Bhadas ब्लाग में पुराना कहा-सुना-लिखा कुछ खोजें.......................

1.5.08

.....राम-नाम सुंदर करतारी। छापो-छापो नंगी नारी।।

हमेशा की तरह इंटरनेट की उन गलियों में घुस जाता हूं जहां शराफ़त अली किस्म के लोग नहीं जाते। एक गली खोद रखी है अपने जे.पी. भइया ने और आज तो उस गली से मुझे कुछ दोहे-छंद वगैरह की आवाज आती सुनाई दी तो हमें लगा कि क्या हुआ भइया बीमार हो गये क्या जो रामायणनुमा कुछ बड़बड़ा रहे हैं; अंदर जाने पर पता चला कि रामायण नहीं बल्कि अखबारायण चल रही है। आप लोग को भी जरा पुण्य जैसा कुछ कमा लीजिये इन पवित्रता का रस टपकाते दोहों को ताकि अगर पत्रकारिता के पाप सता रहे हों तो इनके मनन-वाचन से धुल जाएं.........


......पत्तरकारों, हाय तुम्हारी यही कहानी!.......

1....
नचवावैं अखबार गोसाईं। नाचत नर मरकट की नाईं।।

2....
खबर बेंचते संता-बंता। हरि अनंत, हरि कथा अनंता।।

3....
सत्ता, श्वान, डॉन, अखबारी। सबहि ताड़ना के अधिकारी।

4.....
खबर-खबर खबराते बंदर। कूद पड़े लंका के अंदर।।

5.....
नाचो खूब, नचाओ रंभा। चोंथो-चोंथो चौथा खंभा।।

6....
सिया-राम मय सब जग जानी। पढ़ो-पढ़ाओ खबर पुरानी।।

7......
मंगल भवन, अमंगल हारी। नाम मीडिया, काम कहारी।।

8......
राम-नाम सुंदर करतारी। छापो-छापो नंगी नारी।।

9......
लिखते-लिखते खबर हुंआसी। मूड़ मूड़ाय भये संन्यासी।।

10.......
टेंशन में दिन-रात और आंखों में पानी। पत्तरकारों हाय तुम्हारी यही कहानी।।

(साभारः बेहया से)

3 comments:

Ankit Mathur said...

ज़बर्दस्त!!!!!!!!!

विनीत कुमार said...

sirji, apne yaha ba pass ke syllabuss ke liyae thik rahega,baat karte hai

Anonymous said...

वाह वाह ,
जे पी जी तो बड़े बम के भी बाप निकले सचमुच में जबरदस्त पठाखा है जो साला बम्वा पे भी भारी पर रहा है।
राम-नाम सुंदर करतारी। छापो-छापो नंगी नारी।।

अरे ई नही करेंगे तो ससुरा अख्बरवा बिकेगा कैसे।
डॉक्टर साहब धन्यवाद।
जय जय भडास.