मीडिया की दुनिया में ईमानदारी और नैतिकता के लबादे के नीेचे बेईमानी और अनैतिकता के बंगले हैं, जिसके कई काले कीड़े रेंगते रहते हैं और अपने ही पड़ोसियों को काटते रहते हैं। वो समझते हैं कि इस पेशे मेंं सीधे और ईमानदार लोग चूतिये होते हैं। इसी पर है मेरी बमबम दृष्टि। कुछ लोग इसे मेरी कुंठा भी मान सकते हैं-
ये चूतियों का शहर है।
कौन किसकी मार लेगा
कह नहीं सकता कोई।
लिखी मक्कारी गांड पर
पढ़ नहीं सकता कोई
लात पीछे पड़ गई तो
कह रहा, ये कहर है।।
ये चूतियों का शहर है।
दीन और ईमान की
खुलकर लगाते बोलियां।
इंसानियत क ेकत्ल को
हैं घूमती ये टोलियां।
वक्त है अजीब सा
रात में दोपहर है।।
ये चूतियों का शहर है।
5.5.08
ये चूतियों का शहर है
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5 comments:
हर हर बम बम बम बमाबम बम
क्या आप कहीं हमारे शहर की बात तो नहीं कर रहे न बिहारी भाई???
या फिर पूरा देश ही ऐसा हो चला है?
भड़ास ज़िन्दाबाद
बम बम भोले नाथ की,
बम बम भाई गद गद कर दिया,
क्या चुतिया बनाया है सभी को, स्स्स्साले हैं ही ऐसे.
सब की गांड में आग लग गयी होगी.
लगा डालो ऐसे ही.
जय जय भडास
बमबम जी, बम ही बम कर दिया। आपने तो। अब देखिए यह कहां कहां फटता है।
बहुत उम्दा उदगार हैं, बेहद ईमानदार
लय में इतनी अच्छी गालियां, मजदूर औरतों की लड़ाईयों में ही सुनी थी.
मजा आ गया
वाह, इतनी पुरानी पोस्ट पढ़कर भी आनंद आ गया
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