Bhadas ब्लाग में पुराना कहा-सुना-लिखा कुछ खोजें.......................

2.3.08

अमर उजाला के Sundayआनंद में पूरे पेज का ब्लॉग राग

सुबह आंख खुली तो ढेर सारी मिस काल, कई संदेश। यूपी के विभिन्न शहरों से, कई दिल्ली से। माजरा क्या है?

अच्छा, अमर उजाला में मेरी फोटो छपी है, ब्लाग पर पूरा पेज है।

सोये सोये ही अंगड़ाई ली। बच्चे भी अधजगे हुए लेटे पड़े रहने का आनंद ले रहे थे। मैं भी संडे होने का आनंद उठाते हुए जगने के बावजूद अलसाया पड़ा रहा। मणिमाला जी उठ चुकी थीं। सामने पड़ीं और चाय वाय को पूछा तो मैंने रिक्वेस्ट कर दिया, प्लीज...जाओ न, चौराहे से अमर उजाला की चार कापियां खरीद लो। मैंने उन्हें वजह बताई...आपके महान पति की तस्वीर आज पूरी दुनिया देख रही है और आप इससे अभी तक महरूम हैं...

आखिर में तय यह हुआ कि सुबह का खाना मैं बनाऊंगा और उसके बदले आप जाकर अमर उजाला की चार कापियां खरीद लाएंगी। इस प्रस्ताव पर वो खुशी खुशी चली गईं।

तीन कापियां लेकर घर में प्रकट हुईं तो चेहरे पर मुस्कान थी। मुझे थमा दिया, अमर उजाला वाली मैग्जीन, संडे आनंद...अरे वाह, क्या खूब लिखा है, तस्वीर भी वही ब्लाग प्रोफाइल वाली है, कुटिल मुस्कान से युक्त, गोरी चमड़ी पर दाढ़ी...बोले तो चमड़ी गोरी हो तो भी देहातीपन दिख ही जाता है।

इसी दौरान मुजफ्फरनगर से हर्ष भाई का एसएमएस से बधाई संदेश, डा. अजीत तोमर का हरिद्वार से फोन, सौरभ शर्मा का मेरठ से फोन....आते रहे और इन भाइयों को नाटकीय तरीके से कुछ सकुचाया कुछ शर्माया कुछ अनजान सा बनकर थैंक्यू टैंक्यू बोलता रहा। अरे भाई, खुद की कोई तारीफ करे तो थोड़ा विनम्र व थोड़ा अज्ञानी व थोड़ा चूतिया तो बनना ही पड़ता है न.....।

सीनियर जर्नलिस्ट अरुण आदित्य की मेहनत प्रशंसनीय है। जिस तरीके से उन्होंने ब्लागिंग को समेटा, सजाया, प्रस्तुत किया है वह दिल को बागबाग कर देने वाली है। कुल तीन ब्लागरों और दो ब्लागराइनों की तस्वीरें छपी है, उनके बयान हैं, उनके ब्लागों के यूआरएल हैं, इनमें भड़ास भी है। मजेदार तो ये है कि जो तस्वीर बिलकुल उपर है वो भड़ास के मुख्य पेज की ही है, और वो बात साफ साफ पढ़ने में आ रही है जो भड़ास पर लिखा है.....अगर कोई बात गले में अटक गई हो तो उगल दीजिए, मन हलका हो जाएगा......

कवर स्टोरी सिर्फ मुख्य पेज पर ही खत्म नहीं हुई है बल्कि अंदर पेज दो पर भी है, मंगलेश डबराल व उदय प्रकाश की तस्वीरों के साथ, उनके बयानों के साथ।

आप सभी से अनुरोध है कि आप अमर उजाला खरीदकर पूरी स्टोरी जरूर पढ़ें जिससे कि आप ब्लागिंग के बारे में अपडेट हो सकें। मैं यहां सिर्फ भड़ास को लेकर जो मेरा बयान प्रकाशित हुआ है, उसे डाल रहा हूं....

