सांझ मत लड़ो उजाले से वर्ना टूट जाएगा वहम तुम्हारा
करने का दम रखते हैं तब तो स्वीकारा युग ने अहं हमारा
जिंदगीभर लड़े हम अंधेरों की झीलों से
क्योंकि उत्साह पुकारता है हमें बहुत दूर मीलों से
वादी ने जितना सुलगाया हम उतने सुर्ख हुए
तूफानो तरसो नहीं मिलेगा नमन हमारा
सांझ मत लड़ो उजाले से वर्ना टूट जाएगा वहम तुम्हारा
करने का दम रखते हैं तब तो स्वीकारा युग ने अहं हमारा
मौसम का रुख वे देखें जो दुबले हों
चऱण वंदना वे सीखें जो बगुले हों
हम विद्रोही मन लड़ते रहें स्वयं से स्वर नहीं बनेगा नरम हमारा
सांझ मत लड़ो उजाले से वर्ना टूट जाएगा वहम तुम्हारा
करने का दम रखते हैं तब तो स्वीकारा युग ने अहं हमारा
अरे हारें जो हालात से वो आदमी अधूरे हैं
हम भीतर और बाहर से आदम कद पूरे हैं
दृढता नियति रही मेरी हर मौसम मैं
तूफानो तरसो नहीं मिलेगा नमन हमारा
सांझ मत लड़ो उजाले से वर्ना टूट जाएगा वहम तुम्हारा
करने का दम रखते हैं तब तो स्वीकारा युग ने अहं हमारा
औसत इंसानों का मंजिल लक्षय रहा
हमने मंजिल त्यागीं राहों का साथ गहा
मंजिल हम राही लंबी राहों के बस चलते रहना धर्म हमारा
सांझ मत लड़ो उजाले से वर्ना टूट जाएगा वहम तुम्हारा
करने का दम रखते हैं तब तो स्वीकारा युग ने अहं हमारा।
पं. सुरेश नीरव
मो.९८१०२४३९६६
17.4.08
टूट जाएगा वहम तुम्हारा
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5 comments:
पंडित जी,आप तो पावर हाउस हैं हम भड़ासियों का, हम सबके हौसलों के बल्ब आपकी दी हुई ऊर्जा से रोशन हैं बस वोल्टेज लो मत होने दीजियेगा और ज्यादा भी सप्लाई मत दे दीजियेगा कि पता पड़ा बल्ब ही फ़्यूज़ हो गया :)
जय जय भड़ास
क्या बात है नीरव जी. एकदम डायनामाईट. वो भी हालात के बिल्कुल मुफीद. मैं भी किसी की कही हुई दो पंक्तियाँ चिपकाना चाहता हूँ, दोस्तों की हौसला अफजाई के लिए और देसाई जैसों को चेतावनी के लिए-
किसमें जुर्रत है जो लाये
हमारे परवाज में कोताही
हम परों से नहीं
हौसलों से उड़ते हैं.
वरुण राय
पंडित जी जय हो जय हो,
इस समय ये संजीवनी है,
बडे भईया प्रणाम स्वीकार करें। मजा आ गया। सांझ को जिस अदा से समझाया है आपने वह अदभुद है। यह लाइने तो वाकई में जबरदस्त हैं
जिंदगीभर लड़े हम अंधेरों की झीलों से
क्योंकि उत्साह पुकारता है हमें बहुत दूर मीलों से
वादी ने जितना सुलगाया हम उतने सुर्ख हुए
तूफानो तरसो नहीं मिलेगा नमन हमारा
सांझ मत लड़ो उजाले से वर्ना टूट जाएगा वहम तुम्हारा
Maaza aa gaya.
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