रह गया। मैं कुछ जवाब देता इससे पहले छोटे भाई ने एक बार मेरी गाड़ी की ओर भरपूर नजर से देखा और फिर सीधे मेरी आंखों में झांकते हुए कहा , और हां जब दे ही रहे हो तो पैसे कुछ ज्यादा ही दीजिएगा क्योंकि कल झंडेवाला त्यौहार है,, और आखिर कल हमें भी तो झंडा त्योहार मनाना है। और बिना शराब के त्यौहार कैसा? मैं कुछ पल तक उन दोनों भाइयों को देखता रहा, शरीर पर लंगोटी के अलावा कोई कपड़ा नहीं, मिट्टी खपरैल का टूटा फूटा घर, घर के एक किनारे लटका हुआ बिजली का लट्टू, जाने क्यों मुझे मुंशी प्रेमचंद के घीसू-माधव की याद आ गई। सचमुच इनका इतना भोलापन भी ठीक नहीं है। सदा की तरह आज भी मेरे जेब में नगदी नदारद थी मैंने साथी तीजू भाई से कुछ पैसे लेकर उन्हें दिए उनकी आंखों में खुशी की चमक देखकर मुझे सचमुच अच्छा लगा।*
यह तो तय रहा कि कल यह दोनों भाई निश्चित रूप से देश का 77 वां स्वतंत्रता दिवस यानी कि झंडा तिहार (हल्बी), अथवा झंडा-पंडुम (गोंडी) अपने तरीके से मनाएंगे। *आपको शायद इस बात पर यकीन ना हो, पर कड़वी हकीकत यही है कि हमारे ज्यादातर गांवों में अधिकांश लोगों को 15 अगस्त स्वतंत्रता दिवस और 26 जनवरी गणतंत्र-दिवस के त्योहारों का अर्थ व अंतर कुछ भी पता नहीं है। हमारे यहां के लोगों के लिए तो दोनों ही पर्व बस झंडा-तिहार (हल्बी), या झंडा-पंडुम (गोंडी) ही हैं।*
आपने हमने तो स्वतंत्रता-दिवस धूमधाम से मना लिया, लेकिन हमारे इन आदिम पुरखों के इस बचे खुचे समुदाय के लिए तो असल स्वतंत्रता और अमृतकाल तो तभी आएगा जब इन्हें इनका छीना गया वाजिब हक तथा सम्मान वापस इन्हें मिल पाएगा। इसके लिए इनके ऊपर एक विस्तृत जमीनी रिपोर्ट, मय प्रमाण एवं साक्ष्यों के साथ तैयार कर रहा हूं ,ताकि इनके साथ जरूरी न्याय हो पाए। क्योंकि मुझे पूरा यकीन है कि इनके साथ न्याय होगा। क्योंकि मैं आज भी आशावादी हूं । क्योंकि बचपन में मेरे प्राथमिक स्कूल 'ककनार' की मिट्टी की दीवाल पर लिखी गई कहावत 'अंततः सच्चाई की जीत होती है' मुझे आज भी न केवल याद है, बल्कि इसपर आज भी पक्का यकीन है।
डॉ राजाराम त्रिपाठी
जनजातीय शोध एवं कल्याण संस्थान, छत्तीसगढ़।
WWW.DrRajaramTripathi.COM
7.8.23
कांग्रेसी हुड्डा के नाम पर किसी भाजपाई का इंटरव्यू छाप दिया अमर उजाला ने, देखें
इस इंटरव्यू को ध्यान से पढ़िए. कहने को तो ये इंटरव्यू पूर्व मुख्यमंत्री हुड्डा का है. लेकिन अंदर सवाल जवाब पढ़िए, खासकर आखिरी सवाल जवाब तो पता चलेगा कि ये इंटरव्यू भाजपा के नेता का है जिसे हुड्डा का इंटरव्यू बताकर छाप दिया गया. भला कांग्रेसी हुड्डा खुद को क्यों भाजपा पार्टी संगठन और मनोहर का सिपाही बताएंगे, जैसा कि आखिरी सवाल जवाब में पढ़ने को मिल रहा है. पिछले महीने जुलाई की 17 तारीख को ये इंटरव्यू अमर उजाला में प्रकाशित हुआ है. इसे ईपेपर में ठीक किया जा चुका है लेकिन जो छप गया, उसका क्या होगा... पता नहीं अमर उजाला ने कुछ खंडन वंडन छापा या नहीं...
