आदरणी यशवंत जी पुन: आगमन हेतु बधायी । एक अनुरोध है कि पहले की तरह फिर अदृश मत हो जाना । भड़ास के माध्यम से आपने वह मंच पूरे भारत के मीडिया कर्मीयों को प्रदान किया है जिससे कि वह आपस में अपने दू:ख सुख्ा आपस में बतिया सके ।
कानपुर से भड़ास के लियें
शशिकान्त अवस्थी
17.11.07
पुर्नजंम हुआ भडा़स का
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1 comment:
यही डर मुझे भी सता रहा हैं
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