भाई यशवंत जी,आपने मेरे apalekh पर टिप्पणी की.उसके लिए आभार.लेकिन बंधु मैं सुर हूं.भूसुर.असुर नहीं.जो सुरा का सेवन करते हैं वे सुर होते हैं.जो नहीं करते वे असुर होटे हैं.आपने मुझे असुर कह कर मेरी तौहीन की है.यह घोर अपराध है.आपको इसका प्रायशिचत करना होगा.उत्कृष्ट कोटि का सुरापान कराना होगा अन्यथा...मैं रोने लगूंगा,श्राप दे नहीं सकता क्योंकि छोटे भाई हो.कुछ भाइयों ने सवाल उठाया है कि मैं किस आधार पर २४ कैरेट का ब्राह्णण होने का दावा करता हूं.उनका सवाल जायज है.लेकिन मेरा दावा भी पुख्ता है.दरअसल ब्राह्मण होना अलग बात है और २४ कैरेट का ब्राह्मण होना अलग बात है.शास्त्रों में ब्राह्मण को विद्वान,निष्कपट व चरित्रवान बताया गया है.उन्हें विप्र कहा जाता है.जबकि २४ कैरेट के ब्राह्णण भूसुर होते हैं यानि पृथ्वी लोक के देवता.उनके भीतर देवसुलभ गुण मसलन सुरा सेवन,परस्त्री आसक्ति के साथ-साथ देवत्व के लिए अनिवार्य न्यूनतम धूर्तताएं एवं छल प्रपंच कर येन-केन-प्रकारेण जीत हासिल करने जैसी योग्यताएं होना आवश्यक हैं.बंधुओं मेरे भीतर ये सारे गुण प्रचुर मात्रा में विद्यमान हैं.इसलिए मैं भला आदमी होने का दावा नहीं करता लेकिन २४ कैरेट का ब्राह्रमण होने का दावा जरूर करता हूं,क्योंकि मैं हूं. आपको बता दूं कि २४ कैरेट का ब्राह्णण होने के लिए मदिरा पान ही नहीं,मुर्ग भक्षण भी आवश्यक है.क्यों ? अगले अपलेख में बताऊंगा.
21.6.08
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1 comment:
वाह वाह....अब तो आप पर एक अलग से पोस्ट लिखनी होगी मुझे.....
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