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5.3.08

अब भूख की गुटुर गूं करके होली मनाएंगे



उद्योगों,रोजगारों के लाल फलों से लदे
सहस्त्रबाहु बरगद के कुल तीन-चार पेड़
दिल्ली,मुम्बई,चेन्नई और कोलकाता में
भूख और बदहाली के नाखून जब
मजदूर कबूतरों की अंतड़ियां कुरेदते
तो उड़ आते बरगद के फल और छांव के लिये
बिहार,यू.पी. आंध्र,उड़ीसा,कर्नाटक,काश्मीर के
कीकर,बबूल,ताड़,खजूरों से फड़फड़ा कर
गौरैया सी ज़िन्दगी जीते परदेसी कबूतर
गुटुर गूं गुटुर गूं करते सस्ते काल रेट में
मोबाइल लिये अपने रिश्तेदार कबूतरों से
पूंछते हैं हाल अपने-अपने नीड़ का
उन गिद्धों,बाजों और उकाबों का भी
जो इनके गांव में बरगद तो क्या
नींबू का झुरमुट भी नहीं उगने देते है
उन्होंने बनाए हैं राजनीति के विशाल तालाब
और पाल रखी हैं मुद्दों की मछलियां
उन्हीं से पेट भर लेते हैं कुछ छली बगुले भी
सिकुड़े-सहमे,लतियाए कबूतर डरे से
बैठ गये एक ही डाल पर तो चिल्लाए
जाओ-जाओ,कांव-कांव वो कौवे
जो खाते हैं स्थानिक चूहे,कीड़े और मेढ़क
नासमझ मजदूर कबूतर झकलठ बकलोल
फड़फड़ा कर उड़ जाते बिना आरक्षण के गरीब रथ से
पर आ जाते फिर लतखोर उसी बरगद पर
उसी डाल पर भेलपूरी,मूंगफली, चने लिये
बिना समझे गिद्धों और कौवों की कुटिलता
अब भूख की गुटुर गूं करके होली मनाएंगे

2 comments:

Unknown said...

dr. sab kyon holi me kich-kich krte hain...ye to apn ki roj-roj ki jindgi hai...holi me mt boliye kuchh..sb utr jata hai guru...thoda sa aur pi lene do guru...thoda sa aur ji lene do

Anonymous said...

HARE BHAIYA...SAHI TO KAHTE HAIN LEKIN BAT DARASAL YAH HAI KI DOCTOR SAHEB JAMIN KI MAJBURION KO BHUL NAHI PATE HAIN ISLIYE AISA HONA BHI JARURU HAI BHAIYAA.....