यूपी सरकार पर भारी सरकारी मशीनरी की मनमानी
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार के नेतृत्व में प्रदेश तेजी से आगे बढ़ रहा है.अपराधों पर नियंत्रण है.अपराधी खौफजदा हैं.योगी के मंत्रियों के कामकाज की भी समीक्षा हो रही है, जिसके चलते प्रदेश की बदहाली दूर हो रही है.सरकार ने नौकरशाही और पुलिस की लगाम कस रखी गई है,जिससे लाल फीताशाही पर लगाम लगी है.प्रदेश में अमन चैन है.बार-बार योगी सरकार इस तरह के दावे करती रहती है. फिर भी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को अपने अधिकारियों को नसीहत देना पड़ रहा है कि जनता की समस्याएं न सुनना अब अधिकारियों को भारी पड़ेगा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गत दिनों अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए कि आम लोगों की समस्याओं के निस्तारण पर पूरा जोर दिया जाए। ऐसे अधिकारी जो जनता की समस्याएं नहीं सुनेंगे और बेवजह उन्हें कार्यालयों के चक्कर लगवाएंगे तो उनके खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी।
19.7.23
समय के साथ ‘मिजाज’ बदलता लूडो गेम
लूडो में ‘दिल’ हारने वाली सीमा जैसी ‘प्रेम कहानी’ इकरा की भी थी
संजय सक्सेना,लखनऊ
विश्व स्तर पर सबसे लोकप्रिय बोर्ड गेम लूडो का समय के साथ अपना ‘मिजाज’ बदलता जा रहा है.कभी यह बच्चों का खेल हुआ करता था तो अब लूडो को जवां दिलों की धड़कन बनते भी देखा जाता है. लूडो एक बौद्धिक खेल भी है. इसकी प्रसांगिकता को देखते हुए अब कई स्कूल-कालेजों में भी बच्चों का बौद्धिक विकास करने के लिए लूडो और शतरंज जैसे परम्परागत खेलों का आयोजन होने लगा है. इसी तरह से कल तो जो महिलाएं किटी पार्टी में ताश खेला करती थीं,अब वह भी लूडो खेलने लगी हैं. लूडो बुजुर्गो का टाइम पास का जरिया भी बनता जा रहा है.
17.7.23
मनाली के रास्ते से लापता 11 लोगों के प्रकरण में तहसील प्रशासन ने शुरू की छानबीन
दिनेश कुमार जायसवाल-
एसडीएम मिल्कीपुर और तहसीलदार ने पिठला गांव पहुंच लापता अब्दुल मजीद के दामाद से की वार्ता।
कुल्लू मनाली जा रहे एक ही परिवार के 10 सदस्य सहित 11 लोग हो गए हैं लापता।
अनहोनी की आशंका के चलते गांव में पसरा सन्नाटा।
मिल्कीपुर अयोध्या।
कुमारगंज थाना क्षेत्र के पिठला गांव से हिमाचल प्रदेश के कुल्लू मनाली के लिए निकले एक ही परिवार के 10 सदस्य सहित 11 लोगों के रास्ते से लापता होने के मामले में अब तहसील प्रशासन मिल्कीपुर की ओर से जांच पड़ताल और छानबीन शुरू कर दी गई है। हालांकि अभी लापता लोगों का कोई सुराग नहीं लग सका है। फिलहाल गांंव में सन्नाटा पसरा हुआ है और चर्चाओं का बाजार भी गर्म है। हिमाचल प्रदेश स्थित ब्यास नदी में आई बाढ़ और भूस्खलन के चलते अब लापता लोगों के सगे संबंधियों सहित ग्रामीणों में किसी बड़ी अनहोनी की आशंका समा गई है। बता दें कि कुमारगंज थाना क्षेत्र स्थित पिठला गांव निवासी 62 वर्षीय अब्दुल मजीद कंकाली अपने दामाद रहबर एवं अपने पूरे परिवार सहित हिमाचल प्रदेश के कुल्लू मनाली में रहकर मेहनत मजदूरी करके जीवन का गुजर-बसर कर रहा था।
The Bhojpuri Legend Manoj Bhawuk Bestowed “Bhojpuri Icons" Filmfare and Femina Award
In a historic moment, two iconic brands “Filmfare and Femina”known for their steadfast dedication to recognising talent and excellence honoured eminent Bhojpuri writer, poet, lyricist and critic Mr. Manoj Bhawuk for his indelible contribution in the history of Bhojpuri cinema and literature. In a grand celebration at Ramada, Lucknow on 16 July 2023,Mr. Manoj Bhawuk was bestowed “Filmfare and Femina Bhojpuri Icons-Reel & Real Star”honour by Ambika Muttoo, Editor-in-Chief of Femina and Vikram Vasudev Narla, Director from South industry in presence of many celebs. This is first time Filmfare and Femina collaborated to honour Bhojpuri Icons who have made remarkable contributions to Bhojpuri entertainment industry.
