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27.5.08

भोंसरी के पूत ब्लॉग पर मत मूत......

बे यार ये क्या हो रिया है इधर .......महीने भर तो नही हुए अपनी प्राण प्यारी भडास से अलग हुए की सालों ने हल्ला मचाना शुरू कर दिया.....जाने क्या क्या

यार अविनाश तू काहे को बमक रहा है...सचमुच यार अब तक तो तेरे को मैं एक अछा पत्रकार समझ रहा था लेकिन इस प्रकरण ने साबित कर दिया की तू सचमुच विपरीत सोच वाला प्राणी है.....

वैसे अभी समय कम है .....पहले पूरा मुद्दा जानता हुं फ़िर आता हुं इधर .......वैसे सच्ची यार अदालत बरी की तू बरी अगर अदालत बरी तो सुन बे चिलांदु '''ब्लोगिंग के पूत इधर आ कर मत मूत'''' और अगर मुतना ही है तो कल से मुतना क्यूंकि तेरे जैसे जुज को मैं फ़िर अपने अंदाज में मुतना सिखाता हुं क्यूंकि मेरे पास भी ऐसे हजारों सुबूत हैं जो एक-एक कर भोकर भोकर कर दुनिया वाले को बताउंगा।

ऊँगली पर गिन ....तेरे जैसे काले दिल वालों की बखिया उधेरने के वास्ते हजारों मुद्दे बिखरे पड़े हैं.....
उलटी गिनती शुरू कर दे यार........
जय भडास
जय यशवंत
मनीष राज बेगुसराय

2 comments:

Anonymous said...

मनीष भाई,
अस्सलाम वालेकुम,
भाई कहाँ गुम हो गए थे, ससुरे खुजली वाले कुत्ते खुजली ले कर डराने लगे थे की खुजली लगा दूंगा.
चलो अब वापस भडास- भडास सुरु हो जाओ गुरु.
और हाँ चुतियों की बात बिलकुल नक्को, ससुरे पक गए, अरे बधाइयाँ जी बधाइयां. हमारे भडास ने सारे कीर्तिमानों की माँ बहन एक करते हुए सब अपने नाम कर लिया है. और तो और हमारे भडास का बच्चा भी युवा होने को तैयार बैठा है. सो बस हम चुतियों के चुतियापे में उलझकर अपनी उर्जा व्यय करने के बजाय वापस भडास में लग जाते हैं. सो गुरु शुरु हो जाओ.

जय जय भडास
जय जय भडास

डॉ.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava) said...

रजनीश भाई,यार बधाई वाला खेल बाद में खेलेंगे पहले झाड़ू और बाल्टी लेकर तैयार हो जाओ क्योंकि अब कलुआ और गलीज़ हगने वाले हैं मनीष भाई ने जुलाब दिया है तो सफ़ाई का काम अपना है... चलो हगो हगाओ यार.... बच्चे की बधाईयां बाद में पहले टट्टी साफ़ करते हैं...