हास्य-गज़ल
कोई छुपकर गया कोई खुलकर गया
इन हमामों से हर कोई धुलकर गया
जिंदगी में किया जो भी अच्छा-बुरा
वो सभी कुछ तराजू पे तुलकर गया
नगमें गाती नहीं अब वो इकरार के
इतना गमगीन बुलबुल को बुल कर गया
हमको ऐसा हुनरमंद मिस्त्री मिला
जल रही थी जो बत्ती वो गुल कर गया
उनकी आंखों में दरिया है तेजाब का
जिसमें पत्थर भी डूबा तो घुलकर गया
बच्चे पैदा किये और खुद मर गया
काम जीवन में इतना वो कुल कर गया
सीनाजोरी ज़रा देखिए चोर की
सीनाताने वो लॉकअप से खुलकर गया
शौक से टे्न की चेन वो खींचता
क्यों पजामे के नाड़े को पुल कर गया
फ्लाप नीरव लगी फिल्म की हिरोइन
रोल हीरो मगर ब्यूटीफुल कर गया।
पं. सुरेश नीरव
मो.९८१०२४३९६६
10.6.08
इन हमामों से हर कोई धुलकर गया
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3 comments:
excellent,jari rkhiye
पंडित जी प्रणाम,
वाह वाह हमाम का क्या जबरदस्त विवरण है, हमाम के सभी नंगे नहा के नीरव जी के साथ हो लिये।
बधाई आपको।
ajit kumar mishra said...
कोई कपड़ो में गया, कोई तौलिये में गया
हमाम में हर कोई नहाने ही गया।
जिंदगी में जो भी सीखा था अच्छा बुरा,
हमाम में वो गुनगना के ही गया।
घिन आने लगी है जाने में अन्दर,
कोई इतना हमाम को गंदा कर गया
जल रहा था जो बल्ब वो भी साथ ले गया
उसकी नियत में साथ खोट था तभी तो
बल्ब के साथ बो साबुन भी लेकर गया।
खुद तो खूब नहाया हमाम में वो पर
जाते जाते किसी के न नहाने लायक कर गया।
सीना जोरी तो देखिये उसकी आप
जाते जाते कुंडी भी बन्द कर के गया।
शौक से नहाने वालों के वो दुखी कर गया।
और अजीत धुन में कविता लिख गया।
--ajit kumar mishra
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