सुना है बीजेपी मदन लाल खुराना , उमा भारती और बाबूलाल मरांडी को ,जिन्हें उन्होंने कुछ अरसे पहले लतिया कर भगा दिया था , फ़िर से पुचकार रही है। और पुचकारे भी क्यों नहीं। पुचकारने का टाइम जो आ गया है । लोकसभा चुनाव सिर पर है। प्रधानमंत्री-इन-वेटिंग के वर्षों से संजोये सपने के साकार हो सकने की सम्भावना का अन्तिम अवसर है। इसके लिए जीवनी तक लिख डाली । ये निगोड़ी जीवनी लेखन की कला भी इधर कुछ ज्यादा ही फैशन में है। लेकिन भाई प्रधानमंत्री-इन-वेटिंग के हौसले की दाद देनी होगी। जिनके भी बारे में अपनी किताब में बुरा लिखा, उनसें चुन-चुन कर किताब के लोकार्पण समारोह में बुलाया। खैर, लगता है मैं भटक गया। मैं कह रहा था कि बीजेपी में अभी पुचकारने का दौड़ चल रहा है। यहाँ तक कि मदन लाल खुराना जैसे अव्काश्प्रप्ती के दरवाजे पर खड़े नेताओं को भी पुचकारा जा रहा है। खुराना जी तो खैर 'पुचकृत भी हो गए हैं। केशु भाई पटेल को भी राज्य सभा का चारा दिया गया है। बावजूद इसके कि अभी हाल के गुजरात चुनावों में ही नरेन्द्र मोदी ने उन्हें उनकी औकात बता दी थी। कोई कसर जो नहीं छोड़नी है। मदद न कर पाएं तो कम से कम टांग तो नहीं खीचेंगे। और उमा बहन का तो मुझे लगता है "जोड़े से फ़िर न जुड़े , जुड़े गाँठ परि जाय " वाला हाल है। कब तमक के चल देंगी कोई भरोसा नहीं। एक बात गौर किया है आपने । उमा भरती ,ममता बनर्जी ,मायावती और जयललिता की चौकड़ी में एक समानता है। नहीं, दो समानता है। एक तो ये कि ये सभी महिलाएं हैं और दूसरी कि चारों की चारों बेवफा हैं। किसी एक के साथ इनका गठबंधन टिकता ही नहीं। मैं फ़िर विषयांतर हो गया। खैर, एक बाबूलाल मरांडी है झारखण्ड में जिनको सबसे ज्यादा पुचकारने की जरूरत है बीजेपी को। उनकी घरवापसी बीजेपी के लिए फायदेमंद हो सकती है। झारखण्ड में उनकी कमी शिद्दत से महसूस की जा रही है। झारखण्ड के नेताओं में तो प्रदेश को बरबाद करने की जैसे होड़ लगी हुई है। ऐसा नहीं है कि बाबूलाल मरांडी एकदम चकाचक हैं। साफ सुथरे , सुधरे हुए। परन्तु झारखण्ड की राजनीतिक टोकरी में वे सबसे कम सादे हुए सेब हैं। देखते हैं प्रधानमंत्री-इन-वेटिंग की इस पुचकारू राजनीति उनके सपनों के साकार होने में कितना सहायक होती है। आमीन ।वरुण राय
8.4.08
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4 comments:
वरुण एक बार पोस्ट करो तो अच्छा रहे।
लिखा अच्छा है।
अंकित माथुर...
Thanks for removing the excess posts and acting so quickly.
Ankit
वरुण भाई,मैं मानता हूं कि आपने तकनीकी समस्या के चलते ऐसा किया था या कुछ और इरादा था:)
वैसे आपके लेख की धार बड़े-बड़े लोगों की मूंछें कतर रही है.....
ha ha ha ha,
rupesh bhai ne sahi kaha, badi dhardaar hai tabhi to bechare PM waiting ko ab apni munchoon ko katwane ke liye ustura mil gaya.
bhai ustura bhej do waitin PM ko
Jai Jai Bhadaas
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