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कुंठा भगाने वाली भड़ास

यशवंत सिंह
माडरेटर-भड़ास
http://bhadas.blogspot.com
हमारी हिंदी पट्टी जिस सामंती कुंठा की शिकार है, उससे मुक्ति दिलाने की आकांक्षा का परिणाम है भड़ास। दरअसल हम सब दमित इच्छाओं की गठरी लिए घूमते हैं। भड़ास एक ऐसा मंच है, जहां आप बेहिचक इस गठरी को खोल सकते हैं। पहले अकेले शुरू किया था, फिर मुझे लगा कि मैं अकेला ही क्यों, हिंदी मीडिया में मेरे जैसे तमाम लोग हैं जिन्हें मन की बात कहने का मंच नहीं मिलता। तो मैंने भड़ास को खुला मंच बना दिया। इस तरह यह एक कम्युनिटी ब्लाग बन गया। आज यह हिंदी के मीडियाकर्मियों का सबसे बड़ा ब्लाग है, जिसमें 226 सदस्य हैं और 500 हिट्स रोज मिलती हैं। करीब 20 हजार लोग रोज पढ़ते हैं। सबकी एक ही मंशा है कि हिंदी वाले कुंठा से मुक्त हो जाएं और अंग्रेजी को लतियाएं।
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मैं इस कवर स्टोरी के लेखक अरुण आदित्य जी को खासकर इस बात के लिए जरूर धन्यवाद देना चाहूंगा जो उन्होंने मेरी इस बात को स्थान दिया जिसमें मैंने कहा है कि ....सबकी एक ही मंशा है कि हिंदी वाले कुंठा से मुक्त हो जाएं और अंग्रेजी को लतियाएं ......।।। अंग्रेजी को लतियाने शब्द को छपा देखकर मुझे अपार खुशी हुई, लग रहा था कि वाकई अंग्रेजी की गांड़ पर लात पड़ रही है, ठक ठांय दम भम घम......।

जय भड़ास
यशवंत

7 comments:

Vikash said...

" 500 हिट्स रोज मिलती हैं। करीब 20 हजार लोग रोज पढ़ते हैं।"

कहीं कोई गलती हो गयी लगती है. अगर २० हजार लोग रोज पढ़ते हैं तो हिट्स ५०००० होगी. ५०० कैसे हो सकता है? विजिटर से भी कम? और वो भी इतना?

Anonymous said...

DADA...HAM JARUR IS JANG KO JITENGE KYUNKI HAMNE VANCHITON KI AVAJ KO APNA AVAJ BANAYA HAI.VAKT VERAHAM NAHI HOTA HAI BASHARTE HAMARA PRAYAS SAKARATMAK HO.
JAI BHADAS
JAI YASHVANT

डॉ.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava) said...

विकास भाई,यशवंत दादा गणित में कच्चे हैं क्योंकि गणित तो दिमाग वालों का विषय है जो जिन्दगी को भी गुणा-भाग-जोड़-घटाना करके जीते हैं और दादा अपने ठहरे दिल से बात करने वाले तो भाई जरा अपनी कही बात देखिए----
" 500 हिट्स रोज मिलती हैं। करीब 20 हजार लोग रोज पढ़ते हैं।"

कहीं कोई गलती हो गयी लगती है. अगर २० हजार लोग रोज पढ़ते हैं तो हिट्स ५०००० होगी. ५०० कैसे हो सकता है? विजिटर से भी कम? और वो भी इतना?

अरे प्रभु क्या बिगड़ जाएगा अगर हम गरीब दरिद्र भड़ासियों के हिस्से में आपने दो शून्य अपनी तरफ से मिला कर सुधार कर समझ लिया तो.........

जेपी नारायण said...

बधाई हो बधाई ब्लॉगिंग के बादशाह

आलोक सिंह रघुंवंशी said...

badhai ho. bhadas isi tarah din duni rat chauguni badhotari kare.
jai bhadas
alok raghuvanshi

Anonymous said...

shabash Bhadas age badho hum tumahre
shath he

Unknown said...

der se hi sahi yshvant bhai badhai...ab hogi daru party...jng jit rhe hain bhadasi