जब कोई भी व्यक्ति अपने मस्तिष्क द्वारा ईश्वर प्रदत्त क्षमता से अधिक कार्य करता है तो वह न सिर्फ़ थक जाता है बल्कि अनिद्रा ,मानसिक अवसाद यानि डिप्रेशन , चिड़चिड़ापन और तात्कालिक याददाश्त का लोप होना जैसी गम्भीर बीमारियों से ग्रस्त हो जाता है । २६ जनवरी १९५० से लेकर अप्रेल २००५ तक एक-एक दिन हमारे जनप्रिय नेताओं ने यह बात बड़ी गहराई से निरीक्षण करके जानी और यह निष्कर्ष निकाला कि सरकारी अधिकारियों के लिये मानसिक बोझ येन-केन-प्रकारेण कम करा जाए । लेकिन चूंकि राष्ट्र को तो दिन दूनी रात चौगुनी तरक्की करनी है तो काम का बोझ कम कैसे हो सकता है ? इसलिए हमारे नेताओं ने तमाम विकसित राष्ट्रों का दौरा कर करके एक मूल्यवान तथ्य खोज निकाला कि यदि सरकारी कार्यालयों का माहौल मजाहिया बना रहे तो अधिकारीजन मजाक करते और हंसते-मुस्कराते हुए अपने काम के बोझ को उठा लेंगे । यह बात कार्यालयीन मनोविज्ञान एवं मानव संसाधन विकास के क्षेत्र में एक मील का पत्थर सिद्ध हुई है । सरकार की तरफ से इस बात को अप्रेल २००५ में बाकायदा संवैधानिक जामा पहनाया गया और ब्यूरोक्रेसी को RTI act यानि कि सूचना प्राप्ति का अधिकार के रूप में सौंप दिया गया । अब अधिकारी अच्छी तरह से जानते हैं कि एक बार उनके निजी साले-साली और सलहजें नाराज हो सकते हैं पर भारत की उदार हृदय जनता हरगिज़ बुरा नहीं मानेगी बस आपके गम्भीर से गम्भीर मजाक पर बस सूखे होंठो से मुस्करा कर रह जाएगी इस इंतजार में कि आप अगला चुटकुला कब सुनाएंगे । तो ज्ञानी जनों अगर आप भी सरकारी अधिकारियों को मजाक का मौका देकर राष्ट्र के उत्थान में सहयोग करना चाहते हैं तो बस दस रुपए खर्च करिये और सरकारी अधिकारियों को अपने साथ मजाक करने का मौका देने के लिये RTI act के अंतर्गत कोई भी जानकारी मांग लीजिये आप समझ जाएंगे कि सरकारी अधिकारी कैसे मजाक कर करके अपने काम के बोझ को हलका करते हैं । इसी मजाक में सहयोग की नियत से मैंने अपने शहर की नरक पालिका(माफ़ करें ,सुधार कर नगर पालिका पढ़िए) से यह जानकारी मांगी कि जिस अपार्टमेंट में मैं रहता हूं उसके बिल्डिंग कन्स्ट्रक्शन का सुपरविजन किसने करा था और लगाई हुई भवन निर्माण सामग्री का सुपरविजन किसने करा था तो यह जानकारी एक फ़ार्म के रूप में बिल्डर विभाग को देता है जिसका कि एक निश्चित फ़ार्मेट रहता है और जिसके प्रत्येक कालम को भरे बिना यह फ़ार्म अपूर्ण रहता है व भवन निर्माण शुरू ही नहीं करा जा सकता लेकिन मुझे मेरी नगर पालिका के अधिकारियों ने RTI act के अंतर्गत उस बिल्डर द्वारा जमा करे गए फ़ार्म की जेराक्स प्रति उपलब्ध करा दी लेकिन वो तो कोरा है एकदम सादा उसमें तो कुछ भरा ही नहीं है लेकिन बिल्डिंग तो सीना ताने कबकी खड़ी है तो आप समझ लीजिये कि साहब लोगों ने तो बस होली पर एक हलका सा मजाक किया है आखिर काम का बोझ जो हल्का करना है ।
26.3.08
अधिकारियों को जनता से मजाक का संवैधानिक अधिकार
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3 comments:
dr. sab marmik prdafas...hme aisi chijen bhadas pr niymit deni chahiye aur iske aage ki karvaee ke liye bhi sochna chahiye...
bahot achha laga,aapke likhne ka style bahot pyara hai...thoda main bhi hans kar man halka kar lun...
DOCTOR JI...BHADAS PAR AISI KHABAR SE BAHUT UMMID BANDHTI HAI.LAGE RAHO BHAIYAA.
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