मुंह मोड़ते संगी-साथी,अकेले पड़ते अखिलेश
अजय कुमार,लखनऊ
समाजवादी पार्टी पिछले करीब दस वर्षो में हार का ’चैका’ लगा चुकी है. 2014 के लोकसभा चुनाव से शुरू हुआ हार का यह सिलसिला 2017 के विधान सभा और 2019 के लोकसभा चुनाव के पश्चात एक बार फिर 2022 के विधान सभा में मिली हार तक जारी रहा था. हर बार सपा को भाजपा से मात खानी पड़ी.बीजेपी के समाने अखिलेश ने सभी दांव अपना चुके हैं. अब 2024 के लोकसभा चुनाव में एक बार फिर सपा के अध्यक्ष और पूर्व सीएम अखिलेश यादव की ’ चुनावी परीक्षा’ होगी,लेकिन इस बार भी अखिलेश की राह आसान नहीं लग रही है. अब तो अखिलेश के पास कोई नया ‘प्रयोग’ भी नहीं बचा है. वह कांगे्रस,बसपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ चुके हैं. राष्ट्रीय लोकदल और ओम प्रकाश राजभर की पार्टी का भी साथ करके देख लिया हैं,लेकिन कोई भी प्रयोग उनकी हार के सिलसिले को रोक नहीं पाया. स्थिति यह हो गई है कि आज की तारीख मंे 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए अखिलेश यादव बिल्कुल ‘तन्हा’ नजर आ रहे हैं.कांगे्रस और बहुजन समाज पार्टी तो समाजवादी पार्टी से दूरी बनाकर चल ही रहे हैं,इसके अलावा उसके मौजूदा साथी राष्ट्रीय लोकदल के चैधरी जयंत सिंह और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के मुखिया ओम प्रकाश राजभर भी भाजपा गठबंधन की तरफ पेंगे बढ़ा रहे हैं.
आदरणीय रामेश्वर पांडेय जी तो पीड़ित थे, मुलजिम नहीं
Rakesh Sharma-
बात आज जुबान पर आ ही गई है इसलिए आदरणीय रामेश्वर पांडेय जी की विनोदप्रियता और उनकी कुछ बातें जो आज तक नहीं भूला वे भी आप सभी के साथ साझा करने का प्रयास कर रहा हूं। दोस्तों पिछले कई महीनों से तकनीकी तौर पर अपंग था और संसाधनों की तंगी से जूझ रहा था इसी कारण उनके स्वर्गवास के बाद उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित नहीं कर पाया था। पिछले 23 साल पुरानी वे बातें आज भी यूं ही दिमाग में अंकित हैं। मैं ये सभी बातें इसलिए आप लोगों के सामने ला रहा हूं कि जिस व्यक्ति ने अपना पूरा जीवन लोगों की भलाई करने में बिताया वे इस सम्मान के हकदार हैं कि हमारी आगामी पीढ़ी के लोग उनके बारे में जरूर जानें।
आदरणीय अतुल जी भी अब इस दुनिया में नहीं हैं लेकिन पत्रकारिता की दुनिया को निष्कलंक आगे बढ़ाने के लिए इन दोनों महानुभावों का योगदान में कभी कम नहीं आंकना हूं। एक दिन अतुल जी मेरी डेस्क से गुजर रहे थे तो अचानक रुक गए और मेरे द्वारा संपादित की जा रही खबर को देखने लगे और वर्तनी को लेकर कुछ सवाल पूछे। उस समय मैं यह भी नहीं जानता था कि वे कौन हैं, लेकिन जैसे ही वे आगे बढ़े तो कई वरिष्ठ साथी आकर मेरे समाचार के संपादन को देखने लगे और घोषणा कर दी कि मुन्ना कल सुबह अपना बोरिया बिस्तर बांध लो और घर जाने के लिए अगली टिकट बुक करा लो। मैं बहुत परेशान और उस समय मेरी पत्नी अस्पताल में मेरे पहले बच्चे के जन्म के लिए भर्ती थी। पांडेय जी ने अगले दिन दोपहर में ही मुझे कार्यालय में किसी को संदेश भेजकर बुलवा लिया...
पत्रकारिता के जगत में आपके इर्द गिर्द जो भी पर घटनाएं घटती हैं उसके साक्षी मात्र हम ही नहीं होते हैं, परन्तु कुछ मामले इस तरह के होते हैं कि प्रत्यक्ष तौैर पर हम लोग एक मुलजिम नजर आते हैं लेकिन असल में हम पीड़ित होते हैं। इन अवस्थाओं की जानकारी हमें बाद में होती है तो उस समय सिर्फ पछतावे के अलावा कुछ किया नहीं जा सकता। भाई अमरीक ने हाल ही में अपनी तरफ से स्पष्ट किया है कि हर किसी का नजरिया किसी के लिए एक नहीं हो सकता और कुछ बातें हम इसलिए नजरअंदाज कर जाते हैं। किसी इंसान की अच्छी बातों को सिर्फ अपने कारणों से हम भुला दें तो उसे न्यायोचित नहीं ठहराया जा सकता...
वन स्टॉप सेंटर से एक पीड़ित नाबालिग किशोरी गायब!
देवरिया : प्रदेश के देवरिया जिले के वन स्टॉप सेंटर से एक पीड़ित नाबालिग किशोरी के फरार हो जाने की घटना ने पुलिस विभाग की सक्रियता पर सवालिया निशान लगा दिया है। जानकारी के अनुसार भटनी थाना क्षेत्र की एक गांव निवासी बलात्कार पीड़िता नाबालिग किशोरी बुधवार को रहस्यमई परिस्थितियों में फरार हो गई।
ज्ञानवापी : सबूतों का खजाना, फिर भी आक्रांता औरंगजेब महान?
Suresh Gandhi-
वेद-पुराणों से लेकर इतिहास में दर्ज है काशी दुनिया के सबसे प्राचीनतम से प्राचीन शहरों में से एक है। 2,500 साल से भी अधिक पुराना इसका इतिहास है। सारनाथ में अशोक की सिंह राजधानी को पांचवीं शताब्दी ईसा पूर्व में बुद्ध के पहले उपदेश की स्मृति के रूप में व्याख्या किया गया है। जबकि इस्लाम का इतिहास 14 सौ साल पुराना है। ऐसे में बड़ा सवाल तो यही है कथित ज्ञानवापी मस्जिद हजारों साल पुरानी कैसे हो सकती है? दस्तावेजों के मुताबिक इस्लाम की पहली मस्जिद कुवत-उल-इस्लाम मस्जिद 12वीं सदी के अंत की है, तो कथित ज्ञानवापी का निर्माण कैसे हो गया? जबकि स्कंद पुराण में कहा गया, देवस्य दक्षिणी भागे वापी तिष्ठति शोभना। तस्यात वोदकं पीत्वा पुनर्जन्म ना विद्यते। अर्थात प्राचीन विश्ववेश्वर मंदिर के दक्षिण भाग में जो वापी है, उसका पानी पीने से जन्म मरण से मुक्ति मिलती है
सुरेश गांधी-
दरअसल, वाराणसी के ज्ञानवापी केस में सुप्रीम कोर्ट में अहम सुनवाई हो रही है। हिंदू पक्ष ने मुस्लिम पक्ष की याचिका पर अपना जवाब दाखिल करते हुए सर्वे में मिले शिवलिंग को फव्वारा बताना 125 करोड़ हिन्दुओं के अपमान का आरोप लगाया है। इसमें हिंदू पक्ष की तरफ से वादी महिलाओं ने अपनी दलील में औरंगजेब को क्रूर शासक बताते हुए आदि विश्ववेश्वर मंदिर को तोड़कर मस्जिद बनाने की बात कहीं है। जबकि मुस्लिम पक्ष का कहना है कि हिंदू पक्ष का दावा बिल्कुल बेबुनियाद है। ज्ञानवापी मामला सुनवाई योग्य नहीं है. मस्जिद हजारों साल पुराना है। जिसे शिवलिंग कहा जा रहा है, वो फव्वारा है. ज्ञानवापी के दीवार पर त्रिशूल, डमरू, ओम जैसी कलाकृतियां का अंकित कहना गलत है। औरंगजेब निर्दयी नहीं था और उसने किसी मंदिर पर आक्रमण नहीं किया था. हालांकि मुस्लिम पक्ष की इस दलील के जवाब में सुप्रीम कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष को अपना जवाब दाखिल करने को कहा है. बता दें, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ज्ञानवापी में मिले कथित शिवलिंग का साइंटिफिक सर्वे कराने का आदेश दिया था. इस फैसले के खिलाफ मुस्लिम पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दी थी. पिछली सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर अंतरिम रोक लगा दी थी. ऐसे में कोर्ट का फैसला क्या होगा, यह आने वाला वक्त बतायेगा। लेकिन औरंगजेब निर्दया नहीं था, वो मुस्लिमों का आदर्श रहा, यह 125 करोड़ हिन्दुओं का अपमान नहीं तो और क्या है? वह औरंगजेब जिसके क्रूरता के किस्से मथुरा, वृंदावन, काशी, अयोध्या से लेकर दिल्ली तक में टूटे सैकड़ों मंदिरों के अवशेष चीख-चीख कर गवाही दे रहे हैं।