हास्य ग़ज़ल
ऐसा खयाल आया है मेरे खयाल में
इक छेद कर रहा है वो घर की दिवाल में
अफसर मलेरिया का मरा इस मलाल में
मच्छर ने घर बनाया था क्यों उसके गाल में
है फर्क मुख्य मंत्री तथा राज्यपाल में
जैसे गधे की पूंछ और घोड़े के बाल में
थाने के नाम से थे हम बहुत डरे हुए
झट पहुंचे ले के अपनी रपट अस्पताल में
नर्सों ने हमको बेड पर ऐसे लिया दबोच
जीजा फंसे हों साली की जुल्फों के जाल में
घर डॉक्टर घुसेड़ के सूआ चला गया
और गुदगुदी-सी मच गई गैंडे की खाल में
नीरव के घर मिलेगा कहां शोर-शराबा
शबनम की बूंद ढूंढो न लकड़ी की टाल में।
पं. सुरेश नीरव
मो.-९८१०२४३९६६
(पिछली गजल के लिए रजनीश के. झा,मृगेन्र्द मकबूल, वरुण रॉय और बरगद से अमरबेल की तरह लिपटने की हसरत रखनेवाले डॉ. रूपेश श्रीवास्तव की जीवंत प्रतिक्रयाओं के लिए शुक्रियानुमा धन्यवादी थेंक्स...। )
22.5.08
ऐसा खयाल आया है मेरे खयाल में
Labels: हास्य ग़ज़ल
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
5 comments:
kya baat hai.............bahut khoob
पंडित जी प्रणाम.
एक बार फिर से गुदगुदाया.आपका आशीर्वाद रहे तो हम भी कुछ ना कुछ छोर ही देंगे.
नीरव पहुचे डॉक्टर साब के अस्पताल में
नर्सों की चुहलबाजी, संग लिए
जम गए अस्पताल के वार्ड में
जय जय भडास
aapki manchiya kavitayo mein bada maja aatha hai.aap hamae bhadas par hi kavi samelan ka maza de detai hai.
aapki manchiya kavitayo mein bada maja aatha hai.aap hamae bhadas par hi kavi samelan ka maza de detai hai.
नवजोत सिंह सिध्हू के शब्दों में कहूं गुरुदेव तो - गुरु , तुम तो छा गए हो गुरु.....
वरुण राय
Post a